*पवित्र रमजान महीना शीघ्र आने वाला है*

(फजलुर्रहमान क़ासमी इलाहाबादी)
इस्लामी शरिया के अनुसार सबसे पवित्र रमजान शीघ्र आने वाला है ,इस्लाम में इस महीने को काफी महत्तव है ,इस्लाम धर्म के अनुसार सबसे पवित्र ग्रंथ क़ुरान इसी महीने में अवतरित की गयी ,क़ुरान के अलावा दोसरी आसमानी ग्रन्थ भी इसी महीने में उतारे गये ,इस्लाम धर्म के संस्थापक मोहम्मद साहब इस महीने में बहुत ज़्यादा इबादत करते थे ,इस महीने के आने से पहले ही साहब इकराम को इस महीने की फ़ज़ीलत से आगाह करदेते थे ताकि इस महीने में किसी भी तरह से गफलत न बरतें बल्कि अपना अधिकांश समय इबादत में लगाएं ,

*शैतान को क़ैद कर दिया जाता है,*

रमजान का महीना इस क़दर पवित्र है जन्नत के दरवाज़ो को खूल दिया जाता है ,और शैतान को ज़ंज़ीर में जकड़ दिया जाता है ताकि इस पवित्र महीने में लोग इबादतों में मशगूल रहें ,और इस माहींने में रिज़्क़ बढ़ा दिया जाता है ,

*नेकी 70 गुना बढ़ा दी जाती है*

हदीस में है इस महीने में नेकियों के सवाब को बढ़ा दिया जाता है ,एक नेकी करने पर 70 नेकियों का सवाब मिलता है ,रमजान में कोई एक नमाज़ पढता है तो उसको 70फ़र्ज़ नमाज़ों का सवाब मिलता है ,ऐसे ही कोई भी फ़र्ज़ ऐदा करे उसे 70 गुना सवाब मिलता है ,इससे पता चला क़ि रमजान में एक फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ना रमजान के अलावा महीने में 70 फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ने पर जो सवाब मिलता है रमजान में अल्लाहताला एक पढ़ने परवह सवाब देदेता है ,ऐसे ही नफ्ल पर फ़र्ज़ पढ़ने के बराबर सवाब मिलता है ,अल्लाह की तरफ से यह इज़ाफ़ा रमजान की बरकत की वजह से होता है ,

*तरावीह की नमाज़ सुन्नते मुअक़्क़दा*

रमजान में एक विशेष नमाज़ अदा की जाती है जिसे तरावीह कहा जाता है ,यह नमाज़ इस्लाम के संस्थापक मोहम्मद साहब ने केवल तीन दिन पढ़ा था इस डर से कहीं यह नमाज़ फ़र्ज़ ना हो जाये नही पढ़ा ,नबी के ज़माने में और आपकी देहांत हो जाने के बाद इस्लाम के पहले खलीफा हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ राज़िअल्लाहुणहु के ज़माने में भी लोग तनहा तनहा तरावीह की नमाज़ अदा करते रहे ,सन 15 हिजरी में इस्लाम के दोसरे खलीफा हज़रत उमर फारूक राज़िअल्लाहुणहु ने तरावीह की नमाज़ एक इमाम के पीछे शुरू करायी ,और उबैइब्ने काब राज़िअल्लाहुणहु को तरावीह का पहला इमाम मुक़र्रर किया ,और उन्होंने 20 रकात तरावीह की नमाज़ अदा करायी ,तबसे आजतक मस्जिदे हराम मक्का और मस्जिदे नबवी मदीना ने 20 नमाज़ तरावीह की नमाज़ अदा की जा रही है ,

*तरावीह की नमाज़ छोड़ना गुनाह*

तरावीह की नमाज़ में पूरा क़ुरान पढ़ा जाता है ,मुस्लिम समुदाय के लोग इस नमाज़ को काफी शौक़ से पढ़ते हैं ,इस नमाज़ के प्रति उनमे काफी उत्साह दिखाई देता है ,अगर बात की जाये इस्लामी शरिया की तो तरावीह की नमाज़ सुन्नत मुअक़्क़दा है इसका मतलब यह है कि बगैर किसी परेशानी के इस नमाज़ को छोड़ना गुनाह है और इस नमाज़ को पढ़ने पर बहुत ज़्यादा सवाब मिलता है ,

*रमजान का रोज़ा फ़र्ज़*

इस्लामी शरिया में रमजान के रोज़ों का काफी ज़ियादा महत्व है ,रमजान के पूरे महीने का रोज़ा फ़र्ज़ है यानि जो मुसलमान बालिग हैं जिनकी आयु 15 वर्ष की है उस पर रमजान का रोज़ा फ़र्ज़ है ,अथवा अगर कोई मुसाफिर हो यानि 76 किलोमीटर सफर करना चाहता है तो उसे शरीयत में रुखसत दी है कि अगर वह चाहे तो रोज़ों की बाद में क़ज़ा करे ,ऐसे कोई ऐसा मरीज़ हो ,अगर रोज़ा रखता है तो उसकी जान जाने का खतरा हो या उसके मर्ज़ के बढ़ जाने का खतरा हो तो वह फ़िलहाल रोज़ा न रखे बल्कि जब स्वथ हो जाये तो रोज़ों की क़ज़ा करे ,

*रमजान का रोज़ा छोड़ना बहुत बड़ा गुनाह*

रमजान के रोज़े पर अल्लाहताला बहुत ज़ियादा सवाब देता है ,रोज़े पर कितना सवाब मिलता है ,यह सिर्फ अल्लाह को मालूम है ,हदीस में है मेरे बन्दे ने मेरे लिए खाने पीने को छोड़ा लिहाज़ा मैं उसका बदला खुद ही दूँगा ,दोसरी इबादतों का बदला अल्लाहताला फरिश्तों के जरिए से दिलवाता है,एक दोसरी हदीस में है रोज़ा जहन्नम से ढाल है मतलब यह है दुनिया में रोज़ा रखने वाला जहन्नम में नही जायेगा ,जबकि रोज़ा का छोड़ना जिसको कोई उज़्र ना हो बहुत बड़ा गुनाह है ,ऐसा मुस्लमान अल्लाह और उसके रसूल का नाफ़रमान है ,
*रमजान में इबादत का एहतिमाम करें*

प्यारे नबी ने रमजान के महीने को उम्मत का महीना क़रार दिया ,रमजान का महीना अल्लाह को राज़ी करने का महीना है रमजान के महीने ही सच्ची तौबा करनी चाहिए और रमजान में खूब इबादत करना चाहिए रमजान की हर रात में गुनाहगारों की मगफिरत होती है लिहाज़ा अल्लाह के सामने रूना चाहिए ,और अपनी मगफिरत की भीख मांगनी चाहिए ,और जहन्नम से पनाह मांगना चाहिए ,

*रमजान में जो महरूम वह सबसे बड़ा बदनसीब*

रमजान के महीने में अल्लाह की रहमत आम होती है ,हर तरफ रहमत बरसती रहती है ,रोज़ाना यह ऐलान होता है अल्लाह की तरफ से कि कोई गुनाह से माफ़ी मांगने वाला कि उसे माफ़ किया जाये ,रमजान के आखिरी रात में बहुत ज़्यादा लोगों की मगफिरत होती है ,अल्लाह के नबी ने उस मुस्लमान के बारे में बद्दुआ दी है जो रमजान के महीने को पाये और नेक अमल करके अपनी मगफिरत ना करा सके ,जिबरील अलैहिस्सलाम ने यह बद्दुआ दी थी और हमारे प्यारे नबी ने उस पर आमीन कहा ,लिहाज़ा उस शख्स की बर्बादी के बारे में कोई शक नही जो रमजान को पाये और अपनी मगफिरत ना करा सके यानि रमजान में भी गुनाह में पड़ा रहे और नेक अमल ना करे

*रमजान में गरीबों का रखें खास ख्याल*

एक हदीस में है रमजान का महीना एक दोसरे के साथ घमखारी का महीना है मतलब अपने पकवान और रिज़्क़ में अपने दोसरे भाईयों को भी शामिल करें खासतौर से गरीबों और पड़ोसियों का खास ख्याल रखे ,उनका हर तरह से सहयोग करे ,उसे बहुत ज़्यादा सवाब मिलेगा ,इसलिए समस्त मुस्लिम भाईओं से निवेदन है कि इस पवित्र महीने के आने से पहले ही अल्लाह के दरबार में सच्ची तौबा करे ,और यह इरादा करे की रमजान में नेक अमल करके अपने अल्लाह को राज़ी करना है ,क्यंकि किया अगले साल हम रमजान में जीवित रहें या नही ,क्यंकि हमारे बहुत से भाई पिछले साल रमजान में थे लेकिन इस बार मौजूद नही ,क्या पता अगले साल हम भी ना रहें इसलिए समय को गनीमत जाने और पवित्र रमजान में नमाज़ की पाबंदी करें और क़ुरान की खूब तिलावत करें,अल्लाह से दुआ है कि हम सबको रमजान की कदरदानी करने वाला बनाये,अमीन

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity