मिल्लत टाइम्स,मुंबई:जेट एयरवेज के बंद होने के बाद से सभी कर्मचारी आर्थिक संकटसे जूझ रहे हैं। शुक्रवार कोकर्मचारियों का एक प्रतिनिधिमंडल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिला। उन्होंने मुख्यमंत्रीसे कहा, ‘‘हम कम वेतन पर काम करने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि जेट एयरवेज वापस आए।’’
फडणवीस ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया है कि सरकार 23 मई के बाद इस मामले में हस्तक्षेप करेगी। इससे पहले कंपनी केकर्मचारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी कंपनी को बचाने की अपील कर चुके हैं।
जेट एयरवेज पर 8,000 करोड़ रुपए का कर्ज
जेट एयरवेज पिछले चार महीने से कर्ज संकट का सामना कर रही है। जेट की उड़ानें 17 अप्रैल से ही बंद है। कंपनी पर 8,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। जेट के 22 हजार से ज्यादा कर्मचारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
जेट पिछले 7 साल में बंद होने वाली छठी और दूसरी बड़ी एयरलाइन है। 2012 में माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस बंद हुई। इसके बाद एयर पेगसस, एयर कोस्टा, एयर कार्निवल और जूम एयर ने भी अपनी उड़ानें बंद कर दी।
जेट के पायलट्स और इंजीनियर्स को अगस्त 2018 से किस्तों में वेतन मिल रहा था। कर्मचारियों की पिछले चार महीने की सैलरी बकाया है। कर्मचारियों को उम्मीद थी कि कंपनी को बैंकों से 1,500 करोड़ रुपए मिलेंगे तो कुछ राहत मिलेगी, मगर ऐसा नहीं हुआ।
बैंकों ने 25 मार्च को जेट को 1,500 करोड़ रुपए देने की बात कही थी, मगर केवल 300 करोड़ रुपए दिए। वह भी किस्तों में। इसका एयरलाइन को कोई फायदा नहीं हुआ।
एविएशन इंडस्ट्री के सूत्र ने न्यूज एजेंसी को बताया, ‘‘जेट एयरवेज में अब ज्यादा कुछ नहीं बचा है। इसके ज्यादातर स्लॉट जा चुके हैं। पायलट इसे छोड़ चुके हैं। प्लेन भी डिरजिस्टर्ड हो गए हैं। मुझे नहीं लगता कि कोई नीलामी में गंभीर होकर बोली लगा रहा है। बैंक भी जेट के मामले में अधिकांश पैसा खोने जा रही है।’’
हालांकि एविएशन इंडस्ट्री के एक एग्जीक्यूटिव ने कहा, ‘‘इस मामले में कुछ भी हो सकता है। नीलामी की प्रक्रिया जब तक पूरी नहीं हो जाती, तब तक इंतजार करना चाहिए।’’ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नीलामी की बोली लगाने की अंतिम तिथि 10 मई तय की गई है।