राजस्थान के बाहरवीं कला वर्ग के परीक्षा परिणाम मे भी मुस्लिम बेटियो ने कमाल किया।

अशफाक कायमखानी।जयपुर।
शेक्षणिक तौर पर कमजोर माने जाने मुस्लिम समुदाय की बेटियों ने पहले सिनियर विज्ञान के आये परीक्षा परिणाम मे एवं अब आज आये बाहरवीं कला के परीक्षा परिणाम मे अच्छे अंक पाकर पूरे समुदाय को अंधेरे से उजाले की तरफ दखेलने की भूमिका मे नजर आने लगी है। बोर्ड के जारी परिणाम मे छात्राओं का परिणाम 90.81 प्रतिशत रहा है। जबकि हजारों मुस्लिम छात्राओं ने नब्बे व नब्बे से अधिक प्रतिशत अंक पाकर समुदाय का मान बढाया है।

राजस्थान बोर्ड आफ सेकण्डरी, अजमेर द्वारा कक्षा बाहरवीं कला वर्ग के जारी आज परिणाम मे मुस्लिम बेटियों ने अभावो मे शिक्षा पाते हुये भी अच्छे अंक पाकर आने वाली अपनी पीढी को सूनहरे रास्ते को अपनाकर कामयाबी की मंजिल पाने की ओर साफ ईशारा किया है।

पकते चावल मे से दो-चार चावल को बानगी के तौर पर निकाल कर पकने का तय करने की तरह आज के परिणाम मे उदाहरण के तौर पर कुछ बेटियो का परिणाम देखते है तो डीडवाना के धणकोली गावं की समीरा बानो के 92.60, डीडवाना के ही बेरी छोटी गावं की आरिहा खानम के 92.20 प्रतिशत, झूंझनू की नौसीन के 92.20 प्रतिशत व झूंझुनू के पीथूसर गावं की सलमा बानो के 91.20 , झूंझुनू के इटावा कला गावं की नाजिया बानो के 90.40 के अलावा छोटी छापरी, डीडवाना की मुस्कान के 88.40 व सीकर जिले के दाड़ूण्दा गावं की नाजमीन बानो के 88.20 प्रतिशत अंक आये है। इनके अतिरिक्त नब्बे व नब्बे से ऊपर प्रतिशत अंक पाने वाली मुस्लिम बेटियों की बडी तादाद के साथ साथ पिच्यासी व पिच्यासी से नब्बे प्रतिशत अंक पाने वाली हजारो बेटियों मे से अधीकांश बेटीयाँ सिविल सेवा, न्यायीक सेवा के अलावा कालेज लेक्चरर बनने की बात कहती है।

राजस्थान मे आज भी मुस्लिम बेटियो को शिक्षा के क्षेत्र उतने अवसर देने को समुदाय तैयार नजर नही आता है, जितने अवसर बेटियो को मिलने चाहिये। फिर भी परिवार व समुदाय की तरफ से सिमित सुविधाएं मिलने के बावजूद बेटीयाँ इक्कीस रजल्ट दे रही है। राजस्थान की सिविल व न्यायीक सेवा के अलावा शैक्षणिक व चिकित्सा सेवा मे बेटियों ने काफी आगे कदम बढा लिया है। इसके अतिरिक्त असलम खान व फराह खान ने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा पास करके बडा नाम कमाया है। इशरत बानो ने आर्मी अधिकारी व रुखसार खान ने नेवी मे अधिकारी बनकर बहनो को नया पाठ पढाया है

कुल मिलाकर यह है कि काफी अवरोधकों को पार करते हुये मुस्लिम समुदाय की बेटीया शैक्षणिक क्षेत्र मे बहुत अच्छा नाम कमा रही है। अगर समाजी स्तर पर महिला शिक्षा को ठीक से प्रोत्साहन व गाइडेंस मिलने लगे तो यह बेटीया आसमान से तारे तोड़कर लाने की कहावत को सभी स्तर पर सिद्ध करती नजर आये। राजस्थान के शेखावाटी जनपद मे मयारी गलर्स ऐजुकेशन मे तेजी के साथ इजाफा होने के कुछ कारणो मे अवल कारण तो यह है कि वाहिद चौहान जैसे अनेक समाजी लोग शैक्षणिक क्षेत्र मे जीवन व जीवन मे कमाया धन लगा कर जेहनी शकून पा रहे है। दूसरा कारण यह है कि देहाती परिवेष मे रहने वाले मुस्लिम समुदाय के परिवार के पड़ोसी व गावं की जाट बीरादरी की बेटियों ने जब शैक्षणिक क्षेत्र मे धूम मचाई तो उनका कुछ असर मुस्लिम परिवारों पर पड़ने से उन्होंने भी अपनी बेटियों को शिक्षा दिलाने के लिये देखा देखी कदम बढाना तय किया।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity