विश्नोई समाज के दवाब के सामने आखिरकार गहलोत को झूकना पड़ा।
अशफाक कायमखानी।जयपुर
राजस्थान मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली पीछली कांग्रेस सरकार के समय 17- मार्च 2011 को सवाईमाधोपुर के सुरवाल गावं मे थानेदार फूल मोहम्मद को डयूटी का फर्ज निभाते हुये गहरी साजिश के तहत सरेआम जींदा जलाकर मौत के घाट उतारने के बावजूद उनके जनाजे मे सरकार का कोई भी मंत्री सरकारी प्रतिनिधि के तौर पर शामिल नही हुवा ओर नाही कभी उनके परिजनो के आंसू पोंछने की कोशिश आज तक गम्भीरता से हुई है। इसके उलट राजस्थान के विश्नोई समाज को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने सामाजिक एकता की ताकत के बल पर दवाब बनाकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी इच्छा के विपरीत उन्ही से राजगढ़ थानेदार विष्णु दत्त विश्नोई के आत्महत्या मामले की जांच सीबीआई से करने के आदेश करवा कर बडी उपलब्धि हासिल की है।
चूरु जिले के राजगढ़ थाने मे तैनात थानेदार विष्णु दत्त विश्नोई द्वारा 23-मई-2020 को सुबह-सवेरे थाना परिसर स्थित अपने सरकारी आवास मे आत्महत्या करने का मामला सामने आने पर कुछ राजनेता द्वारा थाने के सामने लोकडाऊन के बावजूद उसी दिन धरना-प्रदर्शन करके एक तरह से सरकार पर दवाब बनाते हुये थानेदार विष्णु के दवाब के चलते आत्महत्या करने को बताते हुये प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने की मांग रखी। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हमेशा की तरह अपनी टालमटोल की नीति के तहत स्टेट ऐजेन्सी से ही जांच जारी रखी। मुख्यमंत्री के रवैये को देखते हुये विश्नोई समाज ने दवाब लगातार जारी रखने पर भी मुख्यमंत्री जब टस से मस नही हुये तो विश्नोई समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कांग्रेस नेता कुलदीप विश्नोई ने विष्णुदत्त थानेदार आत्महत्या की जांच सीबीआई से कराने की मांग के साथ गहलोत को चार जून शाम तक का अल्टीमेटम ज्योही दिया कि मुख्यमंत्री गहलोत ने चार जून की दोपहर को ही सीबीआई जांच कराने की अभिशंषा करके टवीट करके जानकारी दे दी।
इसके विपरीत 17-मार्च 2011 को थानेदार फूल मोहम्मद को सरकारी डयूटी करते हुये सवाईमाधोपुर के सुरवाल गावं मे सरेआम जलाकर मारने वाले हत्यारों व साजिश कर्ताओं को पूर्ण रुप से अभी तक सजा नही मिल पाई है। उक्त प्रकरण मे शहीद फूल मोहम्मद के परिवारजनों को आज भी पूरी तरह इंसाफ मिलने का इंतजार है। फूल मोहम्मद को जलाकर मौत के घाट उतारने के मामले की तत्कालीन समय मे सीबीआई से जांच करने की मांग उठी थी। लेकिन तत्तकालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक कान से सूना ओर दूसरे कान से निकाल दिया। मुस्लिम समाज के पास ना विश्नोई समाज की तरह एकता थी ओर नाही कुलदीप विश्नोई जैसा कोई मजबूत नेता था। जो सरकार को झूका सके। सीबीआई जांच की मांग को ताकत देने की बजाय मुस्लिम नेता मुख्यमंत्री की हां मे हां मिलाने लगे हुये। एक मात्र सवाईमाधोपुर के तत्तकालीन विधायक अलाऊद्दीन आजाद ने फूल मोहम्मद केश मामले मे आवाज उठाई तो अगले चुनाव मे सीटींग विधायक होते हुये भी आजाद की कांग्रेस द्वारा टिकट काट दी गई थी।
कुल मिलाकर यह है कि मुस्लिम समुदाय कांग्रेस का बीन बूलाये मेहमान व गारंटीड मतदाता है। बीन बूलाये मेहमान व जरखरीद मतदाता की कभी इच्छा पूर्ति नही की जाती है। इच्छा पुर्ति बराबर वाले की या फिर अपने से भारी कि की जाती है।