तीसरी ताकत को कमजोर करने मे लगी कांग्रेस को आसाम मे बदरुद्दीन अजमल के दल के मतो की जरुरत महसूस होने लगी।

अशफाक कायमखानी।जयपुर।
2019 के लोकसभा चुनावों मे तीसरे दलो के रुप मे सेक्यूलर दलो को कमजोर कर केवल भाजपा-कांग्रेस दलो की राजनीति चमकती रहने की मंशा को लेकर बीना आधार वाले क्षेत्रो मे कांग्रेस ने जगह जगह वोट काटू उम्मीदवार खड़े करके तीसरे दलो को कमजोर तो किया लेकिन स्वयं कांग्रेस पार्टी भी रसातल मे चली गई। करीब सतराह प्रदेशों मे कांग्रेस का खाता भी नही खूल पाया है।

1991 से पूर्व प्रधानमंत्री व कांग्रेस नेता डा. मनमोहन सिंह आसाम से राज्य सभा के सदस्य चुन कर आते रहने के बावजूद जून-2019 मे उनका कार्यकाल पुरा होने पर अधिसूचना जारी होने के बावजूद अकेले कांग्रेस की ताकत पर आसाम से फिर मनमोहन सिह का राज्य सभा सदस्य चून कर आना मुश्किल है।

आसाम मे जून माह मे दो राज्य सभा सीटों पर चुनाव होने है। जीतने के लिये एक उम्मीदवार को 42-मतो की आवश्यकता होगी। भाजपा के 61 विधायक होने से उनके एक उम्मीदवार के 42-मत लेने पर आसानी से जीत जायेगा। जबकि भाजपा के अलावा आसाम विधानसभा मे 14-विधायक असमगण परिषद के व 12 विधायक पीपलंस फ्रंट के है। इसके अलावा कांग्रेस के 25 विधायक व बदरुद्दीन अजममल के दल AIUDF के 13 विधायक है। कांग्रेस व अजमल के मतो को मिलाकर कुल 38 मत होने के बाद चार मतो की ओर जरूरत होगी। बदरुद्दीन अजमल ने कांग्रेस से डा.मनमोहन सिंह को चुनाव लड़ने पर मदद करने की कह कर कांग्रेस की तरफ मित्रता का फिर हाथ बढाया है। असमगण परिषद ने प्रदेश के बाहरी उम्मीदवार का विरोध करने को कहा है। उस स्थिति मे डा.मनमोहन सिंह को जीतने के लिये अतिरिक्त आवश्यक चार मतो का आसानी से इंतजाम हो सकता है।

कुल 245 सदस्यों वाले राज्य सभा सदन मे भाजपा के 73 सदस्य है। एवं भाजपा गठबंधन के मिलाकर 102 सदस्य है। बहुमत के लिये कुल 123 सदस्यो की दरकार होती है। बहुमत के लिये भाजपा गठबंधन को अब 21 सदस्यों की ओर जरूरत है। जो नवम्बर-2020 आते आते कुल 75-सदस्यों के चुनाव विभिन्न प्रदेशों मे होने के बाद भाजपा गठबंधन को बहुमत मिलना माना जा रहा है। उस बहुमत मिलने के बाद ही भाजपा का असली रुप सामने आयेगा। जब दोनो सदनो मे बहुमत होने के बाद जो प्रस्ताव व संसोधन विधेयक भाजपा पास कराना चाहेगी तब आसानी से करवा लेगी।

कुल मिलाकर यह है कि कांग्रेस द्वारा अन्य सेक्यूलर दलो को कमजोर करने की कोशिशो के चलते तीसरे दलो को तो 2019 के लोकसभा चुनावों व उससे पहले हुये अनेक चुनावो के मोको पर नूकसान उठाना पड़ा है। लेकिन उनको कमजोर करने के चक्कर मे भाजपा बढ गई ओर कांग्रेस रसातल मे पहुंच गई है। जिस बदरुद्दीन अजमल को कमजोर करने के लिये आसाम मे पहलै विधानसभा चुनाव मे ओर अब लोकसभा चुनाव मे उसके साथ गठबंधन करने से इनकार करते हुये उसके तीन लोकसभा उम्मीदवारों के सामने कांग्रेस ने वोट काटू उम्मीदवार खड़े किये उसी अजमल ने आज आगे बढकर मनमोहन सिंह को जीताने के लिये अपने मत बीना शर्त कांग्रेस को देकर मदद करने को कहा है।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity