मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के केंद्र के फ़ैसले को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आलोक वर्मा ने दोबारा कार्यभार संभाल लिया था.
मगर समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति ने लंबी बैठक के बाद आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाने का फ़ैसला किया.
पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि इस बैठक में लोक सभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की ओर से नियुक्त जस्टिस एक के सीकरी भी शामिल थे.
आलोक वर्मा को हटाने का फ़ैसला बहुमत से लिया गया जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसका विरोध किया
एजेंसी के अनुसार आलोक वर्मा को अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में नियुक्त किया जा सकता है.
By removing #AlokVerma from his position without giving him the chance to present his case, PM Modi has shown once again that he's too afraid of an investigation, either by an independent CBI director or by Parliament via JPC.
— Congress (@INCIndia) January 10, 2019
आलोक वर्मा को हटाने के फ़ैसले पर कांग्रेस ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया,”आलोक वर्मा को अपना पक्ष रखने का मौका दिए बिना पद से हटाया गया. प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर दिखा दिया है कि वह जांच से कितने डरे हुए हैं. फिर वो संयुक्त संसदीय समिति की जांच हो या फिर स्वतंत्र सीबीआई निदेशक की जांच हो.”
वहीं वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, सीबीआई निदेशक के पद पर बहाल किए जाने के एक दिन बाद ही प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली कमिटी ने आलोक वर्मा को फिर पद से हटा दिया. वर्मा को बुलाया तक नहीं गया. मोदी को राफेल घोटाले में एफआईआर का डर है. वो किसी भी जांच को रोकना चाहते हैं. ”
चयन समिति ने लिया फ़ैसला
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार आठ जनवरी को सरकार द्वारा आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के निर्णय को ग़लत बताया था.
अदालत के फ़ैसले के बाद 75 दिनों के बाद आलोक वर्मा ने अपने पद पर वापसी की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही इस मामले को चयन समिति के पास भेजने का आदेश दिया था जिसके सदस्य प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और चीफ़ जस्टिस होते हैं.
अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा कि सीबीआई निदेशक को छुट्टी पर भेजने या उनके अधिकार छीनने के लिए भी चयन समिति ही अंतिम फ़ैसला ले सकती है.
इस समिति की बैठक एक सप्ताह के भीतर होनी थी. अब चयन समिति ने अपना फ़ैसला दे दिया है.
दो दिन पहले अदालत ने किया था बहाल
सर्वोच्च अदालत ने आलोक वर्मा को पद पर बहाल करते हुए ये भी कहा था वे इस दौरान कोई नीतिगत फ़ैसला नहीं ले पाएंगे. वे केवल प्रशासनिक फ़ैसले ले सकते हैं.
कोर्ट ने कहा कि सरकार ने आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के मामले में पूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया.
ग़ौरतलब है कि छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश के ख़िलाफ़ सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.
कॉमन कॉज़ नाम की एक ग़ैर-सरकारी संस्था ने भी सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.