भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री राजे निकलेगी प्रदेश के दौरे पर।
अशफाक कायमखानी।जयपुर।
भारतीय राजनीति मे चोधरी चरणसिंह व चोधरी देवीलाल के तत्तकालीन समय के अलावा आज से पंद्रह साल पहले तक किसी ना किसी रुप मे जाट राजनीति की स्वतंत्र आवाज भारत भर मे गुंजा करती थी। लेकिन जब से खेत से जुड़े जाट नेताओं के बजाय उनकी जगह व्यापारीक सोच वाले जाट नेताओं का राजनीति मे बोलबाला हुवा है, तब से स्वतंत्र जाट आवाज मंद पड़ने लगने का असर राजस्थान की जाट राजनीति पर भी पड़ने लगा है।
राजस्थान मे अंग्रेजों व सामंतो के खिलाफ जाटो की किसान सभा नामक संगठन ने आंदोलन चलाकर आजादी पाने के बाद जोत की जाने वाली खेती जोतने वाले किसान के नाम होने की उपलब्धि पाकर प्रदेश मे एक बडा बदलाव लाकर अपने स्थायित्व का अहसास करवाया था। आजादी के बाद मारवाड़, बीकाणा व शेखावाटी जनपद के सरदार हरलाल सिह, चोधरी कुमभाराम, नाथूराम मिर्धा, चोधरी रामनारायण, शीशराम ओला, परशराम मदेरणा, रामनिवास मिर्धा , कामरेड श्योपत सिंह व दौलतराम सारण सहित अनेक जाट नेताओं का राजनीति मे सीधा दखल होकर एक स्वतंत्र आवाज मानी जाती थी। उसके बाद 2003 मे जाटो की बहु वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री बनने के बाद जाट समुदाय ने बेटा-बेटी के बजाय बहु के मुख्यमंत्री बनने को भी अपनी जीत मान कर खुशी का इजहार करते आये है। लेकिन अब वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह को केंद्र मे मंत्री नही बनाने के वावजूद उनके विरोधी माने जाने वाले ओम बिड़ला को लोकसभा अध्यक्ष बनाने के साथ साथ स्वयं वसुंधरा को राज्ससभा उम्मीदवार बनाकर केंद्र मे मंत्री नही बनाने का संकेत मिलने के बाद जाट समुदाय ठगा हुवा महसूस कर रहा है। दूसरी तरफ भाजपा मे मदनलाल सैनी की जगह जाट जाती के सतीस पूनीया को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनाने की चर्चा चल पड़ी है।
कांग्रेस मे अलग अलग समय मे सरदार हरलाल सिह, चोधरी रामनारायण, नाथूराम मिर्धा, परशराम मदेरणा, चोधरी नारायण सिंह व डा.चंद्रभान जैसे छ जाट प्रदेशाध्यक्ष बनने के बावजूद कोई भी जाट कांग्रेस सरकार मे कभी मुख्यमंत्री नही बन पाये पर उस समय उनकी राजनीतिक आवाज मे दम हुवा करता था। अब कांग्रेस मे ना कोई जाट प्रदेशाध्यक्ष है ओर ना ही मुख्यमंत्री है। हालांकि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष किसी जाट के बनने की सम्भावना के वास्तविकता मे बदलने से पहले ही भाजपा का जाट के रुप मे सतीस पूनीया के भाजपा अध्यक्ष बनने की अटकलें जोर पकड़ने लगी है।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पूत्र दुष्यंत सिंह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने मंत्रिमंडल मे मंत्री नही बनाने के साथ साथ उनके विरोधियों को पार्टी व केंद्र सरकार मे खासी अहमियत मिलने की चासनी चखने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने स्तर पर राजस्थान दौरे पर निकलने की तैयारी करने की सूचना से कांग्रेस व भाजपा हलको मे खासा पारा गरम होने लगा है। भाजपा व कांग्रेस मे कोई खास अहमियत मिलती नही नजर आने पर अगर जाट समुदाय वसुंधरा राजे को जाट बहु मानकर उनके राजस्थान दौरे मे भीड़ के रुप मे उमड़ आता है तो माने प्रदेश मे राजे के नेतृत्व मे तीसरा मोर्चा जल्द उभर सकता है।
कुल मिलाकर यह है कि सभी वसुंधरा राजे भी राजस्थान मे भाजपा हुवा करती थी। लेकिन आज राजे भाजपा की राजनीति मे पूरी तरह साईड लाईन हो चुकी है। जीद की पक्की व विरोधियों को नाको चना चबाने की माहिर माने जाने वाली वसुंधरा राजे के प्रदेश दौरे पर सबकी निगाहें रहेगी। अगर समय रहते कांग्रेस ने बनते बीगड़ते राजनीतिक हालत को नही सम्भाला तो मानो जिस दिन राजे के नेतृत्व मे अगर तीसरे मोर्चे का गठन हुवा तो कांग्रेस की हात बिहार, यूपी, बंगाल व आंध्रप्रदेश जैसी राजस्थान मे भी हो सकती है।