अशफाक कायमखानी।जयपुर।
राजस्थान विधानसभा की दोसो सीटों मे से सो विधायक कांग्रेस के एवं एक विधायक गठबंधन के चलते रालोद का सरकार के साथ होने के अलावा तेराह निर्दलीय विधायको मे से बारह विधायको के साथ छ बसपा विधायको का गहलोत सरकार को समर्थन प्राप्त है। इनमे से बसपा व निर्दलीय विधायको का समर्थन अशोक गहलोत को होने के कारण कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत को ही मुख्यमंत्री पद पर बनाये रखना उचित माना। वरना मुख्यमंत्री का चेहरा बदलते ही कांग्रेस सरकार के गिरने की सम्भावना अधिक होने के चलते सरकार जाने का खतरा कांग्रेस हाईकमान इस समय किसी भी हालत मे उठाने को तैयार नजर नही है।
राजस्थान विधानसभा मे सो कांग्रेस व तेहतर भाजपा के विधायक है। इनके अलावा तीन रालोपा, दो माकपा, दो बीटीपी, छ बसपा व तेरह निर्दलीय व एक लोकदल का विधायक है। जिसमे लोकदल विधायक गठबंधन के तहत सरकार के साथ है। व बसपा के छ व तेरह मे से निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हूड़ला को छोड़कर बाकी बारह विधायक कांग्रेस के साथ समर्थन मे खूले तौर पर मंच पर आ चुके है। निर्दलीय व बसपा के विधायकों मे अधीकांश विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से व्यक्तिगत नजदीकी होने पर उनके ही कारण सरकार को समर्थन दे रखा है। यह जरूरी नही कि चेहरा बदलने पर सरकार को समर्थन देना जारी रखे। बसपा विधायक राजेन्द्र गुढा ने तो दो दिन पहले सार्वजनिक तौर पर कह ही दिया था कि उन्होंने गहलोत के कारण सरकार को समर्थन दे रखा है। रालोपा के बेनीवाल व भाजपा के नरेन्द्र खीचड़ के सांसद बनने पर उन्हें महिने भर मे एक पद से त्याग पत्र देना है। तो माना जा रहा है कि वो विधायक पद से त्याग पत्र देगे।
राजस्थान मे इधर उधर से जुगाड़ करके समर्थन पाकर कांग्रेस सरकार चलाने मे अन्य नेताओं के मुकाबले अशोक गहलोत को दक्ष माना जाता है। दूसरी तरफ कुछ लोग अफवाह फैला रहे है कि कांग्रेस के कुछ विधायक बागी हो सकते है। दलबदल कानून के तहत पार्टी तोड़कर अलग धड़ा बनाने के लिये कांग्रेस के कम से कम चोतीस विधायको का एक साथ टूटकर आना जरुरी है। जो सम्भव नही लगता है। अगर सरकार गिरा कर भाजपा सरकार बनाना चाहे तो उसके तेहतर विधायकों के अलावा बेनीवाल के सांसद बनने पर बचे दो रालोपा व जोर मारे तो दो बीटीपी, व छ बसपा के अलावा दो तीन निर्दलीय विधायको का जुगाड़ भाजपा अधिकतम कर सकती है। जिनमे से भाजपा के एक विधायक नरेन्द्र खिचड़ भी सांसद बन चुके है।कांग्रेस मे तोड़फोड़ भी करे तो अधिकतम पिच्यासी का आंकड़ा बैठता है। भाजपा के काफी बडा उलटफेर करवाने पर ही सत्ता परिवर्तन मे कामयाबी मिल सकती है। जो इन हालातों मे अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते नामुमकिन नजर आती है। इस तरह के हालात बने रहने के कारण अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री रखने पर हाईकमान को मजबूर कर रहे है।