पांच मुद्दों पर पांच साल सियासत:नोटबंदी,राफेल,तीन तलाक,जीएसटी और किसान पर रहा घमासान

मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली:नोटबंदी, जीएसटी, राफेल सौदा, तीन तलाक और किसान यह वे पांच मुद्दे हैं जिनके इर्द-गिर्द देश की सियासत पिछले पांच सालों से घूमती रही, लेकिन पुलवामा हमले के बाद आम चुनावों से ठीक पहले एयर स्ट्राइक ने सियासी मुद्दों में नया रंग भर दिया है। हर चुनाव की तरह राम मंदिर सियासी दलों के एजेंडे में शामिल रहा।

असहिष्णुता-भीड़ हिंसा-बेरोजगारी भी मुद्दा बना रहा। वहीं आखिरी साल में आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट में संशोधन बिल जैसे मुद्दे भी अहम रहे। पिछले पांच सालों तक छाए रहे ये मुद्दे आगामी चुनावों में भी प्रचार युद्ध के मुख्य हथियार बनेंगे।
नोटबंदी
करीब ढाई साल पूर्व 16 नवंबर 2016 को आधी रात से 500 और 1000 के नोट बंद करने की पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा ने देश ही नहीं पूरी दुनिया में हलचल मचाया। तब पीएम ने इस फैसले से कालाधन, आतंकवाद सहित कई समस्याओं से निजात मिलने का दावा किया। तीन महीने तक लोग नकद हासिल करने केलिए पसीना बहाते रहे। विपक्ष ने इसे बड़ा सियासी मुद्दा भी बनाया। मगर इसके ठीक बाद हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने तीन चौथाई बहुमत हासिल कर जनता के इस फैसले के साथ होने का दावा किया। हालांकि बाद में इस कारण अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर पड़े असर के कारण बढ़ी बेरोजगारी से भाजपा को परेशानी भी उठानी पड़ी।

तीन तलाक कानून
इस सरकार के कार्यकाल में तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने पर भी सियासी महाभारत हुआ। सरकार ने तीन बार इसे संसद में कानूनी जामा पहनाने की कोशिश की, मगर राज्यसभा में संख्याबल के अभाव में नाकाम रहने पर सरकार ने इस पर तीन बार अध्यादेश का सहारा लिया। विपक्ष ने इसे जहां सरकार की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशों से जोड़ा, वहीं सरकार ने इसे महिला के सम्मान और स्वाभिमान से जोड़ा।

राफेल सौदे पर सियासी महाभारत
साल 2016 में फ्रांस से राफेल विमान सौदे पर मुहर लगते ही शुरू हुआ सियासी विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले और सीएजी की रिपोर्ट के बाद भी जारी है। विपक्ष इस मुद्दे पर कारोबारी अनिल अंबानी को ऑफसेट पार्टनर बनाने पर सीधे पीएम पर हमला बोल रहा है तो सरकार बार-बार कह रही है कि यह सौदा यूपीए सरकार के कार्यकाल से सस्ता है। सुप्रीम कोर्ट और सीएजी की ओर से सौदे को मिली क्लीन चिट के बाद भी इस पर विवाद जारी है।

जीएसटी
एक देश एक कर के लिए लाए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर भी मोदी सरकार के कार्यकाल में जम कर विवाद हुआ। विपक्ष ने इसके कई प्रावधानों पर सवाल उठाए और इसके कारण व्यापारी वर्ग को हो रही परेशानियों पर सरकार को घेरा। सरकार ने भी परेशानी दूर करने के लिए इसमें कई बार संशोधन किए। विपक्ष अब भी जीएसटी के कारण बेरोजगारी बढ़ने का आरोप लगा रहा है, जबकि सरकार इसके कारण पारदर्शिता आने के दावे कर रही है।

किसान
लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनावों में लगातार हार के बाद किसानों के मुद्दे ने कांग्रेस को संजीवनी दी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ऋण माफी की घोषणा और कर्नाटक में ऐसा कर दिखाने के बाद यह मुद्दा केंद्र में आ गया। इसी बीच भाजपा के तीन राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान गंवाने और इन राज्यों में कांग्रेस सरकरों की कर्ज माफी को अमल में लाने के बाद मोदी सरकार चेती। बीते आम बजट में सरकार ने किसान सम्मान योजना लाने की घोषणा की और इसके तहत किसानों को एक साल में तीन किस्तों के जरिए छह हजार रुपये नकद देने की घोषणा की।

असहिष्णुता-मॉब लिंचिंग-बरोजगारी भी बना मुद्दा
गोरक्षा के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोगों की पीट पीट कर हत्या और बढ़ती असहिष्णुता भी एक समय बड़ा मुद्दा बना। इसके विरोध में लेखक-कलाकरों और विभिन्न क्षेत्रों की नामचीन हस्तियों ने अवार्ड वापसी अभियान शुरू कर सरकार की परेशानी बढ़ाई। इसके अलावा देश में बेरोजगारी दर के 45 साल पुराना रिकार्ड तोड़ने के मामले में भी सियासी विवाद हुआ।
राम मंदिर निर्माण
कभी ज्यादा तो कभी कम राम मंदिर निर्माण की गरमाहट पांच सालों तक बनी ही रही। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मध्यस्थता की राह सुझाई है और मध्यस्थों के नाम भी तय कर दिए गए हैं। मंदिर निर्माण को लेकर पिछले तीन महीनों से सरगर्मी ज्यादा है।

हिंदू संगठनों और संतों ने सरकार पर तारीख घोषित करने और अध्यादेश जैसे मुद्दे लाने के लिए सरकार पर लगातार दबाव बनाया। धर्म संसद जैसे कार्यक्रम हुए। संघ ने इस मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर निर्माण के लिए फिर से कारसेवा की धमकी दी जिससे सियासत गरम हुई।
और अंत में एयर स्ट्राइक
14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद 26 फरवरी को पाकिस्तान में घुसकर वायुसेना ने एयर स्ट्राइक कर आतंकी ठिकानें ध्वस्त किए थे। इसके बाद सियासी परिदृश्य भी बदल गया। देश में जहां सरकार की वाहवाही के रूप में माहौल बनने लगा वहीं विपक्षी इसकी काट खोजने में जुट गया।(इनपुट अमर उजाला)

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity