अशफाक कायमखानी।जयपुर।
राजस्थान के तीसरी दफा मुख्यमंत्री बनने वाले अशोक गहलोत को आखिरकार इस समय तीसरे ब्यूरोक्रेट्स को अपना सलाहकार बनाने की जरूरत क्यो आ पड़ी है। जबकि पहले से दो ब्यूरोक्रेट्स के सलाहकार नियुक्त होने के बाद से अब तक वो दोनो निठल्ले बैठे है।
अपने स्तर पर राजनीतिक व सरकारी स्तर पर फैसले लेने के लिये विख्यात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहली दफा किसी राजनीतिक नेता को अपना सलाहकार नियुक्त करने के बजाय उन्होंने तीन सलाहकार नियुक्त किये वो तीनो ही ब्यूरोक्रेट्स रहे है।
हालांकि मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री अपने किसी तरह के राजनीतिक सलाहकार नियुक्त करे या नही करे पर प्रैस सलाहकार जरुर नियुक्त जरुर करते रहे है। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहली दफा अपने डेढ साल का समय गुजरने तक अभी तक किसी भी मिडिया क्रमी को अपना प्रैस सलाहकार नियुक्त नही किया है। मुख्यमंत्री गहलोत को प्रैस सलाहकार के लिये उपयुक्त व काबिल नाम नजर नही आया या फिर उन्होंने इसकी जरुरत ही नही समझी, यह तो स्वयं मुख्यमंत्री जाने। इसके विपरीत मुख्यमंत्री ने भारतीय प्रशासनिक सेवा दो सेवानिवृत्त अधिकारी गोविंद शर्मा व अरविन्द मायाराम को पहले से अपना सलाकर नियुक्त कर रखा था। वही अगले तीन महिने बाद सेवानिवृत्त होने वाले मुख्य सचिव डी बी गुप्ता को अचानक पद से हटाकर अपना तीसरा सलाहकार नियुक्त करके प्रदेश मे नई चर्चा को जन्म दे दिया है।
कुल मिलाकर यह है कि मंत्रीमंडल के बजाय अंदर खाने ब्यूरोक्रेट्स के मार्फत अपनी सरकार चलाने के लिये विख्यात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा मुख्य सचिव गुप्ता को सेवानिवृत्ती के पहले दो ब्यूरोक्रेट्स के सलाहकार के नियुक्त होने के बावजूद गुप्ता के रुप मे तीसरा सलाहकार नियुक्त करने के बाद प्रदेश मे अलग तरह की चर्चा चल पड़ी है।