आस्था व धरोहर की हिफाजत। असम मे मस्जिद की मीनार का स्थानांतरण।

चाईजुर रहमान/मिल्लत टाइम्स,असम:
विज्ञान कितनी सफलतापूर्वक असंभव कार्यों को संभव बनाता है, इसका ताजा उदाहरण असम के नगांव जिले के पुरनी गोदाम में देखा जा रहा है। जहां 100 वर्ष से अधिक पुरानी ऐतिहासिक पुरनीगुदाम मस्जिद की मीनार को बिना नुकसान पहुंचाए स्थानांतरित करने की प्रक्रिया जारी है।

उल्लेखनीय है कि यह दो मंजिला मीनार इतनी मजबूत है कि वर्ष 1950 में आए विनाशकारी भूकंप के समय भी इस मीनार को कोई क्षति नहीं पहुंची थी। यह मीनार प्राचीन पद्धति से तैयार की गयी है। जिसमें न तो रॉड और न ही सीमेंट का उपयोग किया गया है। बल्कि, इसके निर्माण में अंडा, बोरा चावल, उड़द की दाल, गुड का घोल आदि का उपयोग किया गया था। यही वजह है कि 100 वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी आज यह चट्टान की तरह मजबूत है।

ज्ञात हो कि बीते कुछ दिनों से इस ऐतिहासिक मीनार को तोड़ने की प्रशासनिक तत्परता चल रही थी। क्योंकि यह राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-37 के विस्तार में अवरोध प्रकट कर रही थी। आखिरकार इंपीरियल डेकोर नामक संस्था द्वारा स्थानांतरण की एक तरकीब निकाली गई। इस संस्था के प्रमुख वकील अहमद नामक व्यक्ति ने इस अभियान को नेतृत्व देते हुए हरियाणा के आरआर एंड संस नामक कंपनी के साथ अनुबंध करके इस मीनार को बिना नुकसान पहुंचाए स्थानांतरित करने की योजना बनाई। योजना पर कार्य शुरू हुआ और आखिरकार इसे जमीन से सफलतापूर्वक उठाकर एक सीमेंट के बने बेस पर रखकर आगे ले जाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस पूरी प्रक्रिया में अत्याधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सहायता ली गई है।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity