अशफाक कायमखानी।जयपुर।
सूरत के एक कोचिंग मे आग लगने के कारण स्टुडेंट्स के जलकर मारे जाने के बाद देश भर मे अग्निशमन विभाग के पास आग बूझाने वाले उपलब्ध साधनो मे खासतौर पर आखिरी मंजिल तक फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों के पहुंचने को लेकर छिड़ी बहस के बाद राजस्थान हाईकोर्ट मे दायर एक जनहित याचिका के बाद विद्वान जस्टिस मोहम्मद रफीक खान व जस्टिस एन एस ढड्ढा की बेंच ने आदेश देकर आग बूझाने के लिए 32-मीटर से ऊंची हाईड्रोलिक सीढी की व्यवस्था होने तक जयपुर सहित सभी सम्भाग मुख्यालयों पर इससे अधिक ऊंचे नये निर्माण की अनुमति देने पर रोक लगा दी है। साथ ही दो माह मे सम्भाग मुख्यालयों पर बहुमंजिले भवन, कोचिंग सेंटर, माल, व छात्रावासों मे उपलब्ध बचाव के साधन की जांच व अग्निशमन से जुड़े खाली पदो को भरने को भी सरकार को कहा है।
न्यायालय मे सरकार द्वारा पेश जवाब मे अग्निशमन कर्मियों के 1203 पद खाली होना स्वीकारते हुये जयपुर, व कोटा मे बत्तीस मीटर ऊंची हाईड्रोलिक सीढी होना मानने के साथ साथ सतर मीटर लम्बी सीढी लाने की प्रक्रिया मे होना बताया। अलवर जिले के भीवाड़ी मे साठ मीटर सीढी उपलब्ध होना बताया गया। न्यायालय ने जयपुर मे 18 अप्रेल 2018 को हुये अग्नि हादसे के मलबे के हटने पर तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के लिये अधिवक्ता अमितोष पारीक को कोर्ट कमिश्नर भी नियुक्त किया गया है।