अंधविश्वास फैलाने की बजाय कॅरोना की जांच और चिकित्सा सुविधाओं की गारंटी करे सरकार:सिद्दीकी

* सरकार का प्रयास अपर्याप्त , युद्धस्तर पर कार्रवाई की जरुरत–इंसाफ मंच

* बिना राशन कार्ड वाले गरीब परिवारों को भी राशन मुहैया कराए सरकार–माले

प्रेस रिलीज़,सीतामढ़ी,05 अप्रैल 2020
भाकपा माले के बाजपट्टी विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सह इंसाफ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष नेयाज अहमद सिद्दीकी ने आज प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि करोना महामारी को मात देने केलिए व्यापक परीक्षण व चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाने की आवश्यकता थी, लेकिन यह निहायत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री मोदी अंधविश्वास फैलाकर वैज्ञानिक चेतना को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इस दौर में गरीबों को राशन व अन्य सुविधाएंअविलंब उपलब्ध करवाना प्राथमिकता होनी चाहिए थी, लेकिन प्रधानमंत्री थोथे दलीलों से काम चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि 5,अप्रैल को प्रधानमंत्री द्वारा मोमबत्ती, दीपक तथा टॉर्च लाइट जलाने के आह्वान से करोना की रोकथाम सम्भव नहीं है। इस वायरस का मुकाबला सिर्फ वैज्ञानिक तरीके से सभी जरूरी

संसाधन,जांच,दवाइयों,डॉक्टरों तथा जरूरी उपकरणों जैसे वेंटिलेटर व पीपीई की व्यवस्था करके ही की जासकती है। देश में लगातार इसकी मांग बढ़ रही है। लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में इस विषय पर कोइ चर्चा नहीं की।
विगत 22,मार्च को जनता कर्फ्यू के दरम्यान प्रधानमंत्री ने डॉक्टरों व उन तमाम लोगों केलिए जो करोना पीढ़ितों के इलाज में अपनी ज़िंदगी को जोखिम में डालकर काम कर राहे हैं, थाली पीटने का हास्यास्पद आह्वान किया था। सुविधाओं के अभाव में बड़ी संख्या में डॉक्टर संक्रमित होरहे हैं, वे लगातार किट व अन्य जरूरी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार लगातार उनकी उपेक्षा कर के उनके मनोबल को गिराने का ही काम कर रही है।

अचानक और बिना किसी पूर्व योजना के लागू किये गए लौकडाउन ने प्रवासी व दिहाड़ी मज़दूरों के सामने परेशानियों का पहाड़ खड़ा कर दिया है।हज़ारों किलोमीटर पैदल यात्रा करके प्रवासी मज़दूर किसी प्रकार अपने राज्य में पहुंचे। कई लोगों की इस बीच मौत की भी खबरें हैं। उन्हें घर पहुंचाने की जिम्मेदारी से सरकार भाग खड़ी हुई। उनके लिए सुविधाओं से लैस कवारंटाइन की व्यवस्था करने की बजाय यंत्रणापूर्ण स्थितियों में डाल दिया गया है यह बेहद दुखद है। और उस से भी दुखद यह है कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में लाखों प्रवासी मज़दूरों की दुर्दशा के बारेमें एक भी शब्द नहीं कहा।

दिल्ली तब्लीग की घटना को साम्प्रदायिक रूप देकर महामारी के दौर में भी हिन्दू-मुस्लिम लड़ाई लगाने का काम किया जारहा है। हमें उम्मीद थी कि इस करोना की चुनौती का हमसब मिलकर सामना करेंगे, लेकिन भाजपाई इस विषम परिस्थिति में भी अपनी साम्प्रदायिक राजनीति से बाज नहीं आरहे हैं।

बिहार सरकार केवल राशन कार्ड धारकों को ही राशन उपलब्ध कराने की बात कर रही है। बिहार में गरीबों के बड़े हिस्से के पास न राशन कार्ड है और न हीं लाल कार्ड। ऐसे लोगों को सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिल रही है। कामगार प्रवासियों के भी आधार कार्ड अध्यतन न होने के कारण 1000 रु० की राशि नहीं मिल पारही है। इसलिए हम बिहार सरकार से मांग करते हैं कि सभी गरीबों के लिए राशन के व्यवस्था की गारंटी की जाय।

ऐसे लगता है कि इस महामारी के दौरान में भी सरकार रूटीन वर्क के अनुसार काम कर रही है। इस विकट परिस्थिति में युद्धस्तर पर काम करने की आवश्यकता थी जिसका सर्वथा अभाव दिख रहा है। दूसरी राजनीतिक पार्टियों एवं सामाजिक संगठनों से सरकार किसी भी प्रकार का वार्ता नहीं कर रही है। जहां लोग अपनी पहलकदमी पर गरीब लोगों के बीच राहत अभियान चलारहे हैं उसे भी रोकने की कोशिशें की जारही हैं। इसके बारे में सरकार को अविलम्ब विचार करना चाहिये।

इस बीच आरएसएस के इशारे पर मीडिया द्वारा झूठी तथा भ्रामक खबरों के माध्यम से मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध नफरत फैलाने की लगातार कोशिश की जारही है जो अत्यंत शर्मनाक एवं निन्दनीय है विशेष कर सीतामढ़ी ज़िले के नानपुर थाना अंतर्गत चकौती पंचायत के ग्राम पकटोला के बारेमें साज़िश के तहत बिल्कुल झूटी और बेबुनियाद खबर छाप कर वहाँ बाहर से 20-22 तब्लीगी आकर छुपे होने की बात बताना अत्यन्त निंदनीय है। उन्होंने इसकी तीब्र भर्त्सना करते हुए जिले की जिलाधिकारी तथा पुलिस कप्तान से ऐसी झूठी खबर छाप कर भ्रम और नफरत फैलाने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की मांग की साथ ही इसके खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की भी बात कही है।
नेयाज अहमद सिद्दीकी
पूर्व प्रत्याशी
बाजपट्टी विधानसभा,सह
प्रदेश उपाध्यक्ष
इंसाफ मंच, बिहार

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity