चुनावी बिगुल बजने के बाद हर लम्हा राजनीतिक दलों से किसी न किसी घोषणा का इंतज़ार किया जाता है. कभी उम्मीदवारों की घोषणा का इंतज़ार होता है तो कभी उनके नामांकन का.
इसी प्रक्रिया में पार्टियां अपना घोषणापत्र भी जारी करती हैं. हालांकि, हाल के सालों में पार्टियां अपने घोषणापत्रों को नए-नए नामों से जारी कर रही हैं.
लोकसभा चुनाव का तीसरा चरण पूरा हो चुका है और सोमवार को चौथे चरण के मतदान के बाद आधी से ज़्यादा चुनावी यात्रा पूरी हो जाएगी. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बिहार में सत्तारुढ़ और बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल जेडीयू ने अभी तक अपना घोषणापत्र जारी नहीं किया है.
जेडीयू का घोषणापत्र जिसे ‘निश्चय पत्र’ कहा जा रहा है, उसको जारी करने की तारीख़ 14 अप्रैल तय की गई थी लेकिन वह अभी तक जारी नहीं हो पाया है.
क्यों नहीं हो पाया घोषणापत्र जारी?
जेडीयू का घोषणापत्र जारी होने में इतनी देरी क्यों हो रही है? इस सवाल पर जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन कहते हैं कि तीसरे चरण तक जनता ने जेडीयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम पर वोट किया है और घोषणापत्र के लिए एक कमिटी बनी है जो इस पर अपनी राय देने के बाद इसे जारी करने की तारीख़ बताएगी.
घोषणापत्र से इतर राजीव रंजन कहते हैं कि नीतीश कुमार ने अपने कामों से बिहार में नाम बनाया है, उन्होंने घोषणाओं से ज़्यादा काम किया है और इसी काम के आधार पर जनता उन्हें चुनावों में समर्थन दे रही है.
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि गठबंधन के सबसे बड़े दल बीजेपी के घोषणापत्र के कारण जेडीयू अपना घोषणापत्र जारी करने में हिचकिचा रही है. बीजेपी अपने घोषणापत्र में खुलकर धारा 370, 35ए, समान नागरिक संहिता और राम मंदिर पर अपने वादे दोहराती रही है.
क्या जेडीयू अपनी सहयोगी पार्टी के कारण घोषणापत्र लाने में देरी कर रही है? इस पर जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन कहते हैं, “घोषणापत्र अपनी जगह पर है लेकिन राम मंदिर, धारा 370 जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर बीजेपी हमारे विचारों का सम्मान करती रही है और इससे घोषणापत्र को जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.”
वह कहते हैं, “कॉमन मिनिमम प्रोग्राम इसीलिए होता है जिसमें असहमतियों पर सहमति बनाई जाती है और कई असहमतियों के बावजूद हम 17 सालों तक बीजेपी के साथ रहे. घोषणापत्र में क्या-क्या चीज़ें होंगी यह अभी गोपनीयता का विषय है.”
बीजेपी ने अपने घोषणापत्र को ‘संकल्प पत्र’ का नाम दिया है
बीजेपी का क्या कहना?
बिहार में बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटों पर साथ चुनाव लड़ रही हैं. बीजेपी ने अपने घोषणापत्र को ‘संकल्प पत्र’ के नाम से जारी किया है. बीजेपी का कहना है कि यह उसका रोडमैप है जो उसने लोगों की राय के बाद बनाया है.
बीजेपी के घोषणापत्र में लिखित कुछ बिंदुओं के कारण क्या जेडीयू अपना घोषणापत्र लाने से बच रही है? इस सवाल पर बिहार बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद कहते हैं कि बीजेपी के साथ गठबंधन में मौजूद पार्टियां स्वतंत्र पार्टियां हैं और यह उन पर निर्भर करता है कि वह अपना घोषणापत्र लाते हैं या नहीं लाते हैं.
निखिल आनंद कहते हैं कि बिहार की जनता मोदी सरकार के काम और नाम पर मतदान कर रही है और इसके लिए घोषणापत्र न लाए जाने को इतना बड़ा मुद्दा नहीं बनाना चाहिए.
धारा 370, 35ए और राम मंदिर मुद्दों पर वह कहते हैं कि बीजेपी इनको लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और यह पहली बार उनके घोषणापत्र में नहीं आया है और इन मुद्दों के कारण सहयोगी दलों से कोई मतभेद नहीं है.
विपक्ष ने भी साधा निशाना
जेडीयू का घोषणापत्र जारी न होने को राष्ट्रीय जनता दल ने भी बड़ा मुद्दा बनाया है. आरजेडी का कहना है कि इससे साबित होता है कि जेडीयू बीजेपी की बी टीम बन गई है.
आरजेडी अपना घोषणापत्र जारी कर चुकी है जिसे उसने इसे ‘प्रतिबद्धता पत्र’ का नाम दिया है.
आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा कहते हैं कि नीतीश कुमार ने भय की वजह से अपनी पार्टी का घोषणापत्र जारी नहीं किया है.
वह कहते हैं, “बीजेपी ने अपने घोषणापत्रों में जिन चीज़ों को लेकर वादा किया है, उस पर नीतीश कुमार को सफ़ाई देनी होती. इसी कारण उन्होंने घोषणापत्र लाने की हिम्मत नहीं की और यह संकेत है कि नीतीश जी बीजेपी में विलीन हो चुके हैं सिर्फ़ औपचारिकताएं बाकी हैं.”।
(इनपुट बीबीसी)