मोदी ने कश्मीर जा रहे यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल से कहा-आपको वहां सरकार की विकास की प्राथमिकताएं दिखेंगी

नई दिल्ली. यूरोपीय यूनियन(ईयू) सांसदों का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिला। मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री और सांसदों के बीच कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा हुई। मोदी ने अपने संबोधन के दौरान सांसदों को कश्मीर समेत भारत के अन्य हिस्सों के दौरे के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर मेंसरकार के विकास और शासन की प्राथमिकताएंदिखाई देंगी। डेलिगेशन वहां की संस्कृति और धार्मिक विविधता के बारे में भी ज्यादा अच्छी तरह समझ पाएगा।

प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ी नीति बनाने का आह्वान करते हुए कहा, “जो भी देश आतंकवाद का समर्थन करता है, उसके खिलाफ जल्द कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। आतंक के खात्मे के लिए जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जानी चाहिए।सांसदों का दल मंगलवार को कश्मीर जाएगा।

कश्मीर में स्थिति सामान्य करने की कोशिश में है सरकार: डोभाल

यूरोपीय सांसदों के कश्मीर दौरे से पहले एनएसए डोभाल ने उन्हें राज्य के ऐतिहासिक मुद्दों और अनुच्छेद 370 के हटने के फायदों के बारे में बताया। सूत्रों के मुताबिक, डोभाल ने प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर के 5 अगस्त से पहले के हालात के बारे में भी जानकारी दी। इसके साथ ही भरोसा दिलाया कि आतंकी हमलों के बावजूद राज्य सरकार ने वहां की अर्थव्यवस्था और शिक्षा संस्थानों को चलाने की पूरी कोशिश की है। कश्मीर में अस्पतालों और आम नागरिकों के लिए सेवाओं में भी कोई परेशानी नहीं आई है।

कांग्रेस ने यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल के कश्मीर दौरे पर सवाल उठाए

वहीं, कांग्रेस ने यूरोपीय डेलिगेशन के कश्मीर भेजे जाने के सरकार के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने पूछा कि आखिर कैसे पीएमओ यूरोपीय सांसदों के जम्मू-कश्मीर दौरे की सुविधा देने का फैसला किया। जबकि अनुच्छेद 370 हटने के बाद विपक्षी दलों को ही कश्मीर जाने की इजाजत नहीं दी गई है।

अमेरिकी सांसद कर चुके हैं कश्मीर में प्रवेश देने की मांग

इससे पहले अमेरिका के 6 सांसदों ने भारतीय राजदूत हर्षवर्धन शृंगला को पत्र लिखकर मांग की थी कि उन्हें और विदेशी पत्रकारों को कश्मीर जाने की अनुमति दी जाए। अमेरिकी सांसदों ने अपने पत्र में दावा किया है कि कश्मीर घाटी को लेकर भारत की तरफ से जो तस्वीर पेश की जा रही है, वह उनके सहयोगियों की बताई स्थिति से अलग है। पत्र में सभी राजनीतिक बंदियों को तत्काल रिहा करने की मांग भी की गई।

14 अक्टूबर को राज्य में पोस्टपेड सेवाएं शुरू की गईं
जम्मू-कश्मीर के 10 जिलों में पोस्टपेड मोबाइल सेवा प्रतिबंध लगाए जाने के 70 दिन बाद शुरू की गई थीं। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर 5 अगस्त से सभी मोबाइल और लैंडलाइन सेवाएं बंद कर दी गई थीं। हालांकि, प्रीपेड मोबाइल सेवाओं को धीरे-धीरे खोलने की बात कही गई थी।(इनपुट भास्कर)

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity