(सबनवाज अहमद / मिल्लत टाइम्स)
2005 सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की जांच करने वाले गुजरात कैडर-1992 बैच के आईपीएस अधिकारी रजनीश राय ने अचानक से ‘इस्तीफा’ दे दिया है। हालांकि उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था जिसे गृह मंत्रालय ने ठुकरा दिया था।
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में काउंटर इनसर्जेंसी और एंटी-टेररिज्म स्कूल के आईजी पद पर तैनात राय ने एक नोट लिखकर नौकरी छोड़ने की घोषणा की। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आवेदन पर उन्हें ईमेल कर कहा गया कि “गृह मंत्रालय के सक्षम प्राधिकारी द्वारा रिटायरमेंट का उनका आवेदन अस्वीकार किए जाने के बाद, वह फौरन ड्यूटी ज्वाइन करें।”
शिलांग में तैनाती के समय, 2017 में राय ने असम में दो कथित आतंकवादियों के मारे जाने को ‘संदिग्ध एनकाउंटर’ बताते हुए रिपोर्ट दी थी। इसके बाद उन्हें शिलांग से चित्तूर ट्रांसफर किया गया था।
उससे पहले वह झारखंड में यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के विजिलेंस ऑफिसर थे, जहां उन्होंने कॉर्पोरेशन में कथित भ्रष्टाचार पर रिपोर्ट तैयार की थी। राय ने सिफारिश की थी कि कॉर्पोरेशन के कई वरिष्ठ अधिकारियों पर आपराधिक मामले चलाए जाएं। इस रिपोर्ट के लिए सरकार ने ”बिना सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लिए” कार्रवाई करने पर उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
इस साल, 23 अगस्त को राय ने 50 वर्ष की आयु पूरी करने पर सरकार की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) के तहत रिटायरमेंट के लिए अप्लाई किया था। उन्होंने वीआरएस के लिए ऑल इंडिया सर्विसेज (मृत्यु-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 का हवाला दिया था। धारा 16(2) के तहत, 50 वर्ष की आयु पूरी करने पर अधिकारी वीआरएस ले सकता है, बशर्ते वह निलंबित न चल रहा हो।
23 अक्टूबर को सरकार की ओर से एक पत्र भेज राय को बताया गया कि उनका आवेदन खारिज कर दिया गया है क्योंकि ”सर्तकता के दृष्टिकोण से उन्हें मुक्त नहीं किया गया।” राय ने 30 नवंबर से रिटायरमेंट मांगा था, इसी दिन राय ने गृह मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर बताया कि “उन्होंने चित्तूर के आईजी (CIAT) का पद 30 नवंबर, 2018 को कार्यदिवस समाप्त होने के बाद त्याग दिया है और उन्हें सेवा से रिटायर माना जाए।”