राजस्थान से लोकसभा व राज्यसभा मे कांग्रेस का कोई सदस्य नही।
अशफाक कायमखानी।जयपुर।
राजस्थान भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य मदनलाल सैनी के देहांत के बाद खाली हुई रिक्त सीट पर 26-अगस्त को चुनाव आयोग के चुनाव कराने की घोषणा करने के बाद कांग्रेस पार्टी मे उम्मीदवार को लेकर असमंजस बरकरार होने के अलावा एक तबका मानकर चल रहा है कि अंतिम समय मे पूर्व प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह उम्मीदवार बनकर आयेगे। जबकि दूसरा तबका यह कह रहा है कि राजस्थान से राज्यसभा की कुल दस सीटो मे से एक रिक्त सीट को छोड़कर बाकी सभी नो सीटो व लोकसभा की सभी पच्चीस सीटो पर भाजपा के सदस्य चुने हुये है। ऐसी हालत मे मोका मिलने पर कांग्रेस राजस्थान के किसी मजबूत जाती के जनाधार नेता को राज्यसभा मे भेजना चाहिए ताकि राज्य मे जल्द होने वाले दो विधानसभा चुनावों के अलावा नवम्बर मे स्थानीय निकाय व जनवरी-फरवरी मे होने वाले पंचायत चुनाव मे कांग्रेस पार्टी को फायदा मिल सके।
सात अगस्त को अधिसूचना जारी होने के बाद नामजदगी व 19-अगस्त को नामजदगी वापसी के बाद आवश्यक हुवा तो 26-अगस्त को होने वाले चुनावों मे विधायको के आंकड़ों के चलते राज्यसभा के लिए कांग्रेस उम्मीदवार का चुनाव जीतना तय माना जा रहा है। दोसो विधानसभा सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा के दो सदस्य हनुमान बेनीवाल व नरेन्द्र खीचड़ के सांसद बनने के बाद अब कुल 198 सदस्यों की तादाद मे से सो सदस्य कांग्रेस के व एक सदस्य लोकदल का समझोते के तहत कांग्रेस के साथ है। छ बसपा के व कुल तेराह निर्दलीय विधायको मे से बारह विधायको का कांग्रेस सरकार को समर्थन मिला हुवा है। जबकि दो माकपा के विधायक है। भाजपा के 73-विधायक है उन्हे यह सीट जीतने के लिये 28-अन्य मतो का जुगाड़ करना होगा, जो काफी मुश्किल माना जा रहा है। इसलिए यह सीट कांग्रेस के खाते मे जाती निश्चित लग रही है।
राजस्थान के कुल दस राज्यसभा सदस्यों मे से एक सदस्य मदनलाल सैनी के देहांत से एक सीट रिक्त होने के बाद भी नारायण लाल पंचारिया, रामनारायण डूडी, विजय गोयल, ओमप्रकाश माथुर, रामकुमार वर्मा, हर्षवर्धन सिंह, अलफोस कनान्थम, भुपेन्द्र यादव व किरोड़लाल मीणा सहित सभी नो सदस्य भाजपा के चुने हुये है। जबकि कांग्रेस के एक सदस्य का अब अगस्त महिने मे चुनकर जाने की पूरी संभावना है। राज्यसभा के अलावा लोकसभा मे भी कांग्रेस का सदस्य राजस्थान से एक भी नही है।
हालांकि आसाम व तमिलनाडु से पूर्व प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह के राज्यसभा से चुनकर आने की सम्भावनाओं पर पानी फिरने के बाद अब उन्हे राजस्थान से चुनकर राज्यसभा भेजने की सम्भावना अधिक प्रबल मानी जा रही है। फिर भी कांग्रेस का एक तबका दबी जूबान से अपनी बात हाईकमान तक पहुंचाने मे लगा है कि राजस्थान मे जल्द होने वाले दो विधानसभा उपचुनाव के अलावा स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव मे फायदा पाने के लिये राजस्थान के किसी नेता को राज्य सभा मे चुनकर भेजना चाहिए। राजस्थान से मजबूत आधार वाली जातियो मे से कुछ जातियों के नेताओं के नाम भी डा. सरदार मनमोहन सिंह के अलावा चर्चा मे चल रहे है उनमे मीणा समाज के पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा, मुस्लिम समुदाय से पूर्व राज्यसभा सदस्य रहे दूरुमिया व जाट समाज के पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया व रामेश्वर डूडी का ना बताते है। राजस्थान की जाट बहुल खींवसर व मण्डावा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने है। उक्त दोनो सीटो पर 2018 के चुनाव मे कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव हार चुके थे। अब उपचुनाव मे कांग्रेस यहां से अपने उम्मीदवार जीताने की भरसक कोशिश करेगी। मण्डावा सीट से लगती फतेहपुर सीट से सुभाष महरिया के छोटे भाई नन्दकिशोर महरिया 2013 से 2018 तक विधायक रह चुके है। जिसका असर भी मण्डावा क्षेत्र मे देखा गया है।
कुल मिलाकर यह है कि सात अगस्त से सोलह अगस्त तक राजस्थान की एक राज्यसभा सीट के चुनाव के लिये नामजदगी के पर्चे भरे जाने है। उसमे कांग्रेस की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है। लेकिन मनमोहन सिंह के ना आने पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा, पूर्व राज्यसभा सदस्य दूर्रु मियां व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया व रामेश्वर डूडी का नाम भी चर्चा मे है। लेकिन जिस नाम पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुहर लगेगी वोही राज्यसभा मे कांग्रेस उम्मीदवार तय होगा।