नरसंहार के दस चरण और भारत

नई दिल्ली: (सैफुर रहमान) प्रो. ग्रेगरी स्टैंटन जेनोसाइड वॉच अध्यक्ष के मुताबिक नरसंहार एक ऐसी प्रक्रिया है जो दस चरणों में विकसित होती है. प्रत्येक चरण अपने आप में एक प्रक्रिया है.

इसके बिना इसके आसपास की प्रक्रियाएं नहीं हो सकतीं. जैसे-जैसे समाज अधिक से अधिक नरसंहार प्रक्रियाओं को विकसित करते हैं, वे नरसंहार के करीब आते जाते हैं. लेकिन सभी चरण पूरी प्रक्रिया में काम करना जारी रखते हैं.
वो दस चरण नरसंहार की कौन-कौन से है? भारत किस चरण में है?

01 वर्गीकरण: सभी संस्कृतियों में जातीयता, नस्ल, धर्म या राष्ट्रीयता के आधार पर लोगों को “हमें और उन्हें” में अलग करने के लिए श्रेणियां बनाना। भारत में, नागरिकता अधिनियम मुस्लिम शरणार्थियों के लिए नागरिकता के मार्ग से इनकार करता है. दुनिया भर में जब हुकूमत की तरफ़ से एक खास समुदाय को अपने ही देश में विदेशी क़रार दिया जाता रहा है उसके बाद नरसंहार की घटनाएं होती रही हैं।

1982 में रोहिंग्या को विदेशी क़रार दिया गया था इसके बाद क्या हुआ दुनिया जानती है, 1994 में रवांडा में भी तुत्सी को विदेशी क़रार दिया जाने लगा था फिर रवांडा नरसंहार हुआ जिसमें लाखों लोगों की जाने गई।

02 प्रतीकीकरण: इसमें हम अपने देशों के नागरिकों को नाम या अन्य प्रतीक देते हैं। हम लोगों को “यहूदी” या “जिप्सी” नाम देते हैं, या उन्हें रंगों या पोशाक से अलग करते हैं; और समूहों के सदस्यों के लिए प्रतीकों को लागू करते हैं। भारत में वर्गीकरण राम के नाम और जय श्रीराम के नाम किया जा रहा है। ये भी एक प्रकिया है नरसंहार की ओर जाने का.

03 भेदभाव: इस चरण में एक खास समूह अन्य समूहों के अधिकारों से इनकार करने के लिए कानून, प्रथा और राजनीतिक शक्ति का उपयोग करता है. शक्तिहीन समूह को पूर्ण नागरिक अधिकार, मतदान अधिकार, या यहां तक कि नागरिकता भी नहीं दी जा सकती है.

खास समूह एक बहिष्करणवादी विचारधारा द्वारा संचालित होता है जो कम शक्तिशाली समूहों को उनके अधिकारों से वंचित करता है। भारत ने तीसरे चरण को कब का पार दिया है यहां आए दिन राजनीति शक्ति का प्रयोग कर मुस्लिम समुदाय के लोगों को जेल में भेजा जा रहा है, चाहे नागरिकता अधिनियम का विरोध करने वाले शरजील इमाम हो या झूठ को उजागर करने वाले आल्ट न्यूज के उप संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर।

04 अमानवीयता: एक समूह दूसरे समूह की मानवता को नकारता है। इसके सदस्यों की तुलना जानवरों, कीड़ों या बीमारियों से की जाती है. अमानवीयकरण हत्या के खिलाफ सामान्य मानव विद्रोह पर विजय प्राप्त करता है। इस स्तर पर, प्रिंट में, घृणास्पद रेडियो और सोशल मीडिया में नफरत फैलाने वाले प्रचार का उपयोग पीड़ित समूह को बदनाम करने के लिए किया जाता है।

भारत में जिस तरह से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ गो हत्या में संलिप्ता के नाम पर लोगों की हत्या की जा रही है और उनका विडीयो सोशल मीडिया पर शेयर किया जाता है ये इस बात की ओर इशारा है कि भारत चौथे चरण को भी कर चुका है.

05 संगठन: नरसंहार हमेशा आयोजित किया जाता है. आमतौर पर हुकूमत द्वारा, अक्सर हुकूमत की जिम्मेदारी से इनकार करने के लिए मिलिशिया का उपयोग करते हुए कभी-कभी संगठन अनौपचारिक होता है जैसे भारत में (आरएसएस) या विकेंद्रीकृत (आतंकवादी समूह।)

विशेष सैन्य इकाइयाँ या मिलिशिया अक्सर प्रशिक्षित और सशस्त्र होते हैं।भारत में आरएसएस क्या कर रही है ये हर भारतीयों को पता है तो कुल मिलाकर बात यह है कि संगठन की अहम भूमिका होती है नरसंहार को अंजाम देने में.

06 ध्रुवीकरण: चरमपंथी समूहों के लोग एक समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाते हैं। हुकूमत में बैठे लोग एक समुदाय के खिलाफ नफरती बयान देने लगे अभद्र भाषा की निंदा करने के बजाए उसे प्रोत्साहित करना या शिक्षकों के द्धारा असहिष्णुता को बढ़ावा दिया जाने लगे.

भारत की स्थिति तो इस चरण में टॉप पर है आए दिन मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हुकूमत में बैठे लोगों के द्वारा नफरती बयान और अभद्र टिप्पणी करने वाले को फूल माला से स्वागत किया जाता है.

नुपूर शर्मा केस में ही देख ले हुकूमत ने हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और वाली कार्यवाही करते हुए उससे पल्लू झाड़ते नज़र आए या यूं कहें पूरी संरक्षण दे रही है.

07 तैयारी: सातवें चरण में एक वे सेनाएँ बनाते हैं, हथियार खरीदते हैं और अपने सैनिकों और लड़ाकों को प्रशिक्षित करते हैं। वे पीड़ित समूह के डर से जनता को बहकाते हैं। नेता अक्सर दावा करते हैं कि “अगर हम उन्हें नहीं मारेंगे, तो वे हमें मार देंगे,” नरसंहार को आत्मरक्षा के रूप में प्रच्छन्न करते हैं।  भारत में हिन्दू ख़तरे में है ऐसी पटकथा आर एस एस एवं वर्तमान में हुकूमत में बैठे लोग अक्सर ऐसा दावा करते नज़र आते हैं.

08 उत्पीड़न: पीड़ितों की पहचान उनकी राष्ट्रीयता, जातीय, नस्लीय या धार्मिक पहचान के आधार पर की जाती है और उन्हें अलग कर दिया जाता है. अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं, यातनाओं और जबरन विस्थापन के माध्यम से पीड़ित समूह के सबसे बुनियादी मानवाधिकारों का व्यवस्थित रूप से उल्लंघन किया जाता है.

एक खास तरह कि पहनावा खाने पीने के लिए जोर जबरदस्ती करना। भारत में आए दिन मुस्लिम समुदाय की मॉब लिंचिंग की जाती है गो हत्या के नाम पर,तो कभी झूठी चोरी के नाम पर तो कभी जय श्रीराम जर्बदस्ती कहलवाया जाता है नहीं बोलने पर हत्या की जा रही है.

09 विध्वंस: नौवें चरण में विनाश शुरू होता है, और बड़ी तेजी से सामूहिक हत्या का आगाज होता है जिसे कानूनी तौर पर “नरसंहार” कहा जाता है. यह हत्यारों के लिए “विनाश” है क्योंकि वे अपने पीड़ितों को पूरी तरह से मानव नहीं मानते हैं. जब इसे हुकूमत द्वारा प्रायोजित किया जाता है, तो सशस्त्र बल अक्सर हत्या करने के लिए मिलिशिया के साथ काम करते हैं। कुल नरसंहार का लक्ष्य लक्षित समूह के सभी सदस्यों को मारना होता है.

लेकिन अधिकांश नरसंहार भाग में लक्षित समूह के सभी शिक्षित सदस्यों की हत्या की जा सकती है (बुरुंडी 1972). लड़ने की उम्र के सभी पुरुषों और लड़कों की हत्या की जा गई (स्रेब्रेनिका, बोस्निया 1995). सभी महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया (दारफुर, म्यांमार।) महिलाओं के सामूहिक बलात्कार रिपोर्ट की गई। अभी भारत इस नौवें चरण के बिल्कुल करीब आ पहुंचा है.

10 अस्वीकार: अंतिम चरण में नरसंहार के अपराधी सामूहिक कब्र खोदते हैं, शवों को जलाते हैं, सबूतों को छिपाने की कोशिश करते हैं और गवाहों को डराते हैं। वे इनकार करते हैं कि उन्होंने कोई अपराध किया है, और अक्सर पीड़ितों पर जो हुआ उसे दोष देते हैं। यदि कोई सशस्त्र संघर्ष या गृहयुद्ध चल रहा हो तो नरसंहार के कृत्यों को आतंकवाद विरोधी के रूप में प्रच्छन्न किया जाता है.

कुल मिलाकर भारत नरसंहार के सभी दस चरणों को स्पर्श कर लिया है भारत में कभी भी बड़े पैमाने पर नरसंहार को अंजाम दिया जा सकता है, भारत की अमन पसंद जनता को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचार/भेदभाव/हत्या एवं सत्ता का उपयोग कर मुस्लिम समुदाय को बुनियादी सुविधाओं से वंचित करने की प्रक्रिया के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए. जिस देश के पिता गांधी हो उस देश के नागरिकों को तो कम से कम अन्याय और असहिष्णुता के खिलाफ आवाज उठानी ही चाहिए.

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