मुस्लिम समुदाय को इस तरफ भी झांक कर अपने आपको परवरदिगार के तराजू मे तोलना होगा!

।अशफाक कायमखानी।जयपुर।
हालांकि धार्मिक मान्यताओं अनुसार बीना वजह देर रात तक जागना ओर सुबह देर तक सोते रहने की सख्त मनादी के बावजूद मुस्लिम बस्तियों मे उक्त तरह की धार्मिक मान्यताओं के विपरीत बीना वजह लोगो का देर रात तक जागना व सुबह सूरज निकलने के बाद या उससे भी काफी देर से उठने के आम रिवाज बन चुके को पाक परवरदिगार के तराजू मे तोल कर देखना ही होगा।

हमे याद करना चाहिए की हमारी दादीयां व नानीया सुबह जल्द उठकर घर आंगन व बाहर आम रास्ते मे झाड़ू लगाकर घर के आवश्यक कामो मे जूट जाती थी तब जाकर पुरुष उठकर इबादत करके अपने काम (रोजगार) के लिये निकल जाने के बाद सुबह का सूरज निकलता था। लेकिन आज सबकुछ उलटा-पुल्टा होने से अनेक तरह की परेशानियों से घिरा हुवा इंसान अपने आपको पा रहा है। राजस्थान की जाट बिरादरी के उत्थान मे सबसे अहम किरदार उनके बूजुर्गो की उस कड़ी मेहनत का फल ही है कि वो रात को जल्दी सोने व सुबह बहुत जल्द उठकर जमीन के सीने को चीरकर खेती के रुप मे सोना (स्वर्ण) निकालने की आदत को ही माना जायेगा।

पीछले दो-तीन दिन किसी एक मिलने वाले शख्स के साथ उसके दूध का व्यापार शुरु करने की इच्छा के चलते सर्वे के अनुसार कुछ लोगो से बात हुई जो यह है। एक मुस्लिम मोहल्ले के शख्स से बात होने पर व्यापारी को उसने कहा कि आप सुबह जल्दी दूध बेचना चाहते तो जरा सोच लो इस मोसम मे करीब आठ बजे तक आपके पास कोई दूध लेने उनके मोहल्ले मे नही आयेगा क्योंकि मोहल्ले के अधीकांश लोग तब तक सोये रहते है। अन्य मुस्लिम मोहल्ले के दूध की दुकान के एक अन्य संचालक से बात करने पर उसने बताया की उनके सुबह जल्दी अपनी दुकान खोलने के बावजूद आठ बजे के बाद ही ग्राहक उसके यहां दूध लेने आते है। शाम के मुकाबले सुबह उसके यहां दूध की बिक्री बहुत कम है। उसके क्षेत्र मे सुबह जल्द के बजाय देर सुबह उठने की घर घर की कहानी समान है। इसी तरह एक दूध की दुकान चलाने वाले ने तो यहां तक कह डाला कि उसने तो सुबह दूध की दूकान खोलना ही बंद कर दिया वो बस मात्र शाम को ही दूध की बिक्री के लिये दुकान खोलते है। सभी ने एक खास बात यह भी कही कि उनके पड़ोसी मोहल्ले मे दूध की दूकान सुबह सवेरे खुल जाने के बावजूद खूलने से पहले लोग दूध लेने के इंतजार मे खड़े रहते है। इसका अर्थ यह है कि उस क्षेऋ के लोग सुबह सवेरे जल्द उठने वाले है। उन लोगो ने यह भी बताया कि अधीकांश मुस्लिम दूध प्लास्टिक की थैलियों मे लेकर जाते है एवं पड़ोसी क्षेत्र के लोग दूध लाने मे सिल्वर-स्टील की केतली-बरनी इस्तेमाल करते है।

मुस्लिम बस्तियों मे देर रात तक जागना व सुबह देरी से उठना घर घर की कहानी भन चुका है। ऊंट के मुहं मे जीरा समान कुछ लोग सुबह इबादत के लिये जल्द अगर उठते भी है तो इबादत के बाद उस क्षेत्र की टी-स्टाल पर चाय पीते है। अगर उनमें से कुछ घर आकर चाय पीते है तो वो स्वयं चाय बनाकर ही पीते है। क्योंकि बाकी घर वाले तो सुबह देर तक सोये रहते है। समुदाय को सोचना चाहिए की उन पर आने वाली परेशानियों का अनेक कारणो मे एक कारण बीना वजह देर रात तक उनका जागना व सुबह देर तक सोते रहना तो नही। पहले यह समस्या शहरो तक सीमित थी लेकिन अब यह शहरों के साथ साथ गावं-ढाणी देहातो तक भी आम हो चुकी है।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity