अशफाक कायमखानी।जयपुर:राजस्थान मे गहलोत सरकार के गठन के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश की बाध्यताओं के तहत एक दो समितियों व बोर्ड का गठन होने के बाद अब अगस्त माह के आखिर तक राजनीतिक व संवेधानिक पदो पर नियुक्तियों का सीलसीला शुरु होने की उम्मीद जताई जा रही है।
सूत्रोनुसार लोकायुक्त, चेयरमैन मानवाधिकार आयोग,अध्यक्ष-पुलिस जवाबदेह समिति सहित ऐसे अनेक पद ऐसे है जहां सदस्यों को छोड़कर बाकी उच्च पद पर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश का ही मनोयन होना है। लेकिन सुचना आयुक्त व पब्लिक सर्विस कमीशन, विभिन्न ट्रियूबनलस व उपभोक्ता कोर्ट के सदस्यों सहित अनेक संवेधानिक पद पर सरकार एक सिस्टम की कुछ बाध्यताओं के अनुसार मनोनयन करती है।
राजस्थान मे सरकारी स्तर पर करीब पेंतीस बोर्ड/आयोग/समिति व निगम के प्रदेश स्तर पर गठन करते समय अध्यक्ष व सदस्यों का मनोनयन करती है। ताकि राजनीतिक वर्कर मे सीधा संदेश जाये कि सत्ता मे उनकी भी भागीदारी है। सुत्र बताते है कि जिन जिन पदो पर नियुक्ति होनी है उन पदो की तफसीली रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। एवं उनमे से कुछ पदो पर सम्भावित लोगो के नामो की एक रिपोर्ट भी तैयार हो चुकी बताते है।
कांग्रेस की राजनीति मे आये बदलाव के बाद सोनिया गांधी के कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को काफी मजबूती मिलना माना जा रहा है। अब गहलोत द्वारा उक्त नियुक्तियों के करने मे शायद कोई बडी दिक्कतो का सामना उन्हें नही करना पड़ेगा। प्रदेश मे चल रहे दो पावर सेंटर मे से अब गहलोत का एक ही पावर सेंटर होना राजनीतिक पंडित मानकर चल रहे है।
हालांकि राजनीतिक व संवेधानिक पदो पर नियुक्तियों की चल रही प्रक्रिया के मुख्यमंत्री गहलोत ने पते किसी भी स्तर पर अभी तक खोले नही है। लेकिन सूत्रोनुसार यह काम प्राथमिक स्तर पर मुकम्मल हो गया बताते है। एक एक करके नियुक्तियों का पीटारा अगस्त माह के आखिर तक शूरु होने की उम्मीद बताते है। जिनमे संवेधानिक पदो पर नियुक्तियों का सीलसीला पहले शूरु हो सकता है।