पुलिस के बाद हिंदूवादी संगठन के लोगों ने CAA आंदोलन में घुसकर ले ली’आमिर’ की जान

नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के विरोध में 21 दिसंबर को जिस दिन राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार बंद बुलाया था, उस दिन पटना के फुलवारीशरीफ़ में हिंसा हुई थी. दो गुटों के बीच जमकर पत्थरबाज़ी हुई.आमिर हंज़ला उसी हिंसा के बाद से लापता थे. परिजनों ने 22 दिसंबर को फुलवारीशरीफ़ थाने में आमिर की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी थी. घटना के 11 दिनों बाद 31 दिसंबर को पुलिस ने हिंसा वाली जगह के पास से ही एक गड्ढे से आमिर का शव बरामद किया.

शव के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट कहती है कि आमिर के शरीर पर चोट के गहरे निशान थे. शरीर के हिस्सों पर चाक़ू से भी वार किया गया था. आमिर की हत्या कर दी गई थी.पुलिस ने हिंसा में शामिल अभियुक्त उपद्रवियों में से एक दीपक कुमार नोनिया नाम के युवक को गिरफ़्तार कर उसी की निशानदेही पर आमिर के शव को फुलवारीशरीफ़ डीएसपी कार्यालय से महज़ 100 मीटर की दूरी पर एक गड्ढे से बरामद किया.

पुलिस ने फुलवारीशरीफ़ की हिंसा में शामिल कुल 60 उपद्रवियों को अभी तक गिरफ़्तार किया है. कई लोगों के घरों से हथियार और कारतूस भी बरामद किए गए हैं जो उस दिन की हिंसा में इस्तेमाल किए थे. लेकिन, पुलिस आमिर हंज़ला के मामले पर ज़्यादा कुछ बोलने से बचती दिख रही है. क्योंकि अब यह मामला बड़ा बनता जा रहा है. पुलिस ने तो शुरू में हिंसा, मर्डर और फ़ायरिंग की बात से भी इनकार कर दिया था.

फुलवारीशरीफ़ थाना के प्रभारी रफ़ीक़ुर रहमान के अनुसार, “विनोद कुमार नाम का शख्स आमिर की हत्या का मुख्य अभियुक्त है. जो अभी तक फ़रार है. बाक़ी के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. एक अन्य आरोपी चैतू नाम के युवक के घर से आमिर का मोबाइल बरामद किया गया है. उससे पूछताछ में हत्या के बाद जिस ठेले से लादकर आमिर का शव गड्ढे तक ले जाया गया था उसे भी मुख्य आरोपी विनोद कुमार के घर के सामने से बरामद किया गया है.”

आमिर छह भाई बहन हैं. पिता बेरोज़गार हैं. पैसों की कमी के कारण ही महज़ 18 साल की उम्र में आमिर ने पढ़ाई छोड़ दी थी और बैग बनाने वाली एक कंपनी में काम करने लगे थे. उनसे छोटे तीन भाई हैं. तीनों अभी पढ़ाई कर रहे हैं.

पिता सोहैल अहमद कहते हैं, “एक कमाने वाला था. वो भी गया. अब फिर से किसी की पढ़ाई छुड़ानी पड़ेगी. मेरे बेटे की भरपायी तो नहीं हो सकती. मगर मैं बिहार सरकार से इतनी ही गुज़ारिश करूंगा कि हम मज़लूमों पर रहम करे. कम से कम हमें उचित मुआवज़ा दे दे. मेरे एक बेटे को नौकरी दे दे. जिससे हमारा परिवार चल सके.”

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity