कोरोना के नाम मुस्लिमों के खिलाफ नफ़रत फैलाना बन्द करो:आइसा

*गंभीर स्वास्थ्य आपदा के दौरान साम्प्रदायिक नफ़रत फैलाने में लगे हुए संघी दुष्प्रचार तंत्र और गोदी मीडिया शर्म करो।*

जब सरकार कोविड 19 महामारी से निपटने के हर पहलू में विफल हो रही है तो अब निजामुद्दीन में एक सामूहिक सभा को इस्लामोफोबिक सुर्खियों के साथ फैलाया जा रहा है। मार्च महीने के मध्‍य में तबलीगी जमात के दिल्‍ली में हुए एक अंतर्राष्‍ट्रीय समारोह के बाद वहां फँसे लोगों का अपराधीकरण एवं साम्‍प्रदायिकीकरण करने की हो रही कोशिशें बेहद निन्‍दनीय कृत्‍य है जिसकी भर्त्‍सना होनी चाहिए.

दिल्‍ली सरकार ने भी तबलीगी जमात के उक्‍त आयोजन, जो पूरी तरह से कानून के दायरे में हुआ था, के खिलाफ एक आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया है. यह आयोजन दिल्‍ली पुलिस (जो केन्‍द्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है) और दिल्‍ली सरकार के तहत आने वाले सम्‍बंधित एसडीएम कार्यालय की अनुमति और सहयोग से किया गया था. यदि यह गैरकानूनी था तो दिल्‍ली सरकार ने उसी समय आदेश जारी कर इसे रोका क्‍यों नहीं? संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं ? जमात के अधिकारियों ने पहले ही पुलिस को उस स्थान पर फँसे हुए लोगों की स्थिति के बारे में सूचना दे दी थी तथा इस आधार पर अटके लोगों को जगह खाली करने के लिए वाहन पास मुहैया कराने के लिए त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह भी किया गया था। अधिकारियों द्वारा अनुपालन का आश्वासन भी दिया गया था।

*जमात के खिलाफ आपराधिक मामला, और साथ साथ टीवी चैनलों व सोशल मीडिया में चलाये जा रहे जहरीले और अमानवीय दुष्‍प्रचार से यह खतरा भी है कि उक्‍त आयोजन में हिस्‍सा लेने और वायरस से संक्रमण की संभावना वाले लोग डर के मारे अपना टेस्‍ट एवं इलाज कराने के लिए आगे आने में हिचकिचायेंगे.*

सच तो यह है कि इसी दौरान बहुत से बड़े बड़े धार्मिक और राजनीतिक आयोजन किये गये और भारत चूंकि कोविड-19 की टेस्टिंग लगभग नहीं हो रही, इसलिए यह जानना मुश्किल है कि इन आयोजनों/समारोहों में और कितने लोग संक्रमित हुए होंगे. इस दौरान शिरडी के साईबाबा मन्दिर में समारोह हुआ, एक अन्‍य आयोजन सिख समुदाय द्वारा किया गया, और हाल ही में वैष्‍णोदेवी गये तीर्थयात्रियों के बारे में पता चला जो लॉकडाउन के कारण लौट नहीं पा रहे (इससे दूरस्‍थ पर्वतीय समुदाय में भी संक्रमण का खतरा बन सकता है). हम सभी ने देखा कि किस तरह से योगी आदित्यनाथ ने बड़ी संख्या में लोगों के साथ अयोध्या में मूर्तियों को रखने की घोषणा करने के बाद लॉकडाउन का उल्लंघन किया।

इन सभी आयोजनों व समारोहों और तबलीगी जमात के आयोजन को, किसी भी तरह से आपराधिक कृत्‍य नहीं माना जा सकता. और न ही इनको साम्‍प्रदायिकता के चश्‍मे से देखना चाहिए. जिम्‍मेदार तो केन्‍द्र की सरकार है जो ढुलमुल रवैया अपनाती रही और स्‍पष्‍ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किये, अत: इन आयोजनों के बारे में निर्णय करने का काम आयोजक संगठनों या व्‍यक्तियों के विवेक पर चला गया.

ऐसे समय में जब कई श्रमिक वर्ग के लोग विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए हैं, सरकार को चाहिए कि वह नफरत, गुस्सा और संदेह को बढ़ावा देने के बजाय सभी लोगों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए काम करे, जरूरतमंद लोगों के लिए कोरोना रिलीफ फ़ंड का इस्तेमाल किया जाये।

*सभी को स्वास्थ्य-सुरक्षा व सुविधाएं सुनिश्चित करें!*
*सांप्रदायिक नफरत फैलाना बंद करो! “*
(आइसा)

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity