मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:भारतीय जनता पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और विधायक आकाश विजयवर्गीय की जमानत याचिका पर सुनवाई करने से इंदौर कोर्ट ने इनकार कर दिया है. अब फिलहाल उनको जेल में रहना पड़ेगा. बुधवार को उनको एक म्युनिसिपल कॉरपोरेशन अधिकारी को बल्ले से पीटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. साथ ही इंदौर कोर्ट ने मामले को भोपाल की विशेष अदालत को भेज दिया है.
दरअसल आकाश विजयवर्गीय के वकीलों की तरफ से इंदौर सेशन कोर्ट में आज बेल एप्लीकेशन लगाई गई थी लेकिन न्यायालय ने इस पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि क्योंकि यह मामला विधायक से जुड़ा है इसलिए यह मामला उनके क्षेत्राधिकार में नहीं आता और इसकी सुनवाई विधायक और सांसदों के लिए बनाई गई स्पेशल कोर्ट में की जाए.
न्यायालय से बाहर आने के बाद अपर लोक अभियोजक मध्य प्रदेश शासन अभिजीत सिंह राठौर ने बताया कि ‘आज एमजी रोड थाने से आकाश विजयवर्गीय की बेल एप्लीकेशन माननीय न्यायालय में लगाई गई. नगर निगम की ओर से यह आपत्ति की गई कि मध्य प्रदेश राज्य के विधायक व सांसद गण के लिए विशेष न्यायालय भोपाल में स्थापित है और यह मामला विधायक से संबंधित है इसलिए विशेष न्यायालय भोपाल में सुनवाई के लिए भेजा जाए.
इस मामले में पीड़ित पक्ष के वकील भूपेंद्र सिंह कुशवाह ने बताया कि ‘इसमें क्षेत्राधिकार नहीं होने की वजह से माननीय न्यायालय ने सुनवाई नहीं की है. कोर्ट ने कहा है कि आप सही न्यायालय में जाकर सुनवाई करें. क्षेत्राधिकार को लेकर कोर्ट ने आदेश दिया है. यह मामला जनप्रतिनिधि से जुड़ा है इसलिए भोपाल की विशेष न्यायालय में इस मामले की सुनवाई होगी.
इससे पहले कोर्ट ने आकाश विजयवर्गीय की जमानत याचिका खारिज कर उन्हें 14 दिन के लिए जेल भेज दिया था. इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 जुलाई तय की गई थी. इस मामले पर जब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा गया तो उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
दरअसल जर्जर मकान को ढहाने पहुंचे जिन निगम अधिकारी के साथ आकाश विजयवर्गीय ने मारपीट की थी, उसको ढहाने का आदेश पिछले साल दिया गया था. वो भी तब जब राज्य में शिवराज सिंह चौहान की सरकार थी.
इंदौर नगर निगम ने पिछले साल ऐसे मकानों को लेकर नोटिस जारी किया था, जो काफी पुराने हैं और तेज बारिश के दौरान इस तरह के मकान गिर भी सकते थे. अब जो नोटिस का कागज सामने आया है, उसमें साफ दिख रहा है कि ये नोटिस 3 अप्रैल, 2018 को जारी किया गया था. यानी जिस वक्त राज्य में भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार थी और राज्य के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ही थे.