उत्तराखंड के खानपुर से बीजेपी विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन ने न्यूज़ 18 के पत्रकार राजीव तिवारी को जान से मारने की धमकी दी. उन्होंने पत्रकार पर सरेआम हाथ भी उठाया. बताया जा रहा है कि चैंपियन चैनल में दिखाई गई किसी खबर से नाराज थे. उन्होंने पत्रकार को दिल्ली स्थित उत्तराखंड भवन बुलाकर धमकाया. पत्रकार राजीव तिवारी ने पुलिस से इस घटना की शिकायत की है.
दरअसल राजीव तिवारी हर दिन की तरह रिपोर्टिंग पर थे. इसी दौरान उन्हें फोन आया कि चैंपियन उनसे मिलना चाहते हैं. राजीव ने अपना काम निपटाकर चैंपियन से मिलने की बात कही. राजीव जब चैंपियन से मिलने दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन के कमरा नंबर-204 में पहुंचे, तो वहां उन्हें बिठाया गया.
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राजीव तिवारी के मुताबिक उनके पहुंचने के बाद प्रणव चैंपियन ने अपनी पिस्तौल मंगाई और उसे फिल्मी अंदाज में सेंट्रल टेबल पर रख दिया. उसके बाद फोन पर उन्होंने किसी का नंबर मिलाकर ऐसी बातें शुरू की, जिससे राजीव तिवारी को लगे कि चैंपियन बहुत खतरनाक किस्म के आदमी हैं.
खबर चलाई तो गोली मार दूंगा
राजीव के मुताबिक बीजेपी विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन ने उन्हें सीधे धमकी दी कि अगर मेरे खिलाफ खबर चलाओगे तो गोली मार दूंगा. दरअसल कुछ दिन पहले कुंवर प्रणव चैंपियन को लेकर एक खबर चली थी, जिससे वो नाराज थे
पत्रकारों को कहे अपशब्द
रिपोर्टर राजीव तिवारी का कहना है कि उत्तराखंड सदन के कमरा नंबर-204 में विधायक महोदय पत्रकारों को सामूहिक रूप से अपशब्द कहने लगे. उस समय प्रणव के साथ कमरे में 6-7 लोग मौजूद थे. जब राजीव तिवारी ने इसका विरोध किया तो प्रणव चैंपियन अपना पिस्टल उन्हें दिखाने लगे कि वो ऐसे गोली मार देते हैं. राजीव तिवारी ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने इसलिए बुलाया था? तब उन्होंने एक दूसरे चैनल के रिपोर्टर का नाम लेकर गाली देना शुरू कर दिया.
इस बीच राजीव नीचे उतरकर सदन के व्यवस्थापक रंजन मिश्रा के कमरे में चले आए तो उनके पीछे-पीछे वहां भी चैंपियन पहुंच गए. इस दौरान वहां एक अन्य चैनल के रिपोर्टर भी पहुंच गए. गुस्से से तमतमाए प्रणव ने अपने लोगों के साथ उत्तराखंड सदन के व्यवस्थापक रंजन मिश्र के कमरे में भी मारने की कोशिश की लेकिन शायद कैमरा चलता देख चैंपियन रुक गए.
क्या थी खबर जिससे खफा थे चैंपियन
दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित उत्तराखंड सदन में हरिद्वार नंबर के रजिस्ट्रेशन वाला एक वाहन पार्क किया गया था. इस गाड़ी का प्रयोग चैंपियन अपना काफिला बनाने के लिए करते हैं. इस वाहन पर गलत तरीके से उत्तराखंड पुलिस लिखवाया हुआ है, जबकि यह गाड़ी एक निजी वाहन है, जो 23 दिसंबर, 2013 को राजा नरेंद्र सिंह के द्वारा खरीदा गई थी.
(सोर्स न्यूज १८)