राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष जाट समुदाय से बनना लगभग तय।

अशफाक कायमखानी।जयपुर।
मोदी लहर व मशीन सिस्टम की आशंका के अलावा राजस्थान मे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलेट के अलग अलग जारी खेमो की अंदरूनी खींचतान एवं एक दूसरे को राजनीतिक तौर पर सलटाने को लेकर कांग्रेस की सभी पच्चीस सीटो पर हार के बाद कांग्रेस मे काफी हलचल मचने के साथ संगठन स्तर पर राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक तरह के बदलाव होने के संकेत साफ नजर आने लगे है। राज्य मे सरकार होने के बावजूद इस करारी हार के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने पर अभी तक तलवार लटकी हुई है। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष पद से सचिन पायलट को एक पद एक व्यक्ति के तहत मुक्त करने का फैसला लगभग तय हो चुका बताते है। स्थानीय निकाय, पंचायत व सहकारी बैंकिंग के चुनावों को देखते हुये पायलट की जगह जाट बीरादरी के किसी नेता को अध्यक्ष पद पर मनोनीत किया जा सकता है।

हालांकि राजस्थान मे सबसे पहले 1989 मे पच्चीस सीटो मे से तेहरा पर भाजपा, ग्यारह पर जनता दल व एक पर माकपा के जीतने पर सभी पच्चीस सीटो पर कांग्रेस की हार होने पर कांग्रेस मे काफी खींचतान चलने के बाद तत्तकालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को त्यागपत्र देना पड़ा था। माथुर की जगह हरिदेव जौशी मुख्यमंत्री बने थे। जबकि 1977 की जनता पार्टी लहर मे भी नागौर से कांग्रेस उम्मीदवार नाथूराम मिर्धा चुनाव जीतने मे कामयाब हुये थे।

सीडब्ल्यूसी की दिल्ली मे सम्पन्न मंथन बैठक की खबरें जीस तरह बाहर आ रही है, उससे लगता है कि राहुल गांधी कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियो से आये रजल्ट के कारण खासे नाराज है। राजस्थान व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों के अपने अपने पूत्रो को चुनाव लड़ाने से भी राहुल गांधी खासे नाराज है। इन सब हालतो से आहित राहुल गांधी अपने अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने पर अभी भी अड़े हुये है। पुत्र के चुनाव लड़कर हारने से गहलोत की मजबूती को भी झटका लगा है। लेकिन लगता है कि गहलोत पैदा हुये उक्त हालात से धीरे धीरे उभर जायेगे। लेकिन उनके खिलाफ वाला एक खेमा इस बात को सूर्खियों व चर्चा मे रखकर गहलोत पर त्याग पत्र देने का दवाब बनाये रखना चाहता है।

राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद से सचिन पायलट को हटाना लगभग तय हो चुका है। एवं पायलट के स्थान पर जाट बीरादरी के किसी नेता को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। जिसमे तेजी से उभरा नाम लालचंद कटारिया, के अलावा रामेश्वर डूडी, नरेन्द्र बूडानीय, व सुभाष महरिया का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है।

SHARE
is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity