।अशफाक कायमखानी।
जयपुर।राजस्थान के नव मनोनीत प्रभारी कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री अजय माकन द्वारा प्रदेश के अलग अलग सम्भाग के फीडबैक कार्यक्रम के तहत 10-सितंबर को जयपुर सम्भाग के जिलेवार फीडबैक लेने के सिलसिले मे सीकर जिले के नेताओं व वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिये जाते समय पीसीसी सदस्य मोहम्मद शरीफ द्वारा मुस्लिम समुदाय के सम्बन्धित सवाल खड़े करने के साथ माकन को दिये गये पार्टी हित मे उनके सुझावों के बाद वायरल उनके वीडियो से राजस्थान की कांग्रेस राजनीति मे हड़कंप मचा हुवा है।
कांग्रेस कार्यकर्ता मोहम्मद शरीफ ने प्रभारी महामंत्री अजय माकन, अचानक बने प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा व प्रभारी सचिव एवं अन्य सीनियर नेताओं की मोजूदगी मे कहा कि मुस्लिम समुदाय चुनावो के समय बडी तादाद मे कांग्रेस के पक्ष मे मतदान करके कांग्रेस सरकार के गठन मे अहम किरदार अदा करता है। लेकिन सरकार बनने के बाद उन्हे सत्ता मे उचित हिस्सेदारी नही मिलती है। प्रदेश मे कांग्रेस के नो मुस्लिम विधायक होने के बावजूद केवल मात्र एक विधायक शाले मोहम्मद को मंत्री बनाकर उन्हें अल्पसंख्यक मंत्रालय तक सीमित करके रखना ठीक नही। शरीफ द्वारा मुस्लिम विधायकों मे से दो केबिनेट व दो राज्य मंत्री बनाने की मांग करते हुये उन्हें मेन स्टीम वाले विभागों का प्रभार देने की मांग कर डालने के बाद एक तरह से उस समय हाल मे सन्नाटा पसर गया।
मोहम्मद शरीफ ने अपनी बात माकन को सम्बोधित करते हुये जारी रखते हुये कहा कि जब वो जनता मे जाते है तो मुस्लिम समुदाय के लोग उनसे सवाल करते है कि कांग्रेस सरकार राजनीतिक नियुक्तिया करते समय मुस्लिम को उनके सम्बन्धित बोर्ड-निगम तक ही महदूद क्यों रखती है। जबकि मुस्लिम समुदाय के नेताओं व कार्यकर्ताओं का मनोनयन भी मेन स्टीम वाले बोर्ड-निगम व संवेदानिक पदों पर भी मनोनयन होना चाहिए। इसके साथ ही जिला परिषद व पंचायत समिति निदेशक एवं प्रधान व जिला प्रमुख की टिकट देने मे मुस्लिम समुदाय के लिये बरती जा रही कंजूसी के बजाय उनको उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग कर डाली।
शरीफ ने कांग्रेस संगठन मे प्रतिनिधित्व पर बोलते हुये मांग कर डाली की प्रदेश कांग्रेस कमेटी से लेकर ब्लॉक स्तर तक मुस्लिम समुदाय को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए ताकी समुदाय को लगे की उनको भी भागीदार माना जा रहा है। उन्होंने सत्ता व संगठन मे मुस्लिम समुदाय को प्रयाप्त हिस्सेदारी देनी तक की वकालत तक कर डाली। सितंबर माह की शूरुआत मे तृतीय भाषा के अध्यापक पद को समाप्त करने के लिये जारी आदेश के मुद्दे को शरीफ ने माकश के सामने उठाकर उस आदेश से कांग्रेस को नुकसान होने की सम्भावना की तरफ इशारा किया तो गोविन्द डोटासरा तूरंत उस पर सफाई देते नजर आये।
कुल मिलाकर यह है कि कांग्रेस के खूले मंच पर सीनियर नेताओं के सामने खूलकर मुस्लिम नेताओं द्वारा समुदाय के हक व राजनीतिक हिस्सेदारी की मांग रखने का सिलसिला कांग्रेस पार्टी मे कतई नही रहा है। लेकिन हिम्मत करके जिस तरह से शरीफ ने कांग्रेस नेताओं के सामने अपनी जायज मांग रखी है। उन मांगो के वीडियो का सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने से कांग्रेस मे हड़कंप मचा हुवा है कि उक्त तरह से मुस्लिम नेता पार्टी मंच पर बात रखने लगे तो परिपाटी मे बदलाव आ सकता है। देखते है कि उक्त आवाज उठाने के बाद कांग्रेस राजनीति मे शरीफ को किनारे लगाया जाता है।