अशफाक कायमखानी।जयपुर।
राजस्थान के झूंझुनू जिले की मंडावा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक नरेन्द्र सिंह व नागोर जिले की खीवंसर विधानसभा क्षेत्र से रालोपा विधायक हनुमान बेनीवाल के झूंझुनू व नागोर लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बनने के बाद उन दोनो के विधायक पद से त्यागपत्र देने के बाद अब दोनो सीटो पर उप चुनाव होने है। जिन चुनावो मे कांग्रेस व अन्य उम्मीदवारों मे कड़ा मुकाबला होनै की उम्मीद जताई जा रही है।
उक्त भाजपा व रालोपा के दोनो विधायको के त्याग पत्र देने के बाद राजस्थान मे दो रिक्त सीट होने के बाद बचे 198 विधायको मे 100 विधायक कांग्रेस की टिकट पर जीते हुये होने के चलते कांग्रेस का मौजूदा समय मे स्पष्ट बहुमत हो चुका है। लेकिन जल्द होने वाले दोनो उपचुनाव मे कांग्रेस व स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सरकार की प्रतिष्ठा जूड़ चुकी है। रालोपा नेता व सांसद हनुमान बेनीवाल के दोनो सीटो से अपने उम्मीदवार लड़ाने का ऐहलान कर देने से भाजपा खेमे मे बेचैनी होना बता रहे है। वही मंडावा से लगातार हार रहे कांग्रेस जाट उम्मीदवार को बदलकर मुस्लिम को टिकट देने की मांग कांग्रेस के हलके मे उठने से कांग्रेस मे हलचल मचा कर रखदी है। मंडावा के स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने कांग्रेस के अलावा सांसद असदूद्दीन ओवेसी की पार्टी से टिकट पाकर चुनाव लड़ने की कोशिशें करने के बाद क्षेत्र मे अलग तरह की चर्चा को जन्म दे रहा है।
हालांकि मंडावा से दो दफा लगातार कांग्रेस उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ रहा है।ओर खीवंसर से बेनीवाल चार दफा से लगातार विधायक जीतजे आने से क्षेत्र के मतदाताओं पर उनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जा रही है। उपचुनाव मे बेनीवाल के परिवार से ही खींवसर से फिर उपचुनाव मे उम्मीदवार बनने की खबर है। वही मंडावा से भाजपा के निवर्तमान भाजपा विधायक नरेन्द्र सिंह के परिवार से फिर से भाजपा उम्मीदवार बनने की उम्मीद है। दोनो जगह कांग्रेस को चुनाव जीतने के लिये नये उम्मीदवार पर दाव खेलना होगा वरना परिणाम वोही पुराने आने की उम्मीद अधिक बताई जा रही है।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान के होने वाले दोनो उपचुनाव मे कांग्रेस के पास खोने के लिये तो कुछ नही है। पर भाजपा व रालोपा को अपनी अपनी सीट बचाये रखने की चुनौती जरूर बनी हुई है। कांग्रेस अगर समझदारी से उम्मीदवार बदलकर चुनावों मे उतरे तो चाहे दोनो जगह ना सही पर मंडावा सीट जरूर निकाल सकती है। देखना होगा कि उपचुनाव मे कांग्रेस अपनी लगातार होती हार को जीत मे बदल पाती है या फिर वोही ढाक के तीन पात परिणाम आते है।