गरीबों को छला,अल्पसंख्यकों को डराया गया,हमें सभी का विश्वास जीतना है:मोदी

मिल्लत टाइम्स नई दिल्ली(25 मई): स्वतंत्र भारत के इतिहास में एतिहासिक जीत के बाद संसद के सेंट्रल हॉल में नरेंद्र मोदी के एतिहासिक संबोधन को नए चुन कर आए 353 सांसदों ने लगभग 1 घंटे 20 मीनट तक सांस रोककर सुना। 17वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है। आज संसद के सेंट्रल हॉल में सर्व सम्मती से मोदी को संसदीय दल के नेता के रूप चुना। बाजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने मोदी के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार, एलजेपी अध्यक्ष रामविलास पासवान समेत एनडीए के सहयोगियों ने नरेंद्र मोदी के नाम का समर्थन किया।

अपने भाषण में मोदी ने कहा कि मैंने कभी कहा था कि मोदी ही मोदी का चैलेंजर है। इस बार मोदी ने मोदी को चैलेंज किया और 2014 के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। सदन में महिलाओं की संख्या का रेकॉर्ड भी इस बार टूटा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्होंने गरीबों के साथ हो रहे छल में छेद किया है। उन्होंने कहा कि देश में गरीबों का छला गया और यही व्यवहार अल्पसंख्यकों के साथ हुआ है। पीएम ने कहा कि एक डर पैदा किया गया और उन्हें गरीब रखने की कोशिश की गई। लेकिन अब इस धारणा को तोड़ने की जरूरत है. पीएम ने कहा, “देश में गरीब एक राजनीतिक संवाद-विवाद का विषय रहा, एक फैशन का हिस्सा बन गया, भ्रमजाल में रहा, पांच साल के कार्यकाल में हम कह सकते हैं कि हमने गरीबों के साथ जो छल चल रहा था, उस छल में हमने छेद किया है और सीधे गरीब के पास पहुंचे हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश पर इस गरीबी का जो टैग लगा है, उससे देश को मुक्त करना है। गरीबों के हक के लिए हमें जीना-जूझना है, अपना जीवन खपाना है। गरीबों के साथ जैसा छल हुआ, वैसा ही छल देश की माइनॉरिटी के साथ हुआ है।

पीएम मोदी ने कहा कि जनप्रतिनिधि कभी भेद नहीं सकता है। नए जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जनप्रितिनिधि के साथ हमारा कोई भी पराया नहीं हो सकता है। इसकी ताकत बहुत बड़ी होती है। दिलों को जीतने की कोशिश करेंगे. पीएम ने कहा कि मेरे जीवन के कई पड़ाव रहे, इसलिए मैं इन चीजों को भली-भांति समझता हूं, मैंने इतने चुनाव देखे, हार-जीत सब देखे, लेकिन मैं कह सकता हूं कि मेरे जीवन में 2019 का चुनाव एक प्रकार की तीर्थयात्रा थी।

मोदी ने कहा, भारत के लोकतंत्र को हमें समझना होगा। भारत का मतदाता, भारत के नागरिक के नीर, क्षीर, विवेक को किसी मापदंड से मापा नहीं जा सकता है। हम कह सकते हैं सत्ता का रुतबा भारत के मतदाता को कभी प्रभावित नहीं करता है। सत्ताभाव भारत का मतदाता कभी स्वीकार नहीं करता है।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity