नई दिल्ली.सुप्रीम काेर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरानकेंद्र सरकार ने कहा,इंटरनेट लोकतांत्रिक व्यवस्था में अकल्पनीय नुकसान पहुंचाने वाला हथियार बनकर उभरा है।इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पंकज कुमार की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया,प्रौद्योगिकी से आर्थिक तरक्की तथा सामाजिक विकास हुआ है, लेकिन नफरत भरे भाषणों, फर्जी खबरों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियां भी बढ़ी हैं।
ऐसे में लगता है कि इंटरनेट सुविधा प्रदान करने वाली कंपनियों के प्रभावी नियंत्रण के लिए नियमों में बदलाव की जरूरत है। लोगों के अधिकार तथा राष्ट्र की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा को बढ़ते खतरे को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
बेंच ने हलफनामे को रिकाॅर्ड में लिया
जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने हलफनामे को रिकाॅर्ड में लिया।इससे पहले केंद्र की ओर से वकील रजत नायर ने कहा कि उन्होंने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंटरमीडियरीज दिशानिर्देश (संशोधन) 2018 को अंतिम रूप देने के लिए तीन और महीने का समय मांगा।फेसबुक द्वारा दाखिल हस्तांतरण याचिका में हलफनामा दाखिल किया गया। याचिका में सोशल मीडिया प्रोफाइलों को आधार से जोड़ने से संबंधित तीन उच्च न्यायालयों में दाखिल मामलों को स्थानांतरित करने की मांग की थी।
भारत मेंकरोड़ोंइंटरनेट यूजर्स
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) की हाल में जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में कुल इंटरनेट यूजर्स की संख्या 45.1 करोड़ है। पूरे देश में 67% पुरुष और 33% महिलाएं इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं। गांवों के मुकाबले शहरों में इंटरनेट यूज करने वाले लोगों की संख्या 6% तक अधिक है।(इनपुट भास्कर)