अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बाद भी अभी जमीन पर तो युद्ध शुरू नहीं हुआ है लेकिन दोनों देशों की सेना के बीच साइबर वॉर जरूर शुरू हो चुका है. दोनों देश के नेताओं के बीच जुबानी जंग भी जारी है जो कभी भी उन्हें युद्ध के मुहाने तक पहुंचा सकती है.
ईरान की तरफ से अत्याधुनिक ड्रोन मार गिराए जाने से बौखलाए अमेरिका की ट्रंप सरकार ने ईरान पर साइबर स्ट्राइक कर दी है. अमेरिका ने बिना एक बूंद खून बहाए ईरान के पूरे सैन्य सिस्टम को बर्बाद कर दिया है. सैन्य सिस्टम के जरिए ही किसी भी देश की सेना अपने मिसाइल और अन्य बड़े हथियारों को नियंत्रित और संचालित करती है. अगर इन कंप्यूटर सिस्टम पर हमला होता है तो कोई भी देश असहाय हो सकता है और युद्ध में न तो उनके हथियार काम करेंगे, न फाइटर जेट उड़ान भर पाएंगे और न ही पनडुब्बी किसी दिशा-निर्देश पर काम कर पाएगा. अमेरिका ने 20 जून को साइबर अटैक के जरिए ईरानी सेना के सैन्य कमांड और कंट्रोल सिस्टम को पूरी तरह तबाह कर दिया था.
हालांकि, ईरान ने इस साइबर हमले से नुकसान होने की खबर से इनकार कर दिया है. ईरान के एक मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि अमेरिका का हालिया साइबर हमला तेहरान के लिए किसी तरह की समस्या पैदा करने में विफल रहा. ईरान के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी मंत्री मोहम्मद जवाद अजारी जहरोमी ने ट्वीट किया, ‘उन्होंने (अमेरिका ने) बहुत कोशिश की, लेकिन वे हमले में सफल नहीं हो सके.’
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक पेंटागन ने ईरानी रॉकेट लॉन्च सिस्टम्स पर साइबर हमला किया था जिसने सैन्य मशीनी हथियार को अक्षम कर दिया जाए . ईरान के मंत्री ने सोमवार को अमेरिका पर बीते सालों में ईरान पर साइबर हमला करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘हम लंबे समय से साइबर आतंकवाद का सामना कर रहे हैं.’
जहरोमी ने कहा, ‘बीते साल हमने ऐसे 3.3 करोड़ हमलों को विफल किया.’ यह साइबर हमले ईरान द्वारा अमेरिकी ड्रोन को 20 जून को मार गिराए जाने के बाद हुए. तेहरान ने कहा कि ड्रोन ईरान के हवाई-क्षेत्र में प्रवेश कर गया था. ईरान के इस दावे से अमेरिका ने इनकार कर दिया था.(इनपुट आजतक)