केंद्रीय विद्यालय, एंड्रयूज गंज में आख़िर क्यूँ है बच्चे खतरे में?

दक्षिण दिल्ली – ट्रैफिक पुलिस और विद्यालय में प्राइवेट वैन मालिकों की मिली भगत से छोटे बच्चों की ज़िंदगी किस तरह दावँ पर लगाकर खुलेआम खेल चल रहा है । ऐसा नहीं है कि इसकी जनकारी ट्रैफिक पुलिस और दिल्ली यातायात विभाग को नहीं है , जब कभी किसी भी तरह का कोई मामला अगर उच्चपद पर आसीन अधिकारियों तक पहुँच जाता है तो ख़ाना पूर्ति के लिए कुछ गाड़ियों का चालान करके मामले को सरकारी फाइल में दर्ज कर ख़त्म कर दिया जाता है ।

सर्दी के मौक़े पर स्कूल का समय बदल जाता है । और इसी के मद्देनज़र स्कूल प्रशासन अपने कर्मचारियों को स्कूल गेट समय सीमा पर ही छात्रों के लिए खोलने के लिये कहा जाता है । समय की जानकारी अभिभावकों को भी दे दी जाती है कि वह अपने बच्चों को समय सीमा से थोड़ा पहले लाए साथ में ये भी अनुरोध किया जाता है कि अगर प्राइवेट वैन से बच्चा स्कूल आता है तो वह समय सीमा से थोड़ी देर पहले ही स्कूल गेट के पास छोड़े ताकि बच्चे स्कूल गेट के अंदर सीधे प्रार्थना के बाद क्लासरूम में चले जाए ।

लेकिन प्राइवेट वैन वाले समय सीमा से पहले ही स्कूल गेट में छोटे बच्चों को छोड़कर दूसरे स्कूल में बच्चों को अपनी दूसरी ड्यूटी पर चले जाते है और बच्चों को भगवान भरोसे छोड़ के ।वैन के चले जाने के बाद बच्चे स्कूल गेट के आसपास घूमते रहते है । चूँकि यातायात तेज़ी के साथ चलने से दुर्घटना होने का अंदेशा हमेशा बना रहता है ।

हमारे सूत्र बताते है की दक्षिण दिल्ली स्थित केंद्रीय विद्यालय, एंड्रयूज गंज में सर्दी में स्कूल समय बदलने के बाद प्रथम पाली के छात्रों के लिए सुबहा 7:30 का समय रखा गया । और छात्रों के लिए 7 :20 बजे गेट खोला जाता है ताकि छात्र छात्रा स्कूल के अंदर जाकर प्रार्थना के बाद क्लासरूम में जाकर शिक्षा ग्रहण कर सके ।

लेकिन प्राइवेट वैन वालों की वजह से स्कूल गेट खुलने से घंटे भर पहले छोटे बच्चों को स्कूल गेट पर भगवान भरोसे छोड़कर चलते बनते हैं । चूँकि केंद्रीय विद्यालय, एंड्रयूज गंज का गेट मेन रोड से सटे होने की वजह से छोटे बच्चे गेट से लेकर रोड तक टहलते नज़र आ जाते है । इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है ।
सूत्र कहते है ओखला से संचालित होने वाले मंसूरी ट्रेवलर्स सहित कई अन्य संचालकों की स्कूल वैन और मिनी बस वाले

बच्चों को स्कूल समय से घंटे भर पहले स्कूल के बंद गेट के सामने 6:30am छोड़कर जाते देखा गया है । और उसके बाद उन वैन और मिनी बस से आने वाले छोटे बच्चे गेट के बाहर के साथ उसके आसपास सड़क तक घूमते देखें जा सकते है । जबकि स्कूल गेट के पास सड़क पर तेज़ी के साथ चलते वाहन का कोई भी बच्चा शिकार हो सकता है । लेकिन इसकी परवाह ना तो वैन संचालक या स्कूल प्रशासन को है ।

वैन संचालक इतने बेख़ौफ़ है की उनको पुलिस या स्कूल प्रशासन का डर तक नहीं है । लोगो का कहना है की वैन संचालक और ट्रैफिक पुलिस के बीच महीने में एक
मोटी रक़म दे जाती है जिसके वजह से यातायात नियम उनके लिए खिलौने की तरह हो जाती है । यातायात एक्सपर्ट बताते है की केंद्रीय विद्यालय, एंड्रयूज गंज में छोटे बच्चों को हादसे की भेट के लिये प्राइवेट वैन संचालक इसलिए छोड़ जाते है क्योकि संचालकों द्वारा एक साथ दो स्कूल में बच्चों को छोड़ने की ज़िम्मेदारी उनको ये करने को मजबूर होना पड़ता है ।

संचालक अपने ड्राइवर्स पर दबाव बनाते है कि जल्दी जल्दी बच्चों को स्कूल छोड़कर दूसरे स्कूल जायें । एक्सपर्ट आगे कहते है कि अगर संचालक अगर स्कूल समय के मुताबिक़ अपनी वैन चलायेंगे तो उसके लिए उनको वैन की तादाद के अलावा ड्राइवर भी बढ़ाने पड़ेंगे । जो ना करके अपना पैसा बचाते है ।और बच्चों की ज़िंदगी की परवाह नहीं करते ।

अब सवाल ये उठता है की किया वैन संचालक और यातायात पुलिस का गठजोड़ इतना मज़बूत है कि केंद्रीय विद्यालय, एंड्रयूज गंज में बच्चों की ज़िंदगी और हादसे के बीच खेल खुलेआम चल रहा है और सरकार ख़ामोश तमाश बीन बनी है । आख़िर क्यूँ नहीं इस ओर कार्यवाही करके बच्चों को हादसे होने से पहले बचाया जा सके ।

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