ख़िदमत-ए-खल्क़ के साथ ईद: डॉ आमना

 

पाक महीना रमज़ान अल्लाह की रहमत व बरकत का महीना है। बुराईयों से दूरी रमज़ान की विशेष खूबी है। इस पाक महीने का मतलब ही नेकी की राह को और आगे बड़ाना है । इस महीने का अर्थ केवल भूखे रहना और खाने-पीने की चीजों से दूरी नहीं, बल्कि विचारों, शब्दों और कार्यों में भी इसको सृद्ध करना है।

सच्चे मन से ईबादत, बुराई के रास्ते से दूरी, धैर्य और संयम को ज़िंदगी में अपनाना आदि ऐसे कई विभिन्न कार्यों से इंसान आपने आप को ऊपरवाले के के करीब महसूस करता है। रमज़ान के दौरान सहानुभूति और करुणा को भाव को समझाना और साथ ही इसको केवल इसी महीने तक सीमित नहीं रखना भी जरूरी है।

इबादत को अगर सच्चे दिल से किया जाए तो वह कई
बुरी आदतों से छुटकारा पाने का साधन बन जाती है।
हर पल जीवन में इन्हीं नेकियों को इख्तियार करना है क्योंकि पाक कुरान शरीफ का भी यही संदेश है कि अल्लाह नेकी करने वालों से प्रेम करता है। आज इसी विचार को सामूहिक रूप से हर व्यक्ति को सोचने की आवश्यकता है।

रमज़ान के बाद ईद उल फितर का त्यौहार अता है। ईद का मतलब ही है बड़ी इज्माईयत ,हाथ मिलाना, गले मिलना और एक दूसरे के यहां मिलने के लिए जाना। कोई भी त्योहार केवल खरीदारी तक सीमित नहीं, क्यूंकि यह पर्व किसी भी सभ्यता, समाज और संकृति के लिए महत्वपूर्ण संदेश के साथ होते हैं।

आज के इस कठीन समय में जरूरी है की नेकी के पैमानों को आगे बढ़ाए और इसी संदर्भ में ईद सादगी से मनाएं, कोई खरीदारी नहीं । सभी गाइडलाइंस का पालन करें क्योंकि ईमानदारी ईमान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ईद की शॉपिंग की रकम से किसी बीमार की ईलाज में मदद करे क्योंकि ईद कपडों का नहीं अपनों का त्यौहार है।

माहामारी से परेशान लोगों को सदका ए फित्र अदा कीजिए । जरुरी नही की नए कपड़े हो, अगर उसी पैसों से किसी गरीब मोहतरम या देश सेवा से जुड़े किसी भी जगह अपनी भाग्यदारी दें, तो उसमे भी सवाब का रास्ता है।अपने पास पड़ोसी का खास ख्याल रखें, गरीब व बेसहारा लोगों का सहारा बनिए । दुआ करें कि हमारे मुल्क से कोरोना जैसी वबा व माहामारी से निजाद मिले, व सभी देश वासी हिफाज़त मैं रहे। हम सबको ज़रूरतमन्द की मदद करने की तौफीक अता हो इसी भावना के साथ हम सब रहें।

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