-मोहम्मद अलामुल्लाह
नये बरस के उदास सूरज
बता के हम क्यों खुशी मनाएं ?
बता के हम कैसे गुनगुनाएं ?
गले से लोगों को क्यों लगाएं ?
सड़क पे रातें बिता रहे हैं
सरों पे इल्ज़ाम आ रहे हैं
बता के ऐसे नसीब वाले ?
कहाँ पे जश्ने तरब मनाएं ?
किसे बुलाएँ, कहाँ बिठाएं ?
उदास चेहरे को देख सूरज
हमारी हालत पे ग़ौर कर तू
हमारे ऊपर निगाह करके
हमें वो रोशन गुमान दे दे
हमारी नज़रें उतार सूरज
हर इक तरफ हम खड़े हुए हैं
सितम के मौसम में हम डटे हैं
अँधेरी रातों में जाग कर हम
नई सेहर की तलाश में हैं
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