नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के मामले में 10 दिसंबर से अंतिम सुनवाई करने का आदेश दिया। जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा, “केंद्र सरकार इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए 22 नवंबर तक हलफनामा दाखिल करे।” अदालत ने केस से संबंधित वकीलों को सभी तथ्य और दस्तावेज इकठ्ठा करने का निर्देश देने के साथ ही अंतिम सुनवाई की तारीख तय कर दी।
5 जजों की संविधान पीठ कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के खिलाफ दाखिल हुई याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। अदालत ने कश्मीर में प्रतिबंधों के मामले में अनुराधा भसीन की याचिका पर भी सुनवाई की। भसीन के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा, “आप पूरे समुदाय पर अनुच्छेद 19 के तहत उन्हें मिले मौलिक अधिकारों पर पाबंदी नहीं लगा सकते।” सीमा पार आतंकवाद पहले से मौजूद रहा है। कश्मीर के लोग शांतिप्रिय हैं।
सिब्बल ने कहा- कश्मीर में अस्पताल तक जाना मुश्किल
राज्य में संचार सेवाएं बंद करने के मुद्दे पर बहस के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा- आप मुश्किलें खड़ी करने वालों को रोकिए, लेकिन शांतिप्रिय लोगों के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। उन्होंने कहा- सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाना सही हो सकता है, लेकिन यह सही नहीं होगा कि आप पूरा इंटरनेट ही बंद कर दें। लैंडलाइन टेलीफोन संवाद के लिए जरूरी है। टेलीफोन से कानून-व्यवस्था पर असर नहीं पड़ सकता। आप मुझे किसी से बात करने से कैसे रोक सकते हैं? टेलीफोन मौजूद न हो और अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी आ जाए, तो मैं अस्पताल कैसे पहुंच सकूंगा?
5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था। इसके बाद पूरे राज्य में टेलीफोन, मोबाइल और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी।(इनपुट भास्कर)