पिछले 14 दिनों से जेएनयू में बढ़ी फ़ीस को ले कर देश के विभिन्न हिस्सों में प्रोटेस्ट मार्च का आयोजन किया जा रहा है,जिस में देश के अलग अलग कॉलेज, यूनिवरसिटीज़ के छात्रों ने हिस्सा लिया है और सरकार की गलत नीति पर कड़ा परहार किया है। बढ़ती फ़ीस पर ना सिर्फ़ छात्रों बल्कि देश के विभिन्न वर्ग के बुद्धिजवियों ने भी जेएनयू प्रकरण में छात्रों का समर्थन किया है और सरकार के इस रुख़ पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, ज्ञात रहे के भारत सरकार ने अचानक से जेएनयू में मौजूदा फ़ीस को बढ़ा कर छात्रों को सकते में डाल दिया है। कियू के मौजूदा बढ़ी हुई फ़ीस अगर लागू हो जाती है तो कई छात्रों को विश्वविद्यालय को छोड़ना होगा कियू के फिर वह बढ़ी फ़ीस देने में सक्षम नहीं हैं।
इसी लिए जेएनयू में छात्रों का प्रदर्शन जारी है,इसी क्रम में आज बिहार की राजधानी पटना में जेएनयूएसयू की तरफ़ फ़ीस हाईक पर एक शांति मार्च का आयोजन किया गया जो पटना के रेडियो स्टेशन से निकल कर बुद्धा स्मृति पार्क पर जा कर समाप्त हुआ। जिस में कई जानी मानी हस्तियों ने शिरकत की,जिस में महत्वपूर्ण रूप से कांग्रेस के कदवा से विधायक शकील ख़ान साहब, सीपीआई के विधायक महबूब आलम,समाज सेवी निवेदिता शकील , इबरार रज़ा प्रमुख रूप से मौजूद थे, इस शांति मार्च का समर्थन करते हुए आजमी बिहार (AAJMI BIHAR) ने भी इस में हिस्सा लिया जिस में सफ़दर अली और ख़ुररम मलिक विशेष रूप से मौजूद रहे,इस के साथ ही विभिन्न छात्र संगठन के छात्रों ने भी इसका समर्थन किया। सभी वक्ताओं ने अपनी बात रखते हुए सरकार से अनुरोध किया के बढ़ी हुई फ़ीस को ख़तम किया जाए ,और सस्ती शिक्षा को आम किया जाए,
आप को बता दें के
नए शुल्क में कमरे के किराए में कई गुना बढ़ोतरी शामिल है – रूम किराया जो पहले प्रति माह 10/20 रुपये था अब से 300 रुपये प्रति माह हो जाएगा।
इसी तरह 1,700 रुपये प्रति माह का नया सेवा शुल्क भी जोड़ा गया है – मासिक हॉस्टल शुल्क 2,000-2,300 रुपये तक अन्य शुल्क, जैसे कि स्टेब्लिशमेंट (2,200 रुपये प्रति वर्ष), मेस (3,000 रुपये प्रति माह) और वार्षिक शुल्क (300 रुपये) फ़िलहाल समान हैं।
अगर यह सारी फ़ीस बढ़ जाती है तो जवाहर लाल नेहरू विशवविद्यालय देश के सबसे महंगी यूनिवरसिटी में शुमार किया जाएगा, ज्ञात रहे के दिल्ली यूनिवर्सिटी की भी सालाना फ़ीस 40,000 से 55,000 के बीच ही है जिस में खाना और एकोमोडेशन शामिल है।
इस तरह हम कह सकते हैं सरकार के इस फ़ैसले से वैसे गरीब छात्रों की शिक्षा प्राप्त करने के मंसूबे पर पानी फिर सकता है जो मेधावी तो हैं लेकिन ज़्यादा फ़ीस होने की वजह कर शिक्षा हासिल करने में ख़ुद को असहाय महसूस करते हैं।
इस लिए सरकार अपने इस फ़ैसले पर पुनर्विचार करे।और बढ़ी हुई फ़ीस को वापस ले,
लेखक:खुर्रम मालिक