अशफाक कायमखानी।जयपुर।
कुछ दिन पहले राज्यसभा चुनाव मे कांग्रेस के सभी विधायक व समर्थक विधायकों द्वारा एक साथ मतदान करके तीन मे से अपने दो उम्मीदवार जिता कर विपक्षी दल भाजपा को मात देने के करीब दो सप्ताह बाद ही अशोक गहलोत व सचिन पायलट के मध्य क्या राजनीतिक वर्चस्व की जंग को हवा लगी कि दोनो नेताओ को अपने अपने समर्थक विधायकों को बाड़ेबंदी मे बंद करने को मजबूर होना पड़ा। मुख्यमंत्री गहलोत ने सचिन पायलट पर अनेक गम्भीर आरोप लगाने के अलावा उन पर व्यक्तिगत आरोपो की झड़ी लगाने के बावजूद पायलट स्वयं अब तक चुप्पी साधे हुये है।
राजस्थान कांग्रेस के अशोक गहलोत व सचिन पायलट के नेतृत्व मे कांग्रेस विधायकों के बने अलग अलग धड़ो के अलग अलग प्रदेश के होटलो मे जमे होने से राजस्थान की जनता के जेहन मे वर्तमान सरकार के प्रति अनेक तरह के सवाल उठने लगने के साथ आम धारणा बनकर उनके गले से आवाज निकल कर आ रही है कि उक्त घटे घटनाक्रम के बाद राजस्थान से कांग्रेस की आगे चलकर विदाई होना निश्चित है। कांग्रेस के नेताओं द्वारा पार्टी से अधिक स्वयं के हित को तरजीह देने की वजह एवं ऊटपटांग हरकतें करने के कारण देश भर मे कांग्रेस हाशिये मे चली गई है। लेकिन कांग्रेस जन अब भी इस हकीकत से कोई सबक लेकर आगे बढने को तैयार नजर नही आ रहे है। पिछले छ दिन से राजस्थान मे कांग्रेस नेता पार्टी के बजाय राजनीति मे अपने आपको शीर्ष पर बनाये रखने के लिये अशोक गहलोत व पायलट के नाम से कांग्रेस विधायकों के धड़ो को होटल मे बाड़ेबंदी करके रखने से हो रही फजीहत के बाद अब एक दुसरे धड़े पर ओछे आरोप-प्रत्यारोप भी लगाने से चूक नही रहे है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे की तरफ से कल ओडियो क्लिपिंग जारी करते हुये एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति की हो रही बात को पायलट खेमे ने एक विधायक व एक मध्यस्थ के बीच बात होना बताया जा रहा है। जिसमे एक केन्द्रीय मंत्री के इशारे पर विधायको को तोड़कर लाने को बताया जा रहा है। वही उसके बाद उक्त विधायक ने वीडियो जारी करके मुख्यमंत्री के इशारे पर उनके एक ओएसडी पर फर्जी ओडियो क्लिप बनाने का आरोप लगाते हुये उस क्लिपिंग को पूरी तरह फर्जी बताया है।
कुल मिलाकर यह है कि राजस्थान कांग्रेस के विधायकों के गहलोत-पायलट धड़े मे बंटने के बाद मुश्किल मे फंसी सरकार व कांग्रेस पार्टी की प्रदेश मे खराब होती छवि से कांग्रेस नेताओं द्वारा सबक लेकर कोई सार्थक पहल करके दोनो धड़ो के मध्य सम्मान जनक समझोता कराने के बजाय लगी आग मे घी डालने का काम हो रहा है। आरोप-प्रत्यारोप के लिये ओछे हथकण्डे भी अपनाने का दौर शुरु हो चुका है। एक तरफ मामला न्यायालय मे पहुंच चुका है। दुसरी तरफ जनता के न्यायालय मे भी अब चाहे ना सही लेकिन कुछ महिनो बाद मध्यवर्ती चुनाव के रुप मे मामला जाता लग रहा है।