राजधानी दिल्ली में पत्रकार वार्ता में मृतक के बेटे ने लगाया आरोप
मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली 3 मई 2019।
देश में बढ़ रही नफरत की राजनीति के चलते जो साम्प्रदायिकता की मानसिकता परवान चढ़ रही है उसी नफ़रत ने मेरे पिता की जान ले ली है। ये बात मृतक रमज़ान के बेटे रिज़वान ने मानवाधिकार संगठन नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन(एनसीएचआरओ) की पत्रकार वार्ता में कही। राजस्थान के कोटा में न्यायिक हिरासत में इलाज़ के दौरान हुई मोहम्मद रमज़ान की मौत के मामले में मृतक के बेटे के साथ कई अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आज दिल्ली में पत्रकार वार्ता की ।
*मृतक के बेटे मोहम्मद रिज़वान* ने पत्रकारवार्ता में बताया कि कुछ समय पहले मेरे पिता को एक बार पैरोल भी हुई थी। इसके बाद जिला कलेक्टर के माध्यम से उनकी सज़ा माफी की फ़ाइल प्रशासन और राज्यपाल तक पहुंचायी जा चुकी थी।कुछ दिनों पहले मेरे पिता की जब तबीयत खराब हुई तो जेल प्रशासन के द्वारा उनको कोटा के मेडिकल कॉलेज के कैदी वॉर्ड मे भर्ती करवाया गया था। हमको जब इसकी सूचना मिली तो मैं, मेरी माँ और और मेरा भाई उनसे मिलने के लिए कोटा पहुंचे लेकिन वहां ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों के द्वारा हमारे साथ बदसलूकी की गयी और हमको पिताजी से मिलने नहीं दिया गया।मिलने की एवज में पुलिस कर्मियों के द्वारा रिश्वत के 500 रुपये की मांग हुई। जब हमने देने से मना कर दिया तो इसी बात को लेकर हमारी वहां तैनात पुलिस कर्मियों के साथ कहा सुनी हुई और हमने इसकी शिकायत कोटा के कुछ साथियो और अस्पताल प्रशासन से की जिसके कारण रात मे उन पुलिसवालों ने नशे में मेरे पिता रमजान के साथ बुरी तरह मारपीट की और उन्हे जंजीर से बांधकर उल्टा कर पाइप से बुरी तरह मारा गया जिसके कारण उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ गयी जिस पर जल्दबाज़ी में उन्हे जयपुर एसएमएस रैफर कर दिया गया। जयपुर के एसएमएस अस्पताल में जब तबीयत मे थोड़ा सुधार हुआ तो पूरी घटना का ब्योरा अब्बू ने हमको दिया। एसएमएस अस्पताल के डॉक्टर ने जब उन्हें अपने डिपार्टमेंट से डिस्चार्ज करके दूसरे डिपार्टमेंट में इलाज़ के लिए रेफेर किया तो पुलिस उस डिस्चार्ज पर्ची को बुनियाद बना कर फौरन मेरे पिता को एम्बुलेंस में डाल कर जयपुर से कोटा ले गई।जब हमने इसकी शिकायत डॉक्टर से की तो डॉक्टर ने उन्हें फोन पर रुकने के लिए कहा लेकिन पुलिस ने किसी की बात नहीं मानी और अपने मोबाइल बन्द कर लिए। इसके बाद उसी दिन हमने राज्य के मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष और डीजीपी से मुलाकात करके हिरासत में इलाज़ के दौरान मारपीट की शिकायत कर दी थी। डीजीपी राजस्थान ने मुझसे कहा था कि तबियत खराब होने पर पुलिस को वापस नही ले जाना चाहिए था। उनकी मृत्यु भी हो सकती है। और मेरे पिता की मृत्यु हो गई।
*संगठन की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य एड्वोकेट अन्सार इन्दौरी* ने पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान के बारां जिले के माँगरोल कस्बे के रहने वाले मोहम्मद रमजान की पुलिस पिटाई से कोटा जिला अस्पताल में मौत हो गई थी। मृतक रमज़ान पर 1987 का एक मुकदमा निचली कोर्ट मे धारा 307 का चल रहा था। 1991 में ट्रायल कोर्ट ने रमज़ान को 4 साल की सज़ा सुनाई थी।जिसके खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में जमानत की अपील की गई थी। तब उन्हें ज़मानत मिल गई थी। अपील पर सुनवाई पेंडिंग थी। हाईकोर्ट से नो माह पहले दो वर्ष की सज़ा हुई थी । मृतक 9 माह से बारां राजस्थान के कारागार मे सज़ा काट रहा था लेकिन इसी दौरान जेल मे ही तबीयत खराब हुई जिसका लगातार इलाज़ चल रहा था और मृतक का परिवार कई माह से हॉस्पिटल और जेल के चक्कर काट रहा था । उन्होंने बताया कि मृतक की जमानत के लिये पिछले साल दिसम्बर में सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की गई थी।जिसकी निगरानी मृतक के बेटे मोहम्मद रिज़वान की लिखित गुज़ारिश पर उन्होंने ही की थी। मृतक का बेटा रिज़वान जमानत के लिए लगातार संगठन के सम्पर्क में था।
*पत्रकार वार्ता में बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्ता नदीम खान* ने कहा कि मरने से पहले रमज़ान ने एक विडियो क्लिप में बताया था कि पुलिस कर्मियों ने उसे धमकी दी हे कि वो इसके बारे मे किसी को ना बताए।मृतक को टोपी, दाढ़ी और धर्म को लेकर अपशब्द कहे गए।दो दिन बाद ही बिना परिवार वालों को बताए पुलिस वालों ने मृतक को डिस्चार्ज करवा लिया । जयपुर से गुपचुप तरीके से रमज़ान को कोटा ले आए । तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर वापस कोटा मेडिकल हॉस्पिटल में भर्ती करवाया जहां 26 अप्रैल की रात को रमज़ान की मौत हो गईं।
*पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष परवेज़ अहमद* ने कहा की आज के नाज़ुक समय में नफरत की बुनियाद पर लोगों को निशाना बनाया जा रहा है जिस मुल्क़ में लोग अपने घरों के बीमार लोगों को हिफाज़त करते हैं उसमे अस्पताल में भर्ती केडी मरीज़ के साथ मारपीट की जाती है.जो दिखा रही है की नफरत किसी हद तक लोगों के ज़ेहनो तक पहुंच चुकी है
*सुप्रीम कोर्ट के एड्वोकेट श्रीजी भावसर* ने पत्रकार सम्मेलन में बताया की संगठन की मांग है की है कि इस मामले में पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिया जाये। जिन पुलिस कर्मियों पर मारपीट का आरोप है उनके खिलाफ् हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। और परिवार के व्यक्ति को सरकारी नोकरी दी जाय।
*दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानन्द* ने पत्रकारवार्ता में बताया कि मोहम्मद रमज़ान नफरत की राजनीति के शिकार हुए है।आरोपित पुलिस कर्मियों ने उन पर धर्म के आधार पर शाररिक हमला किया और अपशब्द कहे।उन्होंने कहा कि आज राजकीय कर्मचारी भी साम्प्रदायिकता की मानसिकता के चलते कानून हाथ में लेने से नहीं डरते।
*सुप्रिम कोर्ट के एड्वोकेट फ़ुजैल अहमद अय्यूबी*ने कहा कि राजस्थान पुलिस इस मामले को बिमारी से हुई मौत बता रही है।जबकि हकीकत ये है कि बिमारी की दौरान जो रमज़ान पर शारारिक हमला हुआ उसके कारण मृतक की तबियत ज्यादा खराब हुई और उनकी मौत हो गई।