बिहारी मज़दूर का दर्द और बिहारी नेता की नेतागिरी।

*शाह अज़मतुल्लाह अबुसईद*
*सेव लाइफ फाउंडेशन*

*ना मजदूरों का जाति है ना धर्म वो केवल मेरी नज़र में मज़दूर हैं।*

हरियाणा..वही राज्य है जहां के नेता संसद में कहा था कि पानी से अगर बिजली निकाल ली जायेगी तो फिर उस पानी में फसल उगाने की ताकत कहां बचेगी.. हरियाणा..वही राज्य है जहां बाबू जगजीवन राम को “बाबूजी” उपनाम मिला। हरित क्रांति और औद्योगिकीकारण दोनों इस राज्य में एक साथ खडे हुए। किसान और मजदूर दोनों की मांग अचानक बढी। इतने बडे पैमाने पर सप्लाइ कौन करेगा। वंशीलाल, भजनलाल और देवीलाल तीनों की नजर बिहार पर पड़ी। 90 के दशक में देवी लाल ने देखा कि लालू हरियाणा की मदद कर सकते हैं। लालू को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने के लिए देवी लाल ने न केवल लॉंबिंग की बल्कि उस जामने में पांच लाख रुपया खर्च भी किया था। शरद यादव को इस पूरे साजिश का कोओडिनेटर बनाया गया था। लोग देवीलाल और लालू में जाति और पता नहीं क्या-क्या समीकरण बताते रहे, लेकिन समीकरण एक ही था कि बिहार से मजदूरों को किसी प्रकार हरियाणा लेकर आना। लालू के 15 साल का शासन और हरियाणा का विकास कोई मुगलकाल की बात नहीं हैं, थोडी मेहनत करेंगे तो आकडे आपके हाथ में होंगे।

लालू ने कैसे बिहार से गद्दारी कर हरियाणा की मदद की, आप खुद जान लेंगे। इधर लालू बिहार में एक एक कर कारखाने बंद करते गये, उधर हरियाणा में बिहारियों की नयी कॉलोनी बसती गयी। हरियाणा का विकास लालू राज में जिस तेजी से हुआ, उस तेजी से भारत में किसी राज्य का विकास नहीं हुआ। लालू ने केवल हरियाणा को मजदूर नहीं दिया दिया, बल्कि बिहार की बेटियां भी हजारों की तादाद में दी है। दूसरे को छोडिए खुद लालू ने ही अपनी एक से अधिक बेटियों की शादी हरियाणा में की है। हरियाणा वो इकलौता राज्य है जहां की चुनावी सभाओं में सरेआम एलान किया जाता है कि तुम अगर मुझे वोट दोगे, तो हम तुम्हारे लिए बिहार से लडकी ले आयेंगे। पतंजलि समेत कई बड़ी दिल्ली,हरियाणा की कई कंपनियों में बिहार के कई मंत्री और सांसद एवं राजनीतिक परिवार का धन लगा हुआ है। आज सवाल है कि इस महामारी में जब कारखाने बंद हुए तो आप बिहार के मजदूरों की मार खाते तस्वीर देख रहे हैं, भुखमरी के कारण उनकी जान जा रही है। कभी उन बेटियों की तस्वीर भी देख लीजिएगा, जिनको आपने हरियाणा और राजस्थान को सौंपा है ..

*जगन्नाथ, लालू और नीतीश जैसे बिहार के नालयक नेता ने बनाया है।इस तस्वीर को बदलनी है तो इन नेताओं के को राजनीतिक विकल्प से अलग कर दीजिए।*
*आज फिर लालू परिवार सत्ता के फिराक में है।*
किसी और विकल्प की ज़रूरत है। तभी पलायन रुकेगा और बिहार में अपने बीवी बच्चों के साथ मज़दूरी करेगा ।
*ईमानदारी से बात कीजिये पिछले 30 सालों से बंद चीनी मिल, पेपर मिल, कोई ऐसा आपके ज़िला या विधानसभा छेत्र में खुला या बिहार के हर ज़िला में भी एक कारखाना पिछले 30 वर्षों में सरकार ने खोला इसका जिम्मेदार कौन बिहारी मज़दूर, गरीब ?*
आखिर कब तक जाती और के नाम पर वोट ?
ऐसा ही दर्द देश के दूसरे राज्यों में रहने वाले गरीब मज़दूर बिहारियों की भी है।

SHARE
is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity