लोकतांत्रिक अधिकारों में रुकावट डालना बंद करो:पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया

प्रेस रिलीज,22 जुलाई 2019 लखनऊ
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की ओर से प्रेस क्लब ऑफ इंडिया लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जारी बयान
लोकतांत्रिक अधिकारों में रुकावट डालना बंद करो

गृह मंत्रालय की मातहत दिल्ली पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस, जिन्होंने भीड़तंत्र की हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए अब तक कोई कारगर कदम तो नहीं उठाया, लेकिन पिछले एक हफ्ते से शांतिपूर्वक अभियान में शामिल होने के कारण मुस्लिम युवकों को ज़रूर निशाना बना रहे हैं। उन युवकों को पॉपुलर फ्रंट के राष्ट्रीय अभियान ‘‘बेखौफ जिओ; बाइज़्जत जिओ’’ मैं शामिल होने के कारण परेशान किया जा रहा है। इस तरह से परेशान किया जाना नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों और लोकतांत्रिक तरीके में रुकावट डालने के सिवा कुछ नहीं है।’’ इन विचारों को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नॉर्थ जोन के सचिव अनीस अंसारी ने सोमवार के दिन लखनऊ के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रकट किया।
अनीस अंसारी ने कहा कि ‘‘नए दौर में हमने कभी ऐसा नहीं सुना कि कुछ लोग अपनी धार्मिक आस्थाओं के लिए गौमांस खाने या गाय रखने के आरोप में बेगुनाह लोगों को मार-मारकर उनकी जान ले लेते हों। 2014 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से लगभग 180 बड़े और 33 छोटे भीड़ के द्वारा हमले सामने आए हैं जिनमें 50 से अधिक लोगों को दिन के उजाले में मौत के घाट उतार दिया गया। कुछ लोगों को तो जि़ंदा जलाकर मार दिया गया। भीड़ का शिकार बनने वालों में लगभग 56 प्रतिशत ग़रीब मुसलमान हैं।

दूसरी मोदी सरकार के आने और अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद से मुसलमानों और पिछड़े वर्गों के खिलाफ भीड़तंत्र की हिंसक घटनाएं रुकने का नाम ही नहीं ले रही हैं, बल्कि सड़कों पर होने वाले हमले घिनौनी हद तक बढ़ गए हैं। झारखण्ड जैसे आदिवासी राज्य में हाल ही में कुछ हिंदुत्व गुंडों ने तबरेज़ अंसारी नामक एक नौजवान को बड़ी बेरहमी से क़त्ल कर दिया। मज़लूम अंसारी, अलीमुद्दीन अंसारी, मेराज अंसारी, वली ख़ान जैसे नामों की एक लंबी लिस्ट है। तबरेज़ अंसारी पर एक भीड़ ने हमला किया, उसे घण्टों बेदर्दी से पीटते रहे और जय श्रीराम और जय हनुमान बोलने पर मजबूर किया।

इससे साफ व्यतीत होता है कि देश के विभिन्न हिस्सों में दाएं बाजू के गुंडों को खुला इशारा दे दिया गया है और अराजकता आम हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद मोदी हुकूमत ना तो मॉब लिंचिंग की घटनाओं को कम करने के लिए तैयार है और ना ही संसद में कोई कानून पास करना चाहती है। केंद्र सरकार के इस रवैये ने अल्पसंख्यकों के बीच एक भय की हालत पैदा कर दी है।
केंद्र व राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वे लोकतंत्र के संवैधानिक तरीके को मानें और उसी के अनुसार अमल करें, जो कि मौजूदा समय में नजर नहीं आ रहा है। संविधान सरकार और नागरिकों के बीच एक समझौता है। देश का संविधान अपने नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने और उन्हें इज्जत और सम्मान के साथ जीने देने की जमानत देता है। नागरिकों के बीच गैर-कानूनी तरीके से पैदा किया गया खौफ न सिर्फ उनकी जिंदगियों को तबाह करता है बल्कि उनकी इज्जत को भी नुकसान पहुंचाता है। अतः सामाजिक संगठनों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे लोगों को उनके अधिकारों से अवगत कराएं।

ऐसे माहौल को देखते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने ‘‘बेखौफ जिओ; बाइज़्ज़त जिओ’’ के नाम से एक राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की है। इसके तहत हम देशभर में पोस्टर अभियान, हैंडबिल का वितरण, नुक्कड़ सभा, सेमिनार और जनसभाओं का आयोजन कर रहे हैं। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में पोस्टर चिपकाए जाने के बाद दोनों जगह की पुलिस ने मुस्लिम युवकों और पॉपुलर फंड के कार्यकर्ताओं को परेशान करना शुरू कर दिया है। उन्होंने शामली और मेरठ में झूठे मुकदमों में फंसाकर दो लोगों को गिरफ्तार किया। इधर दिल्ली पुलिस पूछताछ के नाम पर बार-बार हमारे कार्यालय पर धावा बोल रही है। रह-रहकर अधिकारी हमारे कार्यालयों पर आ रहे हैं लेकिन हमने इसका विरोध नहीं किया। मगर आए दिन कार्यालय के प्रबंधन मामलों में हस्तक्षेप को किसी भी सूरत सही नहीं ठहराया जा सकता।

जब अभियान के कारण एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद हमने शामली एसडीएम के सामने जमानत की अर्जी दी, तो एसडीएम ने मामले की सुनवाई तक नहीं की और कार्रवाई को आगे बढ़ा दिया। मेरठ में पोस्टर के संदेश पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295 का इस्तेमाल किया गया। हमें आश्चर्य इस बात पर है कि इस संदेश से किसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।
हमारे पोस्टर संदेश में कौन सी चीज गैर-कानूनी है? क्या लोगों को बेखौफ जीने और बाइज़्ज़त जीने का पैगाम देना कोई अपराध है? जब हम लोगों से बेख़ौफ होकर जीने के लिए कहते हैं, तो इस संदेश से भगवा सरकार और उनकी पुलिस क्यों परेशान हो जाती है। अगर ऐसा है तो इसका मतलब है कि सरकार और पुलिस नफरती अपराध को अंजाम देने वालों के साथ मिली हुई है।
इस अभियान के माध्यम से, हम सिविल सोसायटी से लिंचिंग के खिलाफ आगे आने की अपील करते हैं। भारत की खामोश अवाम को आगे बढ़कर इन बददिमाग, हिंसक भीड़ के पीछे छिपे असल लोगों को निकाल बाहर करना चाहिए जो पुलिस के एक वर्ग की ख़ामोश मदद से काम करते हैं, जैसा कि हम उत्तर भारत के कई राज्यों में देख चुके हैं। हमें इन साम्प्रदायिक गुंडों को रोकने के लिए क़ानूनी रूप से जायज़ तरीके अपनाने चाहिएं।

मॉब लिंचिंग को रोकने का पहला उसूल यह है कि भीड़ का डर दिल से निकाल दिया जाए। ख़ौफ के साए में जी रहे मुसलमानों, दलितों, ईसाईयों और दूसरे लोगों को बेहतर नेटवर्किंग और आपसी सहयोग के ज़रिये अपने वजूद को बहाल करना होगा। भारतीय दंड संहिता में क़ातिल भीड़ को सज़ा देने के लिए कोई मुनासिब प्रावधान मौजूद नहीं है। इसीलिए नए क़ानून बनाने के लिए दबाव बनाया जाए ताकि हत्या और आगज़नी करने वाले गली के गुंडों को सज़ा मिल सके। इन अपराधियों को कटघड़े में खड़ा करने के लिए लोगों को बेहतर क़ानूनी योजना बनानी होगी और भीड़ के पीछे काम करने वाली असल ताक़तों को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर रणनीति तैयार करनी होगी।
हम लोकतांत्रिक व कानूनी तरीकों पर अमल कर रहे हैं। इसलिए हम पुलिस और केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार से अपील करते हैं कि वे इज्जत के इस बड़े संदेश को आम करने के लिए मुस्लिम युवकों और हमारे संगठन को निशाना बनाना और परेशान करना बंद करें।
साथ ही हम मीडिया से इस अन्याय को बेनकाब करने की भी अपील करते हैं; इस संदेश में हमारा साथ दें और बेखौफ जीने और बाइज़़्ज़त जीने में अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों की मदद करें।
प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद पदाधिकारीः
अनीस अंसारी – सचिव, नॉर्थ ज़ोन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया
वसीम अहमद – कन्वीनर, एडहॉक कमेटी, उत्तर प्रदेश, पॉपुलर फ्रंट
मोहम्मद अशफाक – एडहॉक कमेटी मेंबर, उत्तर प्रदेश, पॉपुलर फ्रंट
मौलान मक़सूम नदवी – एडहॉक कमेटी मेंबर, उत्तर प्रदेश, पॉपुलर फ्रंट

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity