नं 1 होते हुए CBI निदेशक न बनाने पर छलका IPS अहमद का दर्द कहा मुसलमान होना गुनाह है क्या

मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:सीबीआई के डायरेक्टर की रेस से बाहर हुए यूपी के पूर्व डीजीपी जावीद अहमद का दर्द सोशल मीडिया पर छलका है। सोशल मीडिया पर उनका एक वाट्स एप मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें उन्होंने लिखा है, ‘अल्लाह की मर्जी। बुरा तो लगता है पर ‘एम’ होना गुनाह है। इस एम का मतलब मुस्लिम या माइनॉरिटी से लगाया जा रहा है।

दरअसल, शनिवार को मध्य प्रदेश कॉडर के 1983 बैच के आईपीएस ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई का निदेशक बनाया गया है। इसका मैसेज कई व्हाट्स एप ग्रुप पर चला। एक व्हाट्स एप ग्रुप में पूर्व डीजी और मौजूदा समय में दिल्ली में तैनात जावीद अहमद के नाम से एक मैसेज वायरल हो रहा है जिसमें ये बातें लिखी थीं। हालांकि, जावीद अहमद ने इस मैसेज को अपना मैसेज मानने से इंकार किया है।

उन्होंने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो इस तरह के मैसेज वायरल करने वालों के खिलाफ वह कानूनी कार्रवाई करेंगे। इसी वाट्स एप ग्रुप में शामिल एक पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन ने बताया कि जावीद अहमद ने क्या मैसेज किया था, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने जब उक्त व्हाट्स एप ग्रुप को चेक किया तो जावीद अहमद की ओर से एक डीलिट मैसेज का नोटिफिकेशन पड़ा हुआ था। उन्होंने कहा कि हो सकता है उन्होंने उस समय इस तरह का मैसेज किया हो, जिसे बाद में डिलीट कर दिया हो।

बता दें कि 1984 बैच के यूपी कॉडर के आईपीएस जावीद अहमद को जनवरी 2016 में कई अधिकारियों को सुपरसीड कर उत्तर प्रदेश का डीजीपी बनाया गया था। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद 22 अप्रैल 2017 को उन्हें हटा दिया गया था। सवाल उठ रहे हैं कि अगर अभी एम फैक्टर के तहत वह सीबीआई के डीजी नहीं बन सके तो उस समय किस फैक्टर के आधार पर कई अधिकारियों को सुपरसीड कर डीजीपी बने थे? हालांकि प्रदेश में अधिकारियों को सुपरसीड कर डीजीपी बनाए जाने की परंपरा कोई नई नहीं है। मौजूदा डीजीपी ओम प्रकाश सिंह भी चार अधिकारियों को सुपरसीड करके डीजीपी बने थे। जबकि जगमोहन यादव और बृज लाल भी कई अधिकारियों को सुपरसीड कर प्रदेश के पुलिस मुखिया बन चुके हैं।

मालूम हो कि शनिवार से सोशल मीडिया पर जावीद अहमद को लेकर दो मैसेज वायरल हो रहे हैं। एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि सीबीआई निदेशक के लिए हाई पावर कमेटी में जो तीन नाम फाइनल किए गए थे उसमें अनुभव के आधार पर जावीद अहमद का नाम पहले नंबर पर था। उन्हें जांच एजेंसियों में काम करने का 303 महीने का अनुभव बताया गया है। जबकि दूसरे नंबर पर यूपी के ही 1983 बैच के आईपीएस राजीव राय भटनागर का नाम है जिन्हें 170 महीने का अनुभव है। तीसरे नंबर पर तमिलनाडु कॉडर के 1984 बैच के आईपीएस सुदीप लखटकिया का नाम है जिनको 155 महीने का अनुभव बताया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस नोट में वरिष्ठता, वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट और जांच एजेंसियों में अनुभव के आधार पर पांच अधिकारियों की सूची तैयार की गई थी। इसमें उक्त तीन अधिकारियों के अलावा ऋषि कुमार शुक्ला और एपी महेश्वरी का भी नाम शामिल था।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity