◆ *यूपी की तर्ज पर औरंगाबाद में अल्पसंख्यकों पर ढाया गया बर्बर पुलिसिया दमन.*
◆ *आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ा रही है नीतीश सरकार, पुलिस-प्रशासन का सांप्रदायीकरण खतरनाक.*
*औरंगाबाद बर्बरता और फुलवारी के अमीर हंजला की हत्या के खिलाफ 4-5 जनवरी को दो दिवसीय राज्य व्यापी विरोध.*
पटना 3 जनवरी 2020 :राजद द्वारा आहूत 21 दिसम्बर के बिहार बन्द के दौरान औरंगाबाद में बंद की समाप्ति के उपरांत आरएसएस-भाजपा के स्थानीय नेताओं के उकसावे पर वहां के अल्पसंख्यकों पर जिस तरीके का बर्बर पुलिसिया दमन ढाया गया, वह बेहद ही शर्मनाक है. विदित हो कि उस दिन फुलवारी शरीफ में भी अल्पसख्यंकों पर जानलेवा हमला किया गया था, जिसमें एक सत्रह वर्षीय अमीर हंजला की हत्या भी कर दी गई. फुलवारी का मामला तो सामने आया लेकिन औरंगाबाद में पुलिस द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय पर ढाए गए पुलिसिया दमन की खबर दबा दी गई.
औरंगाबाद की बर्बरता ने पूरी तरह साफ कर दिया है कि नीतीश जी बिहार में आज आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. उनका पुलिस-प्रशासन पूरी तरह सांप्रदायिक हो चला है, जो लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है. कह सकते हैं कि औरंगबाद में मिनी यूपी की घटना को अंजाम दिया गया. प्रशासन अल्पसंख्यकों के घरों में घुसकर तांडव मचाया, सामान व पब्लिक प्रोपर्टी तोड़ दी गई, महिलाओं को भद्दी-भद्दी गालियां दी गई, उनके सीने पर पिस्तौल सटाकर जान मार देने की धमकी दी गई, बुजुर्गों को घसीटा गया. जहां इच्छा हुई वहीं पुलिस ने तांडव मचाया.
औरंगाबाद और फुलवारीशरीफ की घटना ने साबित कर दिया है कि पूरे राज्य में आरएसएस व भाजपा के लोग शांतिपूर्ण जुलूसों पर हमले और सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने की लगातार साजिशें रच रहे हैं, लेकिन फिर भी नीतीश जी की सरकार चुप बैठी है.
औरंगाबाद बर्बरता की जांच करने के लिए 31 दिसंबर को माले व इंसाफ मंच की संयुक्त टीम के दौरा के बाद वहां की यह भयावह तस्वीर सामने आई है. टीम में पार्टी विधायक का. सुदामा प्रसाद, इंसाफ मंच के राज्य सचिव का. कयामुद्दीन अंसारी व उपाध्यक्ष का. अनवर हुसैन और औरंगाबाद जिला सचिव का. मुनारिक राम थे.
*जांच टीम की रिपोर्ट:* औरंगाबाद में 21 दिसंबर को बिहार बन्द का कार्यक्रम खत्म होने के बाद आंदोलनकारी दोपहर में घर लौट रहे थे. आंदोलनकारियों का जत्था, जिसमें बहुसंख्यक मुस्लिम थे, जब पांडेय पुस्तकालय से गुजर रहा था तो भाजपा के पूर्व नगर उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता उर्फ ओरियावला और एक अन्य भाजपा नेता आकाश गुप्ता ने आंदोलनकारियों पर व्यंग्य कसना शुरू कर दिया. आंदोलनकारियों ने जब कोई जवाब नहीं दिया तो भाजपाइयों ने फुलवारी की ही तर्ज पर एकतरफा पत्थरबाजी शुरू कर दी. स्वाभाविक रूप से तब आंदोलनकारियों की ओर से भी पत्थर चले और वहां भगदड़ मच गई. इसके बाद लोग अपने घरों को लौट गए. 2018 में रामनवमी के समय भी उत्पात इसी पांडेय पुस्तकालय से शुरू हुआ था. इसी बीच भारी संख्या में पुलिस ने मुस्लिम मुहल्लों पर हमला बोल दिया.
पुलिस ने कुल 11 मुहल्लों पर हमला किया. घरों के दरवाजे तोड़े गए. घरों में तोड़फोड़ की गई. महिलाओं से बदतमीजी की गई. पुलिस ने 9 चार चक्का वाहन व 15 मोटरसाइकिलें तोड़ दीं. नगद व गहने भी लूट लिए गए. स्थानीय लोगों ने इन हमलों का वीडियो भी उपलब्ध करवाया. कुल 84 लोगांें पर मुकदमा किया गया है. जिनमें 39 गिरफ्तार हैं. 38 मुस्लिम समुदाय के हैं और एक हिंदू समुदाय के. गिरफ्तारों में 12 नाबालिग बच्चे हैं. 3 महिलाएं हैं. ये 11 मुहल्ले हैं – शाहगंज, कुरैशी मुहल्ला, अंसारबाग, पठानटोली, आजादनगर, अलीनगर, इसलामटोली, नवाडीह, न्यू काजी टोला और टिकारी मुहल्ला. माले व इंसाफ मंच के नेताओं ने इन 11 मुहल्लों में से पठान टोली, कुरैशी मुहल्ला, अंसार बाग और कुछ अन्य मुहल्लों का दौरा किया तथा मामले की संपूर्णता में जांच की.
*कुरैशी मुहल्ला* – कुरैशी मुहल्ला के नेहाल कुरैशी के बेटे शौकत कुरैशी और अशफाक कुरैशी की बेटी सफीन परवीन की उसी दिन मंगनी थी. दोनों के घर एक ही मुहल्ले में अगल-बगल में हैं. दोनों के घर मेहमान आए हुए थे. दिन के डेढ़ बजे पुलिस ने दोनों के घर पर धावा बोला. अशफाक कुरैशी के यहां मंगनी के लिए जो खाना बन रहा था, उसे उलट दिया. नेहाल कुरैशी के यहां सामानों की लूट और तोड़फोड़ की गई. मंगनी में आए मेहमान और घर के महिला – पुरुष सहित कुल 12 लोगों को गिरफ्तार कर किया गया. पुलिस की पिटाई से अजहर उर्फ सोनू और आफताब के पैर की हड्डी तोड़ दी गई तो इमरान के हाथ की पांचों उंगलियां तोड़ दी गईं हैं. पूरा नजारा उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ द्वारा चलाए जा रहे दमन अभियान जैसा ही है था.
उसी मुहल्ले में नईम अंसारी के बेटे चांद की शादी नवबंर में हुई थी. शादी में मिले सामान को तोड़ दिया. जेवर व कुछ सामान लेकर चले गए. लगभग 10 लाख की क्षति हुई होगी.
*नेहाल कुरैशी के यहां से गिरफ्तार लोगों की सूची*
1. हसीना खातून, पत्नी – अबुल हसन; 2. इसरत खातून, पत्नी – मो. कयामुद्दीन (ये दोनों नेहाल कुरैशी की बहन हैं); 3. इसरत खातून, पत्नी – मो. हसनैन (नेहाल कुरैशी की बहू); 4. नेहाल कुरैशी, 5. सद्दाम हुसैन, 6. आफताब आलम (नाबालिग); 7. परवेज आलम, 8. रिजवान आलम (नाबालिग); 9. मो. आरिफ, 10. मो. नुमान और 11. मो. एहसान
*पठान टोली* – 21 दिसंबर को पुलिस पठान टोली की 39 वर्षीय खुर्शीदा खातून (पत्नी – मो. मुकीम आलम, सउदी में रहते हैं) के घर में तीन बार घुसी. मेन गेट खुला था. कमरों का दरवाजा बंद था. पुलिस ने दरवाजा खोलने के लिए कहा, वरना तोड़ देने की धमकी दी. इस बीच वे कहते रहे कि सब बलवाइयों को इसी में छुपा रखा है. घर के आंगन में स्थित शौचालय व मोटरसाइकिल को पुलिस ने तोड़ दिया. डीएसपी अनूप कुमार के नेतृत्व में तीसरी बार में घर का दरवाजा खुलवाया गया. साथ में दंगा निरोधक पुलिस वाले भी थे. डीएसपी ने खुर्शीदा खातून के सीने पर रिवाल्वर तानकर कहा – तुमलोगों को आजादी चाहिए….आजादी दे दें!! डीएसपी महिलाओं को भद्दी भद्दी गालियां देते रहे और बेइज्जती करते रहे. खुर्शीदा खातून ने तनकर कहा – हां आजादी चाहिए, ऐसे भी मरना ही है. उस घर से पुलिस 76 वर्षीय जियाउलहक को घसीटते हुए ले जाने लगी, लेकिन महिलाओं ने प्रतिरोध करते हुए उन्हें छुड़ा लिया.
*अंसार बाग* में पुलिस ने दरवाजा तोड़कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया. इनमें मो. खुर्शीद अहमद के तीन पुत्र सैयद अहमद खुर्शीद, कमर खुर्शीद और अकबर खुर्शीद शामिल हैं. सैयद अहमद खुर्शीद जामिया के छात्र हैं जबकि कमर नदवा स्कूल लखनऊ में पढ़ाई करते हैं. *अजमेरगनर* में दरवाजा तोड़कर 8 बजे यासीन अंसारी को गिरफ्तार किया गया. आजाद नगर में दरवाजा नहीं टूटने पर चाहरदीवारी को तोड़कर जैनुल अंसारी व पुत्र को गिरफ्तार किया गया.
*नुकसान का एक संक्षिप्त जायजा*
सबीर कुरैशी – 4 गाड़ी – 2 चक्का (एक सेंट्रो, एक पिकअप, दो मोटरसाइकिल, 20 हजार नकद)
अमीर-उल-हक – (पिक अप टूटा)
हाजी जसीम कुरैशी – स्वीफ्ट डिजायर को तोड़ा गया, मोटरसाइकिल उलट दिया गया.
साहिर कुरैशी – 2 पिकअप तोड़ा गया
मो. इरशाद – 1 पिकअप गाड़ी तोड़ी गई.
नईम अंसारी-3 मोटरसाइकिल तोड़ी गई
औरंगाबाद डीएम राहुल रंजन महिवाल खुद लाठी लिए हमले का नेतृत्व कर रहे थे. इनके कार्यकाल में ही 2018 में रामनवमी के वक्त औरंगाबाद में दंगा हुआ था जिसमें अल्पसंख्यकों की 70 दुकानों को लूटा – जलाया गया था. उस समय इनपर दंगाइयों के सरंक्षण का आरोप लगा था. लेकिन इनका तबादला तक नहीं हुआ और अल्पसंख्यकों पर दमन की घटना दुहराई गई है. एसपी दीपक वर्णवाल भी खुद से पत्थर चला रहे थे.
इसी बीच 30 दिसम्बर की रात में फुलवारी के 17 वर्षीय अमीर हंजला की लाश भी मिली है. 21 के बंद के दौरान ही यह गुम हो गया था. बैट व छुरा से हमला कर हत्या के बाद उसकी लाश फुलवारी ब्लॉक परिसर के नजदीक के पानी भरे गड्ढे में फेंक दिया गया था. संघ – भाजपा के गुंडों की गिरफ्तारी के बाद लाश का पता चला। अमीर हंजला दरभंगा के अलीनगर प्रखंड का निवासी था और यहां फुलवारी में बैग बनाने वाली फैक्ट्री में मजदूर था.
इसके अलावा पूरे राज्य में आंदोलनकारियों को मुकदमे में फंसाने का काम भी अंधाधुंध रूप से चलाया का रहा है. पटना में माले के सीनियर नेताओं सहित अन्य आंदोलनकारियों पर मुकदमे थोप दिए गए हैं. यहां तक कि विरोध मार्च निकालने की भी अनुमति नहीं दी जा रही है.
उक्त मुद्दों पर भाकपा-माले व इंसाफ मंच की ओर से 4-5 जनवरी को दो दिवसीय राज्य व्यापी विरोध कार्यक्रम किया जाएगा.
*हमारी जांच टीम मांग करती है कि*
1. औरंगाबाद के डीएम व एसपी सहित बर्बर दमन में शामिल पुलिसकर्मियों पर अविलंब कार्रवाई की जाए.
2. औरंगाबाद पुलिसिया कहर में नष्ट संपत्ति का मूल्यांकन करके पीड़ितों को उचित मुआवजा प्रदान किया जाए.
3. सभी गिरफ्तार लोगों की अविलंब रिहाई की जाए.
4. उकसावा पूर्ण कार्रवाई करने वाले भाजपा के पूर्व नगर उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता उर्फ ओरियावला और आकाश गुप्ता को गिरफ्तार किया जाए.
4. भाजपा-आरएसएस द्वारा शांतिपूर्ण जुलूस पर हमले और दंगे फैलाने की साजिश पर रोक लगाई जाए.
5. फुलवारीशरीफ में जुलूस पर हुए हमले में मारे गए अमीर हंजला के परिवार को सरकारी नौकरी व 20 लाख मुआवजा दिया जाए
जांच टीम में शामिल मुख्य लोग
सुदामा प्रसाद, विधायक, भाकपा-माले
कयामुद्दीन अंसारी, राज्य सचिव, इंसाफ मंच
अनवर हुसैन, राज्य उपाध्यक्ष, इंसाफ मंच
मुनारिक राम, जिला सचिव, भाकपा-माले, औरंगाबाद
साधुशरण, जिला कमिटी सदस्य, भाकपा-माले, पटना ग्रामीण
नसीम अंसारी, संयोजक, इंसाफ मंच, पटना