25 साल से आतंकवाद के टैग को झेल रहे 11 मुसलमान निकले बेगुनाह,अदालत ने किया बरी

मिल्लत टाइम्स,मुंबई: तकनीक का ग़लत हाथों में जाना कितना ख़’तरनाक हो सकता है ये हम आज समझ सकते हैं. मीडिया में एक ऐसा गुट तैयार हुआ है जिसे तथ्यों से कोई मतलब नहीं है उसे बस उ’न्माद फैलाने से मतलब है. TRP का भूखा मीडिया कोई भी बात शालीनता से कहना भूल गया है, किसी को किसी इलज़ाम में पकड़ा जाता है उतने पर ही उसे मुजरिम भी मान लिया जाता है. मीडिया ट्रायल का ये ऐसा दौर चला है जहाँ क़ानून की बात करने भर से टीवी पर बैठा एंकर ज़ोर-ज़ोर से नारेबाज़ी करने लगता है.

इस टीवी उ’न्माद की बलि बहुत लोग चढ़े हैं, बहुतों की ज़िन्दगी फँस के रह गई है. बहुत से लोग आतं’कवाद के आरोप में पकड़े गए तो उन्हें मीडिया ने इस तरह पेश किया मानो जुर्म सिद्ध हो गया. इनमें से कुछ लोग ऐसे ज़रूर होते हैं जो वाक़ई मुजरिम होते हैं लेकिन बहुत से बेगुनाह भी मीडिया के TRP जाल में फँस जाते हैं. परन्तु ये आज से ही नहीं हो रहा बल्कि काफ़ी पहले से ऐसा हो रहा है. कुछ इसी तरह की एक ख़बर आज हमारे पास है. विशेष टाडा अदालत ने बुधवार को 25 साल पहले आ’तंकवाद के इलज़ाम में गिरफ़्तार किए गए 11 मुस्लिम नागरिकों को बरी कर दिया.
फाइल

इन सभी आरोपियों के ख़िलाफ़ विशेष सुबूत नहीं मिल सके. टाडा अदालत के न्यायधीश एससी खाती ने टाडा दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने को लेकर अधिकारियों को फटकारा भी. उन्होंने 11 आरोपियों को रिहा करने का फ़ैसला किया. कन्नड़ न्यूज़ पोर्टल वर्था भारती में प्रकाशित समाचार के अनुसार बरी होने वालों में जमील अहमद अब्दुल्ला खान, मोहम्मद यूनुस मोहम्मद इशाक, फारूक नजीर खान, यूसुफ गुलाब खान, अय्यूब इस्माइल खान, वसीमुद्दीन शमशीन, शिखा शफी शेख अज़ीज़, अशफ़ाक सैयद मुर्तुज़ा मीर, मुमताज़, मुमताज़, मुमताज़ सईद शामिल हैं.
उल्लेखनीय है कि इन लोगों को 28 मई 1994 को महाराष्ट्र और देश के अन्य हिस्सों से गिरफ़्तार किया गया था और उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) और 153 के तहत आरोप लगाए गए थे और धारा 3 (3) (4) (5) और धारा 4 (1) (4) ) बाबरी मस्जिद गिराए जाने का बदला लेने और आतं’कवादी प्रशिक्षण शिवरों में भाग लेने की योजना बना रहे थे. इसी दौरान इन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया था. रिहाई के फैसले के बाद अधिवक्ताओं की टीम को बधाई देते हुए, गुलज़ार आज़मी, ने कहा हालांकि इन 11 के लिए न्याय में देरी हुई है, लेकिन आ’तंकवादी होने का टैग मिटा दिया गया है। जमीयत उलमा’ के वकील को इन सभी 11 मासूमों को बरी करने का भरोसा था।” अधिवक्ताओं की टीम में एडवोकेट शरीफ शेख, मतीन शेख, अंसार तनबोली, रज़ीक शेख, शाहिद नदीम, मोहम्मद अरशद और अन्य शामिल थे।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity