अशफाक कायमखानी।जयपुर।
राजनीति मे नेताओं व राजशाही मे बादशाहों द्वारा अपने आपको को सुरक्षित रखने के साथ भविष्य मे उनके लिये कोई तगड़ा चेलेन्ज खड़ा ना हो पाये तो उसके लिये वो हरदम प्रयास करते है कि उनके मुकाबले कोई काबिल या तेजतर्रार व्यक्ति कभी ऐसी जगह पदस्थापित ना पाये जहां से वो शख्स उछाला मार कर उनकी कुर्शी पर कब्जा करले। भारत की मोजुदा राजनीति मे भी हर नेता कोशिश तो यही करता है। लेकिन इतनी सावधानी के बावजूद भी कभी कभी गूरू गूड़ ही रह जाता ओर चेला शक्कर बन जाता है।
राजस्थान की कांग्रेस राजनीति मे भी प्रत्येक नेता अपने अपने स्वर्ण काल मे अपने आपके लिये संम्भावित मजबूत चेलैंज व जनाधार वाले नेता को उस महत्वपूर्ण पद पर पदस्थापित होने से रोकने की निचे निचे भरपूर कोशिश करता रहा है। अपवाद स्वरूप कोई मजबूत व जनाधार वाला नेता किसी महत्वपूर्ण पद पर पदस्थापित किसी तरह हो भी गया तो वो उस नेता के स्वयं की तिकड़म या अचानक हालात फेवर मे बनने की बदौलत ही सम्भव हो पाया है।
अशोक गहलोत के 1998 मे पहली दफा मुख्यमंत्री बनने के लेकर आजतक मात्र सचिन पायलेट ऐसे प्रदेश अध्यक्ष बने है जिनके बनने मे अशोक गहलोत ही भुमिका नही रही ओर नाही अपने हिसाब से इनको हटा कर इनकी जगह दुसरे को अध्यक्ष बना पा रहे है। जबकि पायलट के अलावा अन्य बने प्रदेश अध्यक्षो को बदलवाने मे अशोक गहलोत को कोई खास कसरत नही करनी पड़ी थी। सबसे अधिक समय तक अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड कायम करने वाले सचिन पायलट को अब जाकर बदलने शीर्ष स्तर पर लगभग तय हो चुका है। पर इसके साथ यह भी है कि उनकी जगह नये बनने वाले अध्यक्ष के नाम पर गहलोत व पायलट दोनो का सहमत होना आवश्यक है। पहले की तरह मुख्यमंत्री गहलोत अकेले की पसंद से अब अध्यक्ष कतई नही बनेगा।
राजनीतिक सुत्रोनुसार अध्यक्ष पद के लिये उपयुक्त नाम पर अब तक बनती दिख रही सहमति के हिसाब से सीडब्ल्यूसी सदस्य व पूर्व सांसद रघूवीर मीणा का नाम सबसे आगे बताते है। धड़ेबंदी से दूर माने जाने वाले मीणा के नाम पर शीर्ष नेतृत्व मे भी सहमति आसानी से बनने लगी है। अगर किसी वजह आदीवासी के अलावा अन्य बिरादरी के नेता को अध्यक्ष बनाने पर विचार शीर्ष स्तर पर होता है तो जाट बिरादरी मे मंत्री हरीश चोधरी, पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया का नाम चर्चा मे आ सकता है। महरिया के रास्ते मे उनके भाजपा छोड़कर कांग्रेस मे आने व उनका काफी तेज तर्रार होना उनके रास्ते का रोड़ा बन सकता है। इसके अतिरिक्त अन्य बिरादरियों के किसी नेता को अध्यक्ष बनाना नामुमकिन दिखाई दे रहा है।
कुल मिलाकर यह है कि लम्बे समय तक राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड कायम करने वाले सचिन पायलट का प्रदेश अध्यक्ष पद से हटना लगभग तय हो चुका है। उनकी जगह बनने वाले अध्यक्ष पद के अनेक नामो पर मंथन चल रहा जिनमे सबसे आगे पूर्व सांसद व सीडब्ल्यूसी सदस्य रघूवीर मीणा का नाम सबसे आगे बताते है। मीणा यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व स्टेट सरकार मे मंत्री भी रह चुके है।