मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली: केंद्र सरकार के मुताबिक नोटबंदी के बाद नए नोटों को छापने में 7 हजार 965 करोड़ रुपए खर्च हुए। वहीं नोटबंदी से पहले यह खर्च आधे से कम था। साथ ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार ने संसद को यह भी बताया कि नोटबंदी के दौरान चार लोगों की मौत हुई थी।
मंगलवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सांसद एलामरम करीम के सवालों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि साल 2016-17 में नोटबंदी के बाद नए नोटों की छपाई पर 7965 करोड़ रुपए खर्च हुए। वहीं साल 2015-16 में यह रकम 3421 करोड़ रुपए थी, जबकि साल 2017-18 में नोटों की प्रिंटिंग पर 4912 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
वित्त मंत्री ने बताया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर बाकी किसी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ने नोटबंदी के दौरान हुई मौतों का कोई आंकड़ा नहीं दिया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने बताया कि नोटबंदी के दौरान उसके तीन स्टाफ और एक ग्राहक की मौत हुई थी। ग्राहक की मौत पर उसके परिजनों को तीन लाख रुपए का मुआवजा दिया गया, जबकि तीनों स्टाफ के परिजनों को 41 लाख 6868 रुपए मुआवजे के तौर पर दिए गए।
इससे पहले केंद्रीय सूचना आयोग के सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने सरकार से नोटबंदी के बाद पांच सौ और दो हजार के कितने नोटों की छपाई के आंकड़े सार्वजनिक करने का आदेश दिया था। एक आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा था कि नोटों की छपाई और उससे संबंधित गतिविधियों को लोगों के साथ साझा नहीं किया जा सकता, कयोंकि इससे नकली मुद्रा का प्रसार होगा और आर्थिक दिक्कतें भी समस्याएं उत्पन्न पैदा हो सकती हैं।