नौकरी में देरी से टूट रहे शादी के रिश्ते,बेरोजगारी के कारण लड़की वाले कर रहे है इंकार

मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:लोकेश सोलंकी, इंदौर। सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में हो रही देरी प्रत्याशियों के करियर के साथ उनके शादी के सपनों पर भी भारी पड़ रही है। 26 वर्ष बाद प्रदेश में सहायक प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया हुई। अगस्त में परिणाम जारी हुआ तो कई चयनित उम्मीदवारों के रिश्ते भी फटाफट तय हो गए।

अच्छी नौकरी के साथ धूमधाम से शादी के सपने संजोए बैठे उम्मीदवारों को अब दोहरा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने नियुक्ति पर स्थगन क्या दिया, तमाम अविवाहितों की शादी पर भी दूसरे पक्ष ने स्टे ऑर्डर जारी कर दिया है। दोहरा झटका उन्हें लगा है, जिन्होंने प्राध्यापक बनने के चक्कर में पहले से चल रही नौकरी भी ठुकरा दी।

मप्र लोकसेवा आयोग ने सहायक प्राध्यापक चयन परीक्षा आयोजित की थी। अगस्त में चयन सूची जारी होने के साथ ही 2536 चयनित उम्मीदवारों की अच्छी नौकरी पाने का सपना सच हो गया। दरअसल सहायक प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति मिलते ही इन तमाम उम्मीदवारों को 55 हजार रुपए प्रतिमाह से ज्यादा वेतन मिलना तय है। सातवां वेतनमान लागू होने के बाद इन नवनियुक्त सहायक प्राध्यापकों का वेतन 65 हजार रुपए प्रतिमाह के पार हो जाता। मोटे वेतन वाली सरकारी नौकरी के मिलते ही तमाम ऐसे उम्मीदवार जो अविवाहित थे, उनके रिश्ते की बातें भी परवान चढ़ने लगीं।

बीते छह माह में ही पक्की हुई थी शादी

नवनियुक्त सहायक प्राध्यापक संघ के संभाग अध्यक्ष सागर सेन के अनुसार प्रदेशभर में चयनित उम्मीदवारों में करीब 400 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनकी शादी बीते छह माह में ही पक्की हुई है। नियुक्ति में देरी और संशय बढ़ने के साथ ऐसे उम्मीदवार लगातार संघ से संपर्क कर रहे हैं।

नियुक्ति की देरी के कारण शादी टलने लगी

साफ है कि रिश्ता पक्का होने के पीछे अहम वजह बेहतर रोजगार है। अब जब नियुक्ति पर शंका गहरा रही है, तो भविष्य में होने वाले ऐसे तमाम रिश्तों में भी अड़चन आती दिख रही है। इंदौर में ही तीन ऐसे उम्मीदवार सामने आ चुके हैं, जो कह रहे हैं कि नियुक्ति की देरी के कारण उनकी शादी भी टलने लगी है। एक उम्मीदवार चंद्रभान त्रिवेदी ने नईदुनिया को बताया कि उनके खुद के साथ भी ऐसा हो रहा है।

तय था कि शादी नौकरी लगने के बाद ही करना है। चयन सूची में नाम आया तो अच्छे रिश्ते आए। तुरंत बात तय हो गई। नियुक्ति नहीं होती देख सामने वाला पक्ष सीधे तौर पर रिश्ते से इन्कार तो नहीं कर रहा है लेकिन सगाई और शादी की बात टाली जा रही है। ऐसा मेरे साथ ही नहीं, कई और उम्मीदवारों के साथ हो रहा है। लड़की वाले नहीं चाहते हैं कि बेरोजगार से वे लड़की ब्याहें। मेरे दो दोस्तों मनोज सोलंकी और संजय प्रजापत की शादी की बात भी नियुक्ति के चलते अटक गई है।

दांव पर लगा भविष्य

इतना ही नहीं, कई ऐसे उम्मीदवारों का भविष्य भी दांव पर लग गया है, जिन्होंने सहायक प्राध्यापक में चयन होने पर दूसरी नौकरी छोड़ दी। बड़वानी के सायसिंह नामक उम्मीदवार ने पटवारी की ट्रेनिंग छोड़ दी। इसी तरह नीरज पटेल, सागर सेन जैसे कई उम्मीदवारों ने अन्य प्रदेशों का जॉब ऑफर छोड़ दिया क्योंकि मप्र में सहायक प्राध्यापक के रूप में उनका चयन हो चुका था।

अन्याय के खिलाफ कोर्ट जाएंगे
हम नवनियुक्त सहायक प्राध्यापकों ने संघ बनाया है। तय नियमों के मुताबिक परीक्षा दी। चयनित होने के बाद हमारी नियुक्ति में देरी कर करियर के साथ कई युवाओं के भविष्य को अधर में लटका दिया गया है। अन्याय के खिलाफ हम भी कोर्ट जा रहे हैं।(इनपुट जागरण)

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity