मस्जिद को बम से उड़ाने का ख्वाब देखने वाला क्यों बना मुसलमान?

मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:इस्लाम से बेइंतहा नफरत करने वाला एक शख्स कभी मस्जिद को बम से उड़ाना चाहता था लेकिन उसने धर्म परिवर्तन कर खुद ही इस्लाम कबूल कर लिया. ‘द संडे प्रोजेक्ट’ से रिचर्ड मैकिने नाम के एक शख्स ने अपनी अनोखी कहानी शेयर की है.

रिचर्ड इंडियाना के रिटायर्ड मैरीन अफसर हैं. घर लौटने के बाद एल्कोहल एडिक्शन से लड़ रहे रिचर्ड के मन में मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैल चुकी थी.

(Richard McKinney/facebook)
रिचर्ड ने बताया, एक दिन वह अपनी पत्नी के साथ एक दुकान में पहुंचे और वहां काले बुर्के में दो महिलाओं को देखा. मैंने प्रार्थना की कि मुझे इतनी ताकत मिले कि मैं उनके पास जाऊं और उनकी गर्दन तोड़ दूं.

लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि इससे भी ज्यादा खतरनाक प्लान बनाया. वह वह घर में बम बनाने की सोच रहे थे और इस्लामिक सेंटर के बाहर रखकर उसे उड़ाने का ख्वाब देख रहे थे.

रिचर्ड ने सोचा था कि वह दूर से बैठकर उस भयानक मंजर को देखेंगे. रिचर्ड ने बताया, मेरी 200 से ज्यादा लोगों को मारने और घायल करने की योजना थी. इस्लाम के प्रति नफरत ही मुझे जिंदा रखे हुए थी.

इसी बीच, मैकिने ने इस्लाम समुदाय को एक और मौका देने के बारे में सोचा. वह स्थानीय इस्लामिक सेंटर गए और वहां उन्हें एक कुरान दी गई. वे उसे घर ले गए और पढ़ने लगे.

8 सप्ताह बाद वह इस्लाम में धर्मांतरण कर चुके थे और कुछ सालों बाद वह उसी इस्लामिक सेंटर के अध्यक्ष बन गए जिसे वह कभी बम से उड़ाना चाहते थे.

(Richard McKinney/facebook)
किसी को भी इतने नाटकीय घटनाक्रम पर यकीन नहीं होता लेकिन मैकिने ने इंटरव्यू में अपने इस बदलाव की पूरी कहानी सुनाई. उन्होंने बताया, एक दिन मैं घर पर दूसरे समुदाय, उनके विश्वास और उनकी नस्ल के बारे में गंदी-गंदी बातें बोल रहा था, तभी मेरी बेटी ने मुझे बहुत ही हिकारत भरी नजरों से देखा. उसके बर्ताव ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया.

जैसे एक प्रकाश का दीया जल गया हो, मैंने देखा कि मैं अपनी बेटी के साथ क्या कर रहा हूं, मैं अपने पूर्वाग्रहों को उसे सिखा रहा था. मैकिने ने कहा कि न्यूजीलैंड में क्राइस्टचर्च में मस्जिद पर हुए आतंकी हमले के दोषी ब्रेन्डन टैरेंट के भीतर अपने पुराने मैकिने को देख रहा था

मैकिन ने कहा, “जिसने ऐसा घृणित अपराध किया, जिसने कई मासूमों की जान ली, वह मैं ही था. हम एक ही तरह के लोग हैं. जब मस्जिद में लोगों ने उसका मुस्कुराकर स्वागत किया तो उसने रुककर सोचा नहीं. जबकि मैं इस्लामिक सेंटर में जब गया था तो मेरा अभिवादन एक मुस्कुराहट के साथ किया गया था, इसने मुझे थोड़ा बहुत पिघला दिया. इससे मैं पहले से ज्यादा खुले दिमाग से सोचने में कामयाब हुआ और फिर मैंने दूसरों को सुनना शुरू कर दिया. लेकिन उसने (न्यूजीलैंड के हमलावर) ने ऐसा नहीं किया.”

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity