आज के दौर में मोहम्मद सल्लाल्लाहो अलैहि वसल्लम के जीवन एवं इस्लाम की शिक्षाओं के आधार पर दुनिया के मार्ग दर्शन की आवश्यक्ता है:मौलाना अनिसुर रहमान कासमी

अल्लाह के पैगंबर मोहम्मद के जीवन , आचरण एवं शिक्षाओं बढ़ावा देने के तरीकों पर विचार विमर्श करने के लिए एक गोष्ठी का आयोजन प्रसिद्ध बुज़रुग पत्रकार खुर्शीद अनवर आरफ़ी की अध्यक्षता में अबुल कलाम रिसर्च फाउंडेशन के ऑफिस, फुलवारी शरीफ पटना में हुआ । इस अवसर पर अध्यक्ष महोदय ने कहा कि आज के दौर में रसुलुल्लाह सल्लाल्लाहो अलैहि वसल्लम की जीवन एवं आचरण के संदेश को आम करने एवं उस को बेहतर ढंग से अंजाम देने के लिए हर मसलक के लोगों को एक साथ मिल कर काम करना होगा विशेष रूप से महिलाओं में इस संदेश पहुँचाने की आवश्यक्ता है । अबुल कलाम रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं ऑल इंडिया मिलली काउंसिल के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष प्रसिद्ध शिक्षाविद हज़रत मौलाना अनीसुर रहमान कासमी साहब ने अपने वक्तव्य में कहा की इस समय सम्पूर्ण विश्व में विशेषकर भारत में बेचैनी , आशिष्णुता, असुरक्षा का बोध बढ़ता जा रहा है एवं समाज की सुरक्षा को विभिन्न स्तर पर कई प्रकार के खतरों का सामना है । ऐसी परिस्थिति में अल्लाह के अंतिम पैगंबर एवं संदेशवाहक हज़रत मोहम्मद सल्लाल्लाहो अलैहि वसल्लम के जीवन एवं इस्लाम की शिक्षा के प्रकाश से विश्व का मार्गदर्शन किया जाए एवं इस बात को स्पष्ट किया जाए कि धार्मिक सहिष्णुता, अधिकारों कि रक्षा, अमन ,शांति , भाई चारा, न्याय एवं हर प्रकार के पक्षपात से रहित समाज की स्थापना केवल इस्लाम के द्वारा ही संभव है। अल्लाह ने अपने बंदों को सीधे रास्ते पर चलाने के लिए अपने प्यारे पैगंबर को रबीउल अव्वल के महीने में भेजा। हम इस महीने को पैगंबर साहब की शिक्षा को आम करने के लिए कर सकते हैं । मीटिंग में अनवर आलम एडवोकेट , डा0 मुजफ्फरुल इस्लाम आरिफ़, अर्शद इंजीनियर, मुशर्रफ अली, अरशे आला फरीदी, नेयाज़ अहमद , महबूब आलम ,मोहम्मद इनाम खान, मोहम्मद जफर आलम , मोहम्मद ज़फ़ीर रहमानी , डा0 मोहम्मद नुरूस्सलाम , जेययाउल हक इत्यादि ने अपने विचार व्यक्त किए । गोष्ठी में उपस्थित भद्रजनों एवं गणमान्य बुद्धिजीवियों के विकार विमर्श एवं राय के आधार पर तै हुआ की पैगंबर मोहम्मद सल्लाल्लाहो अलैहि वसल्लम की शिक्षा को फैलाने के लिए निम्न तरीके अपनाए जाएँ ।

1. मस्जिदों में विभिन्न तिथियों में रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के जीवन के विषय पर प्रोग्राम आयोजित किए जाएँ । इस संबंध में मस्जिदों के जिम्मेदारों एवं इमामों से बात की जाए ॥

2. हर मोहल्ले के लोग अपने अपने मोहल्ले में दस दिनों तक लगातार “फ़रोग-ए-सीरत” की मजलिस आयोजित करें

3. हर रविवार को अपने अपने मोहल्ले में सीरत का प्रोग्राम रबीउल अव्वल के महीने में आयोजित करें जिस में महिलाओं के सम्मिलित होने का विशेष प्रबंध किया जाए ।

4. रबीउल अव्वल के महीने में सीरत के विषय पर उलमा एवं बुद्दिजीवियों से लेख लिखवाये जाएँ और लेख के प्रकाशन के लिए समाचारपत्रों एवं न्यूज़ एजेंसियों से संपर्क किया जाए ।

5. स्कूल एवं कॉलेज के जिम्मेदारों से अपील की जाए किवह अपने यहाँ विद्यार्थियों के लिए एक दिवसीय सीरत प्रोग्राम आयोजित करें

6. पैगंबर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के जीवन पर आधारित छोटी छोटी पुस्तकें उर्दू , हिन्दी एवं इंग्लिश में छ्पवा कर मुस्लिम एवं गैर मुस्लिम भाइयों तक पहुंचाया जाए ।

7. पैगंबर सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के जीवन, आचरण,शिक्षा, विचारों, एवं आदर्शों को फैलाने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग किया जाए । और इस्लाम कि सच्ची एवं सही शिक्षा को उस के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाए तथा नाकारात्मक कमेंट्स को जांच परख कर उस का सकारत्मक उत्तर दिया जाए।

8. उलमा , एवं मस्जिदों के इमाम जुमा के इलावा दूसरी बैठकों में इस्लाम एवं रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के जीवन के बारे में असरदार तकरीर करें ताकि मुसलमान अपना जीवन रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के जीवन के तरीके पर गुजारने के लिए प्रेरित हो सके और उस के अंदर दावत का भाव एवं गुण पैदा हो।

9. आज के दौर में मदरसों , मकतबों, स्कूलों और दूसरे शैक्षिक संस्थानों के जिम्मेदारों से अपील की जाए कि सीरत के विषय पर प्रोग्राम आयोजित करें और छात्र-छात्राओं को इस विषय पर तकरीर करने के लिए प्रेरित करें ।

इस अभियान को चलाने के लिए एक सीरत कमिटी का गठन भी हुआ

SHARE
is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity