मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:कोलकाता.लोकसभा चुनाव में फंड जुटाने के लिए उम्मीदवार ऑनलाइन क्राउड फंडिंग का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। ऑनलाइन फंड जुटाने के मामले में बिहार के बेगूसराय से सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार, नागपुर से कांग्रेस उम्मीदवार नाना पटोले, दिल्ली में आप के राघव चड्ढा, प. बंगाल में रायगंज सीट से सीपीआई (माले) के मोहम्मद सलीम जैसे बड़े नेता भी शामिल हैं।
भारत में 2017 से क्राउड फंडिंग की शुरुआत हुई
यूरोप में चुनाव से पहले ऑनलाइन क्राउड फंडिंग काफी लोकप्रिय है। भारत में पहली बार 2017 में मणिपुर में फंडिंग किया गया था। अफ्स्पा के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली इरोम शर्मिला ने अपनी पार्टी पीपल्स रिसर्जेंस और जस्टिस अलायंस के लिए क्राउड फंडिंग से 4.5 लाख रुपए जुटाए थे। इसके बाद से इंटरनेट के जरिए पैसे जुटाने के चलन की भारत में शुरुआत हो गई।
ऑनलाइन क्राउड फंडिंग के मुताबिक, जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने 5,500 से ज्यादा लोगों से 70 लाख रु. फंड जुटाया है। आप के पूर्वी दिल्ली से लोकसभा उम्मीदवार अतिशी मर्लेना को अब तक 50 लाख रुपए मिले हैं। आंध्र प्रदेश के परचुर क्षेत्र से बसपा के उम्मीदवार पेदापुदी विजय कुमार इस लिस्ट में तीसरे नंबर हैं। उन्होंने 1,90,000 रु. जुटाए हैं। माकपा के दिग्गज नेता मोहम्मद सलीम ने 1,40,00 रु. जुटाए हैं।
कन्हैया कुमार के चुनावी कैंपेन के प्रमुख रेजा हैदर ने बताया कि हमने लोकसभा चुनाव के लिए क्राउड फंडिंग से पैसे जुटाने का निर्णय लिया। हम इसे पूरी तरह पारदर्शी रखना चाहते हैं। लोगों के घर-घर जाकर उनसे मदद मांगना लेफ्ट पार्टियों में आम है। ऑनलाइन क्राउड फंडिंग से पैसे जुटाना आसान है और इससे आप कम समय में अधिक पैसे जुटा सकते हैं।
सलीम ने कहा कि वह पहली बार क्राउड फंडिंग से पैसे जुटा रहे हैं। देश और विदेशों में रहने वाले दोस्त और शुभचिंतक कैंपेन के लिए फंड दे रहे हैं। आवर डेमोक्रेसी डॉट इन ऑनलाइन क्राउड फंडिंग की लोकप्रिय वेबसाइट है। यह 40 प्रोजेक्ट पर काम कर रही है और इसने 17,000 लोगों से 1.4 करोड़ रु. जुटाए हैं।
वेबसाइट के फाउंडर आनंद मंगनाले ने बताया कि अब तक, हमने लगभग 1.4 करोड़ रु. तक जुटा लिए हैं। इसमें पारदर्शिता बनाए रखने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हर ट्रांजेक्शन का हम हिसाब देते हैं, चाहें वह 100 रुपए का हो या 5000 रु का। अगर आप 100 रु. भी दान करते हैं तो आपको मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी दर्ज कराना होता है। हम अच्छी तरह से जांच के बाद ही डोनेशन लेते हैं। हर डोनेशन पर हम पांच फीसदी मुआवजा लेते हैं।
आजादी के बाद, लेफ्ट के साथ ही कई पार्टियां आमजन के घर जाकर पैसे दान के रूप में लेती थी। लेकिन, कॉर्पोरेट फंडिंग के बाद से यह धीरे-धीरे खत्म हो गया। बसपा के उम्मीदवार पेदापुदी विजय कुमार का कहना है कि भारत में चुनावी फंडिंग काले धन से हो होती रही है। लेकिन, ऑनलाइन क्राउड फंडिंग पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया है।
वेबसाइट के मुताबिक, कॉर्पोरेट हाउस राजनीतिक पार्टियों को चंदा देते हैं और उन्हें बदले में अपने फायदे वाली सरकारी नीतियां बनाने के लिए कहती हैं। यह प्रक्रिया लोकतंत्र के लिए खतरा है।
(इनपुट भास्कर)