मिल्लत टाइम्स,नई दिल्ली: कांग्रेस की आपत्ति के बाद चुनाव आयोग ने रविवार को निर्णय लिया है कि मतगणना के समय केवल सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जाएगी। मतगणना के समय न तो वेबकास्टिंग होगी और न ही वाई फाई नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा।
दिसम्बर 10, 2018 को ये निर्णय देर रात लिया गया। कांग्रेस पार्टी ने मांग की थी कि वेबकास्टिंग में जियो की बजाय बीएसएनएल नेटवर्क का उपयोग होना चाहिए। साथ ही कांग्रेस ने इस बात पर भी आपत्ति जताई है कि वेबकास्टिंग के काम का ठेका गुजरात की कंपनी संघवी इन्फोटेक को क्यों दिया गया। जानकारी के मुताबिक जब इस कंपनी के कुछ इंजीनियर जब भोपाल और सागर में वेबकास्टिंग के लिए कैमरे इंस्टॉल कर रहे थे, तब कांग्रेसियों ने उनका नाम पूछा था। इनमें से एक ने अपना नाम बताते हुए कहा कि वह गुजरात से है। जिसके बाद कांग्रेस ने हंगामा किया।
कांग्रेस का कहना है कि जब भारत निर्वाचन आयोग और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मध्यप्रदेश का खुद का डोमेन (प्लेटफॉर्म) है तो मतगणना की जानकारी देने का काम किसी निजी कंपनी के हाथों क्यों सौंपा गया। कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल ने मध्यप्रदेश के निर्वाचन सदन पहुंचकर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को आपत्ति दर्ज कराई। पहले तो कांग्रेस की आपत्ति को खारिज कर दिया गया लेकिन बाद में देर रात ये निर्णय लिया गया।
जानें क्या है वेबकास्टिंग
वेबकास्टिंग के तहत एक वीडियो कैमरा मतगणना केंद्र में वहां लगाया जाता है, जहां से सारी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। ये कैमरा सेंट्रलाइज्ड सर्वर से जुड़ा रहता है। इससे मतगणना केंद्र का सीधा प्रसारण भारत निर्वाचन आयोग एवं राज्य निर्वाचन आयोग के अफसर देखते हैं।
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वहीं इस बार चुनाव के नतीजे में देरी हो सकती है। इसके पीछे बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि चुनाव आयोग ने कांग्रेस की वह मांग मान ली है जिसमें उसने वोटों की गिनती के दौरान हर राउंड के पश्चात परिणाम की जानकारी लिखित में देने की बात कही थी।
बताना चाहेंगे कि यह प्रक्रिया केवल मध्य प्रदेश में ही लागू नहीं बल्कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में भी अपनाई जाएगी। इस बाबत चुनाव आयोग शनिवार को दिल्ली से आदेश भी जारी कर चुका है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशियों ने इस बार ईवीएम मुद्दे पर सवाल उठाए हैं, जिनपर गौर करते हुए ही चुनाव आयोग ने यह अहम फैसला लिया है। बताना चाहेंगे कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पिछले 15 साल से विपक्ष में बैठी है।
यही कारण है कि इसबार ईवीएम पर सवाल उठाए गए हैं और परिणाम लिखित में जारी करने की मांग की गई है। ठीक इसी प्रकार से भाजपा की ओर से भी यही मांग की गई है। 11 दिसंबर को मतों की गिनती होगी।
ज्ञात हो इस बार मध्य प्रदेश में चुनाव खत्म होने के बाद प्रदेशभर से ईवीएम को लेकर विवाद की खबरें सामने आई। बाद में कांग्रेस नेताओं ने इसे लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया। कांग्रेस ने ईवीएम की सुरक्षा और स्ट्रांग रूम में रखरखाव को लेकर आयोग से शिकायत दर्ज कराई।