मोदी सरकार ने बहुमत के बिना कैसे राज्यसभा में पास करा लिया ट्रिपल तलाक बिल?

मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली: तीन तलाक बिल. लोकसभा में पास होने के बाद ये बिल राज्यसभा में पहुंचा था. राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं. 4 सीटें खाली थे. तो सदस्यों की संख्या थी 241. यानी इस बिल को राष्ट्रपति के पास पहुंचने के लिए 121 सदस्यों का समर्थन चाहिए था. एनडीए (सरकार) के पास 113 सदस्य थे. यानि ये बिल फंसा दिख रहा था. मगर ऐसा हो नहीं सका. पहले बिल में संशोधन के लिए लाया गया दिग्विजय सिंह का प्रस्ताव गिरा. फिर सेलेक्ट कमेटी को बिल भेजने का प्रस्ताव गिरा. इसकी वोटिंग में प्रस्ताव के समर्थन में 84 वोट पड़े जबकि विरोध में 100 वोट गिरे. और अंत में तीन तलाक का बिल आखिरकार राज्यसभा में पास हो गया. अब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.

बहुमत न होने के बावजूद बिल के पास होने के पीछे विपक्ष में एकता की कमी दिखी. बिल का विरोध कर रहे 6 दल सदन में वोटिंग से गायब रहे. टीआरएस वोटिंग में नहीं पहुंची. इसके अलावा जेडीयू, बीएसपी, एआईएडीएमके ने वॉकआउट किया. शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल नहीं पहुंचे. राम जेठमलानी भी नहीं आए. नॉमिनेटड एमपी केटीएस तुलसी भी गैरहाजिर रहे. इन स्थितियों के कारण सरकार का दावा मजबूत हुआ और तीन तलाक बिल पास हो गया.

‘प्रथम सेवक प्रथम सेविका को न्याय दिलवाएं’

बिल पर वोटिंग से पहले जमके बहस हुई. विपक्ष की तरफ से संशोधन का प्रस्ताव लेकर आए थे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह. वो बोले –
जो कानून लाया गया, जिस उद्देश्य से लाए, हम उसके खिलाफ. मोदी जी जब से प्रधानमंत्री बने, सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास की बात की. मोदी जी ने कहा कि अल्पसंख्यकों को विश्वास में लेना चाहिए. क्या इस कानून को अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को विश्वास में लेकर बनाया गया. दिग्विजय ने सरकार से पूछा कि क्या हिंदू प्रोटेक्शन बिल लाएंगे आप. क्या हिंदू महिलाओं के लिए आप एक्ट लाएंगे? अंत में पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए दिग्विजय बोले – क्या प्रथम सेवक प्रथम सेविका को न्याय दिलाएंगे?

‘मैं मोदी सरकार का मंत्री हूं, कांग्रेस सरकार का नहीं’

प्रेस कांफ्रेंस में रविशंकर प्रसाद लगातार हमलावर रहे. राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की नीयत पर सवाल उठाने लगे.
रविशंकर ने संभाला सरकार की तरफ से मोर्चा.
इसके बाद रविशंकर प्रसाद ने अपनी बात रखी. वो बोले – एक जज ने पिछली सदी में मुस्लिम कानून पर लिखी किताब का उद्धरण दिया. जिसमें पैगम्बर साहब ने खुद तलाक़ के बिद्दत को गलीज़ बताया. अब करीब डेढ़ हजार साल बाद हम छह घण्टे से इस पर बहस कर रहे हैं कि तीन तलाक़ हो या न हो? जब हिन्दू पहली पत्नी के रहते दूसरी पत्नी लाए तब कैसे जेल का प्रावधान हुआ. तब आपकी पत्नी और परिवार की चिंता कहां गई थी? दहेज में भी तो पति के जेल जाने का प्रावधान था, घरेलू हिंसा पर भी जेल तब उस समय की सरकार की चिंता कहां थी? इतने कानून तो आप ही लाए. आपका अभिनन्दन, लेकिन इतनी हिम्मत दिखाने वाली कांग्रेस के अब क्यों पैर कांप रहे हैं?

रविशंकर प्रसाद बोले- आरिफ मोहम्मद खान को याद करता हूं. उनका इसी सदन में ऐतिहासिक भाषण हुआ. सदस्यों को पढ़ना चाहिए. कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कानून मंत्री बोले- गुलाम नबी को फ्रूटफुल थॉट यानी सोच की खुराक देना चाहता हूं. 400 से ज़्यादा सीट लेकर भी शाहबानो के मामले में दरवाज़ा बंद करने के बाद कभी कांग्रेस बहुमत में नहीं आई. सोचिएगा. रविशंकर आगे बोले – IT प्रोफेशनल मुस्लिम महिला ने मुझे बताया कि उसके पति ने तीन तलाक देकर जिंदगी खराब कर दी. उसने मुझसे पूछा कि अब मैं क्या करूं? मैं उसे क्या कहूँ? कोर्ट के फैसले की प्रति थमा दूँ? मैं मोदी सरकार का मंत्री हूं. कांग्रेस सरकार का नहीं.

क्या था बिल में –

29 दिसंबर 2017 को ट्रिपल तलाक़ बिल लोकसभा में पास हो गया. इसके खिलाफ सभी संशोधन खारिज हो गए. इस बिल के अनुसार,

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity